For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

आज की प्रेम कहानी

         प्रेम कहानी

मेरी भी है प्रेम कहानी,जिसमे राजा और है रानी|

मिल कर खोला दिल का राज ,नदी किनारे की है बात|

कहा तुम्हारा साथ चाहिए ,प्यार भरे ज़ज्बात चाहिए|

दिल की बाते देना बोल ,नीम नहीं मिश्री के घोल|

मृग नैनी सु अधरों वाली ,तेरे बिना मै खाली खाली|

मेरी भी है प्रेम  कहानी ,जिसमे राजा और है रानी|

लड़की का जवाब

यही बात तो सब है कहते ,साथ हमारे कभी न रहते\

कभी यहाँ है कभी वहाँ है ,रब ही जाने कहा कहा है|

कभी है राधा कभी है सीता ,कभी बहन मेरी कभी अनीता|

मन बाते तेरी सार ,दिया तुम्हे सारा अधिकार |

शुरू हुई तब प्रेम कहानी ,जिसमे राजा और है रानी|

दोस्ती के बाद

कुछ दिन चली प्रेम की बात ,हाथो में थे उनके हाथ|

कभी यहाँ मिले वहाँ मिले ,कोई न जाने जहां मिले|

घंटो करते थे वो बात ,डाल के हाथो में वो हाथ|

हसती खिलती प्रेम कहानी ,जिसमे राजा और है रानी|

विरह

रानी को कोई और मिल गया ,प्यार से उसका दिल भी खिल गया|

छोड़ दिया राजा का साथ , नहीं रहे हाथो में हाथ|

कहा भूल जा प्रेम कहानी ,ना कोई राजा ना कोई रानी|

टूट गया सपनों का मेला , राजा तन्हा रहा अकेला|

सुबह कोई न शाम सुहानी ,राजा की है यही कहानी|

ख़त्म हुई यू प्रेम कहानी ,ना कोई राजा ना कोई रानी|

 

 

मौलिक एवं अप्रकाशित

आनंद यादव

Views: 571

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Pankaj sagar on April 23, 2017 at 2:11pm

घर पर सभी पंकज बोलते है इस लिए 

Comment by Pankaj sagar on April 23, 2017 at 2:09pm

धन्यवाद सर हमें ख़ुशी हुई की आप लोगो ने हमें इतना सम्मान दिया | और हम कोशिश करेंगे की आप सभी की अपेक्षाओ पे खरे उतरे धन्यवाद |

Comment by नाथ सोनांचली on April 18, 2017 at 4:20am
जनाब पंकज सागर साहिब आदाब,अच्छी प्रस्तुति के लिये बधाई स्वीकार करें ।
Comment by Samar kabeer on April 17, 2017 at 9:07pm
जनाब पंकज सागर साहिब आदाब,अच्छी प्रस्तुति के लिये बधाई स्वीकार करें ।
अगर रचना की विधा के बारे में कुछ उल्लेख कर देते जैसा कि इस मंच का नियम है तो रचना पर कुछ कहने में पाठकों को आसानी होती ।
एक बात और ब्लाग्स पर आपका नाम पंकज सागर लिखा है,और रचना के नीचे 'आनन्द यादव'?
Comment by Mohammed Arif on April 17, 2017 at 5:40pm
प्रिय पंकज सागर जी आदाब,बड़ी ही मासूमियत से आपने प्रेम कहानी कह डाली । अभी आप उभर रहे हैं । आप में काव्यगत अपार संभावनाएँ हैं । ढेरों बधाईयाँ स्वीकार करें और गुणीजनों का मार्ग दर्शन लें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

vibha rani shrivastava replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
""ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123विषय : जय/पराजय आषाढ़ का एक दिन “बुधौल लाने के…"
53 minutes ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"आदाब। हार्दिक स्वागत आपकी रचना का। प्रदत्त विषयांतर्गत बेहद भावपूर्ण और विचारोत्तेजक कथानक व कथ्य…"
2 hours ago
रक्षिता सिंह replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"सादर प्रणाम, आदरणीय ।"
15 hours ago
रक्षिता सिंह replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"सुन, ससुराल में किसी से दब के रहने की कोई ज़रूरत नहीं है। अरे भाई, हमने कोई फ्री में सादी थोड़ी की…"
15 hours ago
Nilesh Shevgaonkar shared their blog post on Facebook
20 hours ago
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"स्वागतम"
yesterday
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"आदरणीय गजेंद्र जी, हृदय से आभारी हूं आपकी भावना के प्रति। बस एक छोटा सा प्रयास भर है शेर के कुछ…"
yesterday
Gajendra shrotriya replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"इस कठिन ज़मीन पर अच्छे अशआर निकाले सर आपने। मैं तो केवल चार शेर ही कह पाया हूँ अब तक। पर मश्क़ अच्छी…"
yesterday
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"आदरणीय गजेंद्र ji कृपया देखिएगा सादर  मिटेगा जुदाई का डर धीरे धीरे मुहब्बत का होगा असर धीरे…"
yesterday
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"चेतन प्रकाश जी, हृदय से आभारी हूं।  साप्ताहिक हिंदुस्तान में कोई और तिलक राज कपूर रहे होंगे।…"
yesterday
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"धन्यवाद आदरणीय धामी जी। इस शेर में एक अन्य संदेश भी छुपा हुआ पाएंगे सांसारिकता से बाहर निकलने…"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"आदरणीय,  विद्यार्जन करते समय, "साप्ताहिक हिन्दुस्तान" नामक पत्रिका मैं आपकी कई ग़ज़ल…"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service