"लकवा मार गया है, अब बिस्तर पर ही रहना पड़ेगा इसको| शायद मालिश और दवा से कुछ फायदा हो और चलने फिरने लायक हो जाए कुछ दिन में", डॉक्टर ने एक कागज पर कुछ दवा लिखा और बाहर निकलने लगा|
"हस्पताल में भर्ती कराने से कुछ फायदा होगा क्या डॉक्टर साहब", बिटिया ने पूछा|
"कह नहीं सकता, हो भी सकता है", कहकर डॉक्टर निकल गया|
"माँ, बापू को हस्पताल ले चलते हैं, शायद ठीक हो जाए", बिटिया ने माँ की तरफ देखते हुए कहा|
उसने एक बार खाट पर पड़े लल्लू को देखा और फिर अपनी कमर में बंधे गांठ से कुछ रुपये निकाले|
"जा जरा पंसारी के यहाँ से टमाटर और प्याज तो ले आ", उसने बिटिया को रुपये पकड़ाते हुए कहा| बिटिया अचरज से उसका मुंह देखने लगी "अरे तू पगला गयी है, बापू खटिया पर पड़ा है और तुमको सब्जी की पड़ी है| बापू को कल हस्पताल ले चलते हैं किसी तरह"|
"रहने दे उसको ऐसे ही, कम से कम अब मुझे लात घूंसे तो नहीं लगाएगा| खाने के लिए तो वैसे भी मैं ही कमाती थी, यह तो सिर्फ दारू और मारपीट के लिए कमाता था| जा जल्दी से सामान लेकर आ, आज ठीक से खाना खाएंगे", कहकर उसने एक बार अपने पल्लू से आंसू पोंछा और जाकर लल्लू के सिरहाने बैठ गयी| बिटिया ने थोड़ी देर उसको और बापू को देखा और धीरे से किवाड़ भिड़काकर बाहर निकल गयी|
मौलिक एवम अप्रकाशित
Comment
बहुत बहुत आभार आ बृजेश कुमार बज्र जी
बहुत बहुत आभार आ नीता कसार जी
बहुत बहुत आभार आ समर कबीर साहब
बहुत बहुत आभार आ मोहम्मद आरिफ साहब
बहुत बहुत आभार आ तेजवीर सिंह जी
हार्दिक बधाई ।बेहतरीन प्रस्तुति।
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