For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मेरा गांव मेरा परिवार

गाँव की चंचल हवा को देखो,मस्त मौली इस फिजा को देखो
इसमें है चाहत के गीत,निश्छल प्रेम विश्वास और प्रीत |
इसमें है चाहत की नैया , बातो में विश्वाश है भैया |
सबके साथ है सबकी मैया ,अपना भी परिवार है भैया|
नाना नानी बड़े सलोने,मामी भी है इन्ही घरो में |
चाची जी का प्यार तो देखो,भाभी का तकरार तो देखो|
बड़ी माँ भी बड़ी सलोनी,प्यार से देती खाना पानी|
छोटी बहाना भी है संग में, उसका प्यार है अपने रंग में|
सुबह को झगडा शाम को प्यार,खिल उठता अपना संसार|
अभी बने हम गिफ्ट देवैया,छुपा छुपा सा प्यार है भैया |
सबके साथ है सबकी मैया,अपना भी परिवार है भैया |
दादी नानीं से सुनी कहानी,जिसमे रजा और है रानी |
मम्मी जी की लोरी देखो,दूध भरी कटोरी देखो |
पापा जी का गुस्सा होना,साथ में खाना साथ में सोना |
प्यार भरा आपना संसार,रिस्तो में होती तकरार |
अपने तो अपने है भैया,चाहत की है अपनी नैया |
सबके साथ है सबकी मैया ,आपना भी परिवार है भैया |
मौलिक एवं अप्रकाशित
आनन्द यादव

Views: 723

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by नाथ सोनांचली on October 2, 2017 at 4:54am
आद0 पंकज जी सादर अभिवादन, पहली बार आपसे रूबरू हो रहा हूँ, भासव अच्छे है, पर कुछ जगह टंकण त्रुटि और शब्द कल पर आपको अभी काम करना है।शेष शुभ शुभ। बधाई
Comment by नाथ सोनांचली on October 2, 2017 at 4:53am
आद0 पंकज जी सादर अभिवादन, पहली बार आपसे रूबरू हो रहा हूँ, भासव अच्छे है, पर कुछ जगह टंकण त्रुटि और शब्द कल पर आपको अभी काम करना है।शेष शुभ शुभ। बधाई
Comment by Sheikh Shahzad Usmani on September 29, 2017 at 7:52pm
बढ़िया प्रस्तुति के माध्यम से ग्रामीण परिवेश की सैर कराती बढ़िया रचना के लिए सादर हार्दिक बधाई आदरणीय पंकज सागर जी। वरिष्ठजन की उपरोक्त टिप्पणियों पर ग़ौर फ़रमाइयेगा।
Comment by Pankaj sagar on September 28, 2017 at 9:27pm
जी धन्यवाद जी
Comment by Samar kabeer on September 28, 2017 at 8:43pm
जनाब पंकज सागर जी आदाब,सुंदर प्रस्तुति हेतु बधाई स्वीकार करें ।
आपको अभी बहुत अध्यन की आवश्यकता है,ओबीओ पर मौजूद आलेखों का लाभ लें ।
Comment by Mohammed Arif on September 28, 2017 at 8:12am
प्रिय पंकज जी आदाब, बड़ी निश्छलता लिए आपकी रचना है । भावों का अच्छा स्फुटन हुआ है । काश, आपकी यह रचना किसी अच्छे से छंद में बँधी होती । हार्दिक बधाई स्वीकार करें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Saurabh Pandey's blog post दीप को मौन बलना है हर हाल में // --सौरभ
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। लम्बे अंतराल के बाद पटल पर आपकी मुग्ध करती गजल से मन को असीम सुख…"
16 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं।हार्दिक बधाई। भाई रामबली जी का कथन उचित है।…"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आदरणीय रामबली जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । बात  आपकी सही है रिद्म में…"
Tuesday
रामबली गुप्ता commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"बड़े ही सुंदर दोहे हुए हैं भाई जी लेकिन चावल और भात दोनों एक ही बात है। सम्भव हो तो भात की जगह दाल…"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई चेतन प्रकाश जी"
Monday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय, सुशील सरना जी,नमस्कार, पहली बार आपकी पोस्ट किसी ओ. बी. ओ. के किसी आयोजन में दृष्टिगोचर हुई।…"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . रिश्ते
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार "
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . संबंध
"आदरणीय रामबली जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार ।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर छंद हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service