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घर के बाहर ही जब उसने अपने चचेरे भाई रग्घू को देखा तो उसका माथा ठनका| आज यह घर क्यों आया था, जरूर कुछ गड़बड़ होगी, वर्ना पिताजी को गुजरे इतने साल हो गए, कभी हाल पूछने भी नहीं आया था| उसकी मुस्कराहट को नजरअंदाज करते हुए वह भागती हुई घर में घुसी|
"माँ, माँ, कहाँ है तू", सामने माँ नजर नहीं आयी तो वह बेचैन हो गयी| जल्दी से उसने पिछले कमरे में प्रवेश किया तो माँ को खाट पर बैठे पाया|
"तू यहाँ बैठी है और जवाब भी नहीं दे रही है, मैं तो घबरा गयी थी| आज रग्घू क्यों आया था घर, तूने तो नहीं बुलाया था ना ?, वह एक ही सांस में सब पूछ बैठी|
"अरे सब ठीक है, बस यूँ ही आया था मिलने", माँ ने उठते हुए कहा|
"यह पैसे कैसे रखे हैं, किसने दिए, रग्घू ने दिए क्या माँ?, एक बार फिर उसका माथा घूम गया|
"कहीं तुमने वह सड़क वाली जमीन का टुकड़ा तो नहीं बेच दिया उसको", अब वह गुस्से से हांफने लगी थी|
"अरे नहीं, मैंने कुछ नहीं बेचा", अभी माँ की बात ख़त्म भी नहीं हुई थी कि वह फिर बोल पड़ी "मैंने कहा था ना कि मुझे अभी नहीं करनी शादी, फिर तूने ऐसा क्यों किया", उसके अंदर से जैसे क्रोध का ज्वालामुखी फूट पड़ा|
"तू बिना मतलब परेशान हो रही है, ऐसा कुछ भी नहीं है", माँ ने उसे समझाना चाहा लेकिन वह फिर बोल पड़ी|
"पिताजी के नहीं रहने पर किस तरह से तूने मुझे पाला पोसा और आज तूने यह कर दिया| और उस रग्घू ने या चाचा ने कभी पलटकर देखा भी नहीं था और अब एक आखिरी जमीन भी हड़पकर बैठ गया"|
"उसने कोई जमीन नहीं हड़पी और न मैंने उसे बेचा", माँ के इतना कहते ही वह बिफर पड़ी "मुझसे झूठ क्यों बोल रही है, बताती क्यों नहीं कि उसने पैसे क्यों दिए तुझे"|
"अब उसकी बेटी भी बड़ी हो गयी है, बाप है ना", कहते हुए माँ ने उसे पुचकारा|
वह वहीँ खाट पर धम्म से बैठ गयी, माँ उसके लिए पानी लेने चली गयी थी|
मौलिक एवम अप्रकाशित

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Comment by विनय कुमार on July 4, 2017 at 2:21pm

बहुत बहुत आभार आ रवि प्रभाकर जी 

Comment by विनय कुमार on July 4, 2017 at 2:21pm

बहुत बहुत आभार आ डॉ विजय शंकर जी 

Comment by Ravi Prabhakar on July 4, 2017 at 7:19am

/ अब उसकी बेटी भी बड़ी हो गयी है, बाप है ना"/ बहुत खूब विनय भाई । शीर्षक से न्‍याय करती इस लघुकथा प्रेषण हेतु शुभकामनाएं।

Comment by Dr. Vijai Shanker on July 4, 2017 at 2:04am
वाह ! जिन्दगी के एहसास ऐसे भी होते हैं। बहुत सुन्दर। बधाई आदरणीय विनय कुमार जी। सादर।

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