For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

दुःख और सुख-- लघुकथा

"लकवा मार गया है, अब बिस्तर पर ही रहना पड़ेगा इसको| शायद मालिश और दवा से कुछ फायदा हो और चलने फिरने लायक हो जाए कुछ दिन में", डॉक्टर ने एक कागज पर कुछ दवा लिखा और बाहर निकलने लगा|
"हस्पताल में भर्ती कराने से कुछ फायदा होगा क्या डॉक्टर साहब", बिटिया ने पूछा|
"कह नहीं सकता, हो भी सकता है", कहकर डॉक्टर निकल गया|
"माँ, बापू को हस्पताल ले चलते हैं, शायद ठीक हो जाए", बिटिया ने माँ की तरफ देखते हुए कहा|
उसने एक बार खाट पर पड़े लल्लू को देखा और फिर अपनी कमर में बंधे गांठ से कुछ रुपये निकाले|
"जा जरा पंसारी के यहाँ से टमाटर और प्याज तो ले आ", उसने बिटिया को रुपये पकड़ाते हुए कहा| बिटिया अचरज से उसका मुंह देखने लगी "अरे तू पगला गयी है, बापू खटिया पर पड़ा है और तुमको सब्जी की पड़ी है| बापू को कल हस्पताल ले चलते हैं किसी तरह"|
"रहने दे उसको ऐसे ही, कम से कम अब मुझे लात घूंसे तो नहीं लगाएगा| खाने के लिए तो वैसे भी मैं ही कमाती थी, यह तो सिर्फ दारू और मारपीट के लिए कमाता था| जा जल्दी से सामान लेकर आ, आज ठीक से खाना खाएंगे", कहकर उसने एक बार अपने पल्लू से आंसू पोंछा और जाकर लल्लू के सिरहाने बैठ गयी| बिटिया ने थोड़ी देर उसको और बापू को देखा और धीरे से किवाड़ भिड़काकर बाहर निकल गयी|
मौलिक एवम अप्रकाशित

Views: 619

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by विनय कुमार on July 2, 2017 at 9:14am

बहुत बहुत आभार आ बृजेश कुमार बज्र जी 

Comment by विनय कुमार on July 2, 2017 at 9:13am

बहुत बहुत आभार आ नीता कसार जी 

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on July 1, 2017 at 12:10pm
संवेदनाओं से परिपूर्ण लघु कथा के लिए बधाई
Comment by Nita Kasar on July 1, 2017 at 11:48am
हर महिला के लिये दुख और सुख के अपने अपने दायरे है,पत्नि का दुख अपनी जगह वाजिब है,बेटी का अपनी जगह ।शराबी हो पति तो पत्नि का सुखी होना मुश्किल है।संवेदनशील कथा के लिये बधाई आद० विनय सिंह जी ।
Comment by विनय कुमार on June 28, 2017 at 7:04pm

बहुत बहुत आभार आ समर कबीर साहब  

Comment by विनय कुमार on June 28, 2017 at 7:03pm

बहुत बहुत आभार आ मोहम्मद आरिफ साहब  

Comment by विनय कुमार on June 28, 2017 at 7:03pm

बहुत बहुत आभार आ तेजवीर सिंह जी 

Comment by Samar kabeer on June 28, 2017 at 3:02pm
जनाब विनय कुमार जी आदाब,बहुत उम्दा लघुकथा लिखी आपने,इस प्रस्तुति पर दिल से बधाई स्वीकार करें ।
Comment by Mohammed Arif on June 28, 2017 at 12:07pm
आदरणीय विनय कुमार जी आदाब, सशक्त और कटाक्षपूर्ण कथा । हार्दिक बधाई स्वीकार करें ।
Comment by TEJ VEER SINGH on June 28, 2017 at 11:19am

हार्दिक बधाई ।बेहतरीन प्रस्तुति।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

कुर्सी जिसे भी सौंप दो बदलेगा कुछ नहीं-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

जोगी सी अब न शेष हैं जोगी की फितरतेंउसमें रमी हैं आज भी कामी की फितरते।१।*कुर्सी जिसे भी सौंप दो…See More
3 hours ago
Vikas is now a member of Open Books Online
yesterday
Sushil Sarna posted blog posts
Monday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा दशम्. . . . . गुरु
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय । विलम्ब के लिए क्षमा "
Monday
सतविन्द्र कुमार राणा commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"जय हो, बेहतरीन ग़ज़ल कहने के लिए सादर बधाई आदरणीय मिथिलेश जी। "
Monday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"ओबीओ के मंच से सम्बद्ध सभी सदस्यों को दीपोत्सव की हार्दिक बधाइयाँ  छंदोत्सव के अंक 172 में…"
Sunday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ जी सादर प्रणाम, जी ! समय के साथ त्यौहारों के मनाने का तरीका बदलता गया है. प्रस्तुत सरसी…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"वाह वाह ..  प्रत्येक बंद सोद्देश्य .. आदरणीय लक्ष्मण भाईजी, आपकी रचना के बंद सामाजिकता के…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक भाई साहब, आपकी दूसरी प्रस्तुति पहली से अधिक जमीनी, अधिक व्यावहारिक है. पर्वो-त्यौहारों…"
Sunday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ भाईजी  हार्दिक धन्यवाद आभार आपका। आपकी सार्थक टिप्पणी से हमारा उत्साहवर्धन …"
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी छंद पर उपस्तिथि उत्साहवर्धन और मार्गदर्शन के लिए हार्दिक आभार। दीपोत्सव की…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय  अखिलेश कॄष्ण भाई, आयोजन में आपकी भागीदारी का धन्यवाद  हर बरस हर नगर में होता,…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service