Comment
लघु कथा शीर्षक से पूर्णतः न्याय कर रही है बहुत खूब हार्दिक बधाई आपको आद० सतविन्द्र भैया | आद० रवि प्रभाकर जी की बात काबिले गौर है |
प्रिय भाई सतविन्द्र जी, प्रस्तुत लघुकथा का शीर्षक अत्यंत उपयुक्त व प्रभावशाली है। लघुकथा का कथानक कथनी-करनी में अंतर के पुराने ढर्रे पर आधारित है परन्तु सधे तरीके से लिखने की वजह से लघुकथा प्रभावित करती है। आपका ध्यान भाषा की तरफ आकृष्ट करना चाहूंगा: भाषा भाव सम्प्रेषण और अनुभूति की अभिव्यक्ित का एक सशक्त माध्यम है। ग्रामीण (आंचलिक) पृष्ठभूमि पर आधारित लघुकथा में ग्रामीण परिवेश के अनुकूल भाषा का प्रयोग वहां के जीवन चित्रण को सजीव रूप प्रदान करता है। आपकी लघुकथा में /माँ ने जोर देते हुए कहा,"बेटा!बिना पढ़ाई के आज कोई इज्जत नहीं है।तुझे यह कितनी बार समझाऊँ?"/ और /"बेटा!मैं ना पढ़ पायी मने इस बात का मलाल है।बड़ी समझायी थी मेरे बाप-भाइयाँ ने।मैं चाहूँ हूँ कि मेरी बेटी मेरी तरह ना पछतावे।"/ इन दो संवादों में मां की भाषा में कही तो मां सीधे लहजे से बात करती है और कहीं 'मने' शब्द यानि आंचलिक भाषा इस्तेमाल कर रही है । बेटी के संवादों /"अरी माँ!जरूरी तो नहीं कोई मने मेरे पैरों पर खड़ा होने देगा,आगे क्या पता लगाम किन हाथों में हो? बढ़िया तरह पढ़-लिखकर भी पछताना ही पड़ेगा.."
माँ और पिता भी बहू की तरफ देखने लगे।
वह झट से बोली,"इससे खरा तो है कि मैं भी तेरी तरह बिना पढ़े ही पछता लूँगी।"/ में भी यह कमी महसूस हो रही है। बेटी 'मने' और 'खरा' जैसे आंचलिक शब्दों का प्रयोग भी कर रही है। एक ही संवाद में आंचलिक और सपाट भाषा का प्रयोग सहज नहीं लग रहा। बेटी के संदर्भ में तो चलो ये समझ सकते हैं कि पढ़ी लिखी बेटी बीच बीच में ही ऐसे शब्दों का प्रयोग करती होगी परन्तु माता व पिता के संदर्भ में भाषा बनावटी लग रही है उसमें सहजता नहीं है। उम्मीद है आप सहमत होंगे और भविष्य में भाषा के प्रति अतिरिक्त सर्तकता बरतेंगे । सादर
कघु कथा बहुत अच्छी लिखी है। हार्दिक बधाई, आदरणीय सतविन्द्र जी।
एक हांडी दो पेट = दोहरे मापदंड. इस हरियाणवी कहावत से परिचय कराने का बहुत-बहुत शुक्रिया आ. सतविन्द्र भाई जी. पुनः बधाई. सादर.
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online