एक ग़ज़ल का प्रयास
२१२२ २१२२ २१२
नींद में आकर सताता है मुझे
ख्वाब भी तेरा जगाता है मुझे
झूमती आती घटायें बदलियाँ,
प्यार का मौसम बुलाता है मुझे
सर्दियों में सूर्य भाया था बहुत,
गर्मियों में अब तपाता है मुझे
प्रार्थना तुमसे मिलन की, की तो है,
देखिए प्रभु कब मिलाता है मुझे
साथ मेरा आप दोगे या नहीं,
प्रश्न ये हर पल डराता है मुझे
मुश्किलें हैं जिन्दगी में, राह भी,
हौसला जीना सिखाता है मुझे
(मौलिक एवं अप्रकाशित )
Comment
आदरणीय Ravi Shukla जी आपका सुझाव निश्चित ही अनुकरणीय है, मैंने सुधर कर लिया है, नमन आपको
आदरणीय बृजेश कुमार 'ब्रज' जी आपका बहुत बहुत शुक्रिया, आपको ग़ज़ल पसंद आई
आपकी समीक्षा और सुझाव से संबल मिला आदरणीय Samar kabeer जी, मंच में आप सभी विद्वान जनों की राय बहुत मायने रखती है , इसी तरह मार्गदर्शन करते रहिये, सादर नमन
आदरणीय बसंत जी अच्छी गजल हो गई है बधाई अशआर बार बार पढ़े आपको स्वयं ही संशोधन दिखने लगेंगे जैसे
आखिरी शेर में हमें तो शब्द की कमी लगी
मुश्किलें है जीस्त में तो राह भी
हौसला जीना सिखाता है मुझे एक त्वरित सुझाव मात्र है । सादर
आदरणीय Nilesh Shevgaonkar जी आपकी सटीक समीक्षा से अभिभूत हूँ, प्रयास करता हूँ और चमकाने का, इसी तरह मार्गदर्शन करते रहें, सादर नमन आपको
आ. बसन्त जी,
ग़ज़ल के लिये बधाई ...
मतला एकदम सपाट है ...
नींद में आकर जगाता है मुझे
ख्वाब भी तेरा सताता है मुझे........
इसे यूँ कहें तो कैसा रहे...
.
नींद में आकर सताता है मुझे
ख्वाब भी तेरा जगाता है मुझे....
बात वही है ,,,बस अंदाज़ अलग है .... और ये अंदाज़ ही ग़ज़ल को ग़ज़ल बनाता है...
यदि सहमत हों तो अन्य मिसरों को भी यूँ ही जाँचिये, घिसिये चमकाइये ..
सादर
आदरणीय गिरिराज भंडारी जी, आपके आशीष को सादर नमन, इसी तरह स्नेह बनाये रखें
आदरणीय बसंत भाई , बहुत अच्छी गज़ल क्कही है .... दिल से बधाइयाँ प्रेषित हैं ... स्वीकार करें ।
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online