For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मापनी २२१२ २२१२ २२१२  

 

आ  तो सही  एक  बार मेरे गाँव में

अद्भुत अतिथि सत्कार मेरे गाँव में

 

हर वक्त  रहते  हैं खुले सबके लिए

सबके दिलों के  द्वार  मेरे  गाँव  में

 

तालाब  नदियाँ और पनघट की छटा

है  प्रीति  का  विस्तार  मेरे  गाँव  में

 

सम्मान  पूरा  है  बुजुर्गों   का  यहाँ

होते   नहीं  वे  भार  मेरे   गाँव  में

 

सब बाँटते मिल साथ में सुख और दुख   

हो  जीत  या  फिर  हार  मेरे गाँव में

"मौलिक एवं अप्रकाशित" 

Views: 738

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by बसंत कुमार शर्मा on July 17, 2017 at 3:53pm

आदरणीय  Hari Prakash Dubey जी दिल से शुक्रिया आपकी हौसला अफजाई के लिए 

Comment by बसंत कुमार शर्मा on July 17, 2017 at 3:52pm

आदरणीय KALPANA BHATT जी दिल से शुक्रिया आपकी हौसला अफजाई के लिए 

Comment by बसंत कुमार शर्मा on July 17, 2017 at 3:52pm

आदरणीय narendrasinh chauhan  जी दिल से शुक्रिया आपकी हौसला अफजाई के लिए 

Comment by Hari Prakash Dubey on July 16, 2017 at 4:53pm

आदरणीय  बसंत कुमार शर्मा  जी  सुन्दर ग़ज़ल  है । हार्दिक बधाई आपको ! सादर 

Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on July 16, 2017 at 3:49pm

बढ़िया ग़ज़ल कही है अपने आदरणीय | बधाई स्वीकारें |

Comment by narendrasinh chauhan on July 15, 2017 at 4:21pm

खुब  सुन्दर रचना 

Comment by बसंत कुमार शर्मा on July 13, 2017 at 10:08am

आदरणीय Mahendra Kumar जी दिल से शुक्रिया आपकी हौसला अफजाई के लिए 

Comment by बसंत कुमार शर्मा on July 13, 2017 at 10:08am

आदरणीय khursheed khairadi जी दिल से शुक्रिया आपकी हौसला अफजाई का 

Comment by बसंत कुमार शर्मा on July 13, 2017 at 10:07am

आदरणीय  laxman dhami जी दिल से शुक्रिया आपकी हौसला अफजाई के लिए 

Comment by बसंत कुमार शर्मा on July 13, 2017 at 10:07am

आदरणीय डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव जी हौसला अफजाई के लिए दिल से शुक्रिया आपका.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh commented on PHOOL SINGH's blog post यथार्थवाद और जीवन
"सुविचारित सुंदर आलेख "
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post घाव भले भर पीर न कोई मरने दे - लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"बहुत सुंदर ग़ज़ल ... सभी अशआर अच्छे हैं और रदीफ़ भी बेहद सुंदर  बधाई सृजन पर "
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (अलग-अलग अब छत्ते हैं)
"आ. भाई अजय जी, सादर अभिवादन। परिवर्तन के बाद गजल निखर गयी है हार्दिक बधाई।"
Thursday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन गजल हुई है। सार्थक टिप्पणियों से भी बहुत कुछ जानने सीखने को…"
Thursday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन। सुंदर गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"आ. भाई बृजेश जी, सादर अभिवादन। गीत का प्रयास अच्छा हुआ है। पर भाई रवि जी की बातों से सहमत हूँ।…"
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

घाव भले भर पीर न कोई मरने दे - लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

अच्छा लगता है गम को तन्हाई मेंमिलना आकर तू हमको तन्हाई में।१।*दीप तले क्यों बैठ गया साथी आकर क्या…See More
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहते हो बात रोज ही आँखें तरेर कर-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और स्नेह के लिए आभार। यह रदीफ कई महीनो से दिमाग…"
Tuesday
PHOOL SINGH posted a blog post

यथार्थवाद और जीवन

यथार्थवाद और जीवनवास्तविक होना स्वाभाविक और प्रशंसनीय है, परंतु जरूरत से अधिक वास्तविकता अक्सर…See More
Tuesday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"शुक्रिया आदरणीय। कसावट हमेशा आवश्यक नहीं। अनावश्यक अथवा दोहराए गए शब्द या भाव या वाक्य या वाक्यांश…"
Monday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीया प्रतिभा पाण्डेय जी।"
Monday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"परिवार के विघटन  उसके कारणों और परिणामों पर आपकी कलम अच्छी चली है आदरणीया रक्षित सिंह जी…"
Monday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service