इतनी ज्यादा बात न कर
वादों की बरसात न कर
ह्रदय बड़ा ही नाजुक है,
उस पर यूँ आघात न कर
ख्यात न हो कुछ बात नहीं,
पर खुद को कुख्यात न कर
मानव को मानव रहने दे,
ऊंची नीची जात न कर
खुलकर गले न मिल पाए,
पैदा वो हालात न कर
मौलिक एवं अप्रकाशित
Comment
आदरणीय Mohammed Arif जी, हमेशा की तरह आपकी हौसला अफजाई का बहुत बहुत शुक्रिया , जी आगे से अवश ध्यान रखूंगा 22 22 22 22 पर कहा है इसे. यूँ ही स्नेह बनाये रखें
मानव को मानव रहने दे,
ऊंची नीची जात न कर
खुलकर गले न मिल पाए,
पैदा वो हालात न कर
बेहद उम्दा ग़ज़ल हुई है आदरणीय बसंत जी हार्दिक बधाई आपको इस बेहतरीन रचना के लिए |
आदरणीय Gurupreet Singh जी हौसला अफजाई के लिए आपका दिल से शुक्रिया
आदरणीय sushil sarna जी हौसला अफजाई के लिए आपका बहुत बहुत धनयवाद,
खुलकर गले न मिल पाए,
पैदा वो हालात न कर
वाह इस दिलकश ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई कबूल फरमाएं सर।
आदरणीय Shyam Narain Verma जी ह्रदय से आभार आपका
वाह ! बहुत खूब | सुन्दर प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाई |
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