For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

स्मृति पृष्ठ ...

स्मृति पृष्ठ ...

रजनी के
श्यामल कपोलों पर
मेघों की बूंदों ने
व्यथित यादों के
पृष्ठों पर जैसे
सान्तवना का
आभासीय श्रृंगार कर डाला

दृग कलशों से
सजल वेदना
प्रीत की
पराकाष्ठा को
चेहरे की लकीरों में
शोभित करती रही

प्राण और देह में
जीवन संघर्ष चलता रहा
किसी को विस्मरण करने के
सभी उपचार
रेत की भित्ति से
ढह गए

थके नयन
आशा क्षणों की
गहन कंदराओं में
प्रतीक्षा की विफलता के प्रहारों को
सह न सके

रक्ताभ अधरों पर
तरल प्रतीक्षा क्षण
पल भर रुके
फिर
बिन प्रतीक्षा
रजनी के
तारांचल पर गिर पड़े

प्रभात ने
उन क्षणों से
अपनी मांग सजा ली
रजनी को अपने में
समाहित कर लिया
चिर प्रतीक्षित क्षण
प्रभात बन

फिर से 
एक नया
स्मृति पृष्ठ बना गए

सुशील सरना
मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 598

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on May 16, 2017 at 4:59pm
वाह आदरणीय बहुत उत्तम भावों से परिपूर्ण कविता हुई..सादर
Comment by Sushil Sarna on May 16, 2017 at 3:46pm

आदरणीय  narendrasinh chauhan    जी रचना के भावों को मान देने का हार्दिक आभार 

Comment by Sushil Sarna on May 16, 2017 at 3:45pm

आदरणीय गिरिराज भंडारी जी रचना को अपना कीमती समय देने और उसकी प्रशंसा के लिए आपका हार्दिक आभार।  आपके अमूल्य सुझाव का शुक्रिया लेकिन इसमें मुझे कोई विशेष भाव परिवर्तन नज़र नहीं आता हालांकि सुझाव सुंदर है जो भविष्य के सृजन में काम आएगा। हार्दिक आभार ।  नेट व्यवधान से आभार व्यक्त करने में विलम्ब हेतु क्षमाप्रार्थी हूँ। 

Comment by Sushil Sarna on May 16, 2017 at 3:42pm

आदरणीया कल्पना भट्ट जी रचना के भावों को मान देने का शुक्रिया।  नेट व्यवधान से आभार व्यक्त करने में विलम्ब हेतु क्षमाप्रार्थी हूँ। 

Comment by narendrasinh chauhan on May 10, 2017 at 5:44pm

खूब सुन्दर रचना 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on May 10, 2017 at 8:25am

आदरणीय सुशील भाई , खूबसूरत भाव पूर्ण कविता के लिये बधाइयाँ । नीचे सम्भावित त्रुटि पर ध्यान दिलाना चाहता हूँ , मेरी सलाह सही लगे तो सुधार कर लीजियेगा ।

सान्तवना का
आभासीय श्रृंगार कर डाला  
या
सांत्वना का
आभासी श्रृंगार कर डाला

रेत की भित्ति से
ढह गए

रेत की भित्ति सी
ढह गयी

Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on May 9, 2017 at 10:29pm
Sunder bhav aadarniya Sunil Sarna ji. Hardik badhayi
Comment by Sushil Sarna on May 9, 2017 at 8:29pm

आदरणीय आशुतोष जी प्रस्तुति को अपने स्नेह से सिंचित करने का हार्दिक आभार।

Comment by Sushil Sarna on May 9, 2017 at 8:28pm

आदरणीय मो. आरिफ साहिब प्रस्तुति के भावों को मान देने का हार्दिक आभार।

Comment by Sushil Sarna on May 9, 2017 at 8:28pm

आदरणीय समर कबीर साहिब आपकी सदा की तरह सृजन का हौसला बढ़ाती प्रशंसा का हार्दिक आभार।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 186 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का मिसरा आज के दौर के…See More
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"  क्या खोया क्या पाया हमने बीता  वर्ष  सहेजा  हमने ! बस इक चहरा खोया हमने चहरा…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"सप्रेम वंदेमातरम, आदरणीय  !"
Sunday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
Friday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
Friday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Dec 10
anwar suhail updated their profile
Dec 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Dec 5
ajay sharma shared a profile on Facebook
Dec 4
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Dec 1
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service