For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मात्रिक छंद आधारित एक गीतिका

 

स्वीट कभी नमकीन, मुहब्बत होती है

जग में बहुत हसीन, मुहब्बत होती है

 

थोड़ा  थोड़ा  त्याग, तपस्या हो  थोड़ी,

फिर न कभी ग़मगीन, मुहब्बत होती है

 

चढ़ती है परवान, नाम दुनिया में होता,

जितनी  भी  प्राचीन, मुहब्बत होती है

 

होते हैं ठेकेदार, जहाँ पर जाति धर्म के

उनके  लिए  तौहीन,  मुहब्बत होती है

कहीं न जाए टूट, सँभाले रखना तुम

डोरी  एक महीन, मुहब्बत  होती है

“मौलिक एवं अप्रकाशित”

 

Views: 598

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by बसंत कुमार शर्मा on June 15, 2017 at 11:01am
आदरणीय बृजेश कुमार 'ब्रज' 1 जी आपकी हौसलाफजाई का बहुत बहुत शुक्रिया
Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on June 14, 2017 at 11:12pm
वाह क्या खूब मुहब्बत का वर्णन किया है..बहुतखूब
Comment by बसंत कुमार शर्मा on June 14, 2017 at 5:07pm

 आदरणीय Sushil Sarna जी आपकी हौसला अफजाई के लिए बहुत बहुत शुक्रिया 

Comment by Sushil Sarna on June 14, 2017 at 1:56pm

कहीं न जाए टूट, सँभाले रखना तुम
डोरी एक महीन, मुहब्बत होती है... वाह आदरणीय बसंत कुमार जी वाह ... बहुत ही सुंदर मुहब्बत की दास्ताँ कह गए ,थे कहाँ हम और कहाँ रहे गए ... इस शानदार गीतिका के लिए हार्दिक बधाई सर।

Comment by बसंत कुमार शर्मा on June 14, 2017 at 1:31pm

आदरणीय narendrasinh chauhan जी प्रतिक्रिया के लिए ह्रदय से आभार आपका 

Comment by narendrasinh chauhan on June 14, 2017 at 1:00pm

सुन्दर रचना 

Comment by बसंत कुमार शर्मा on June 14, 2017 at 10:16am

आदरणीय BAIJNATH SHARMA'MINTU' जी दिल से शुक्रिया आपका 

Comment by DR. BAIJNATH SHARMA'MINTU' on June 13, 2017 at 9:34pm

आदरणीय बसंत साहेब ...बहुत खूब,,,,बधाई स्वीकार करें 

Comment by बसंत कुमार शर्मा on June 13, 2017 at 9:15pm

हौसलाअफजाई केलिए दिल से शुक्रिया आदरणीय मोहम्मद आरिफ जी आपका 

Comment by Mohammed Arif on June 13, 2017 at 6:28pm
आदरणीय बसंत कुमार शर्मा जी आदाब, बहुत ही बेहतरीन ग़ज़ल ।हार्दिक बधाई स्वीकार करें । बाक़ी गुणीजन आपनी राय देंगे ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"सभी अशआर बहुत अच्छे हुए हैं बहुत सुंदर ग़ज़ल "
22 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

पूनम की रात (दोहा गज़ल )

धरा चाँद गल मिल रहे, करते मन की बात।जगमग है कण-कण यहाँ, शुभ पूनम की रात।जर्रा - जर्रा नींद में ,…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी

वहाँ  मैं भी  पहुंचा  मगर  धीरे धीरे १२२    १२२     १२२     १२२    बढी भी तो थी ये उमर धीरे…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , उत्साह वर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार "
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"आ.प्राची बहन, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार।"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"कहें अमावस पूर्णिमा, जिनके मन में प्रीत लिए प्रेम की चाँदनी, लिखें मिलन के गीतपूनम की रातें…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"दोहावली***आती पूनम रात जब, मन में उमगे प्रीतकरे पूर्ण तब चाँदनी, मधुर मिलन की रीत।१।*चाहे…"
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"स्वागतम 🎉"
Friday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

१२२/१२२/१२२/१२२ * कथा निर्धनों की कभी बोल सिक्के सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के।१। * महल…See More
Jul 10
Admin posted discussions
Jul 8
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Jul 7
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण जी "
Jul 7

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service