For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

आँखों के दरिया के जल का भी बँटवारा होना चहिये- गजल

22 22 22 22 22 22 22 22

आँखों के दरिया के जल का भी बँटवारा होना चहिये
दुखिया के गम का कुछ ऐसे वारा न्यारा होना चहिये

मज़हब कौम पंथ वंशावलि सबका आप ध्यान धरिये पर
जिसकी वादी में रहते हैं मुल्क वो प्यारा होना चहिये

गीत ग़ज़ल कविता अभिभाषण विधा भले ही चाहे जो हो
पर पंकज के शब्दों में एहसास तुम्हारा होना चहिये

ऊँचा उठने की ख्वाहिश हो तो अन्तस को क्षितिज बनाएं
पर ये याद रहे धरती पर पाँव हमारा होना चहिये

बन्दर घुड़की कब तक साहब कब तक जख्म नए खाएंगे
अब तो अरि की छाती पर आघात करार होना चहिये

मौलिक अप्रकाशित

Views: 647

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on July 2, 2017 at 7:43am
आदरणीय आशुतोष सर अभिप्रेरक टिप्पड़ी के लिए सादर आभार
Comment by Dr Ashutosh Mishra on July 1, 2017 at 4:08pm

आदरणीय भाई पंकज जी सार्थक सन्देश देती और स्वाभिमान से जीने के लिए प्रेरित करती इस शानदार ग़ज़ल के लिए ढेर सारी बधाई स्वीकार करें सादर 

Comment by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on June 28, 2017 at 6:56pm
आदरणीय श्याम नारायण वर्मा जी सादर आभार
Comment by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on June 28, 2017 at 6:56pm
आदरणीय बसन्त जी सादर आभार
Comment by Shyam Narain Verma on June 27, 2017 at 4:59pm
सुन्दर भावों से सजी इस गज़ल के लिए आपको बहुत बधाई।
Comment by बसंत कुमार शर्मा on June 27, 2017 at 3:53pm

उत्तम प्रयास 

Comment by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on June 27, 2017 at 10:51am
आदरणीय नरेंद्र सिंह जी सादर अभिवादन और आभार
Comment by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on June 27, 2017 at 10:50am
आदरणीय बाऊजी सादर प्रणाम
Comment by narendrasinh chauhan on June 27, 2017 at 10:50am

खूब सुन्दर रचना 

Comment by Samar kabeer on June 27, 2017 at 10:44am
अज़ीज़म पंकज कुमार मिश्रा आदाब,ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है,दाद के साथ मुबारकबाद पेश करता हूँ ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .इसरार

दोहा पंचक. . . .  इसरारलब से लब का फासला, दिल को नहीं कबूल ।उल्फत में चलते नहीं, अश्कों भरे उसूल…See More
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सौरभ सर, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। आयोजन में सहभागिता को प्राथमिकता देते…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सुशील सरना जी इस भावपूर्ण प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। प्रदत्त विषय को सार्थक करती बहुत…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, प्रदत्त विषय अनुरूप इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। गीत के स्थायी…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सुशील सरनाजी, आपकी भाव-विह्वल करती प्रस्तुति ने नम कर दिया. यह सच है, संततियों की अस्मिता…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आधुनिक जीवन के परिप्रेक्ष्य में माता के दायित्व और उसके ममत्व का बखान प्रस्तुत रचना में ऊभर करा…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय मिथिलेश भाई, पटल के आयोजनों में आपकी शारद सहभागिता सदा ही प्रभावी हुआ करती…"
yesterday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"माँ   .... बताओ नतुम कहाँ होमाँ दीवारों मेंस्याह रातों मेंअकेली बातों मेंआंसूओं…"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"माँ की नहीं धरा कोई तुलना है  माँ तो माँ है, देवी होती है ! माँ जननी है सब कुछ देती…"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय विमलेश वामनकर साहब,  आपके गीत का मुखड़ा या कहूँ, स्थायी मुझे स्पष्ट नहीं हो सका,…"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय, दयावान मेठानी , गीत,  आपकी रचना नहीं हो पाई, किन्तु माँ के प्रति आपके सुन्दर भाव जरूर…"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service