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कोई हसरत उफ़ान तक आई

2122 1212 22

बात दिल की जुबान तक आई ।
कोई हसरत उफ़ान तक आई ।।

मैं नहीं बन्द कर रहा कोटा ।
यह बहस संविधान तक आई ।।

हौसले फिर जले सवर्णो के ।
रोशनी आसमान तक आई ।।

फायदा क्या मिला हुकूमत से ।
बस नसीहत लगान तक आयी ।।

मिटती हस्ती को देखता हूँ मैं ।
आंख जब भी रुझान तक आई ।।

यह नदी इंतकाम की खातिर ।
आज हद के निशान तक आई ।।

हक जो मांगा है,औरतों ने कभी ।
रोज चर्चा कुरान तक आई ।।

बूंद भर ही सही मगर स्याही ।
तेरे झूठे गुमान तक आई ।।

तीर बेशक नही चला लेकिन ।
एक उगली कमान तक आई ।।

फंस गई जाल में वही चिड़िया ।
जो थी लम्बी उड़ान तक आई ।।

जुर्म पकड़ा गया है फिर उसका ।
खोज ऊंचे मचान तक आई ।।

खूब बारूद का सिला लेकर ।
कोई आफ़त मकान तक आई ।।

नवीन मणि त्रिपाठी
मौलिक अप्रकाशित

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Comment by बसंत कुमार शर्मा on July 18, 2017 at 4:54pm

बेहतरीन ग़ज़ल के बहुत बहुत मुबारकबाद , वाह वाह वाह 

Comment by Ravi Shukla on July 17, 2017 at 6:24pm
आदरणीय नवीन जी एक अच्छी ग़ज़ल के लिए आपको दिली मुबारकबाद पेश करते हैं कुरान शब्द पर हम आदरणीय समर साहब से सहमत हैं हिंदी में रुझान हमने भी पढ़ा है इसलिए रुझान पर हमारा भी वही मत है जो आपका है हां सियाही शब्द पर हम राय जानना चाहेंगे विद्वज्जन की क्योंकि सही लफ्ज़ सियाही है जिसका वज़्न 122 होने से बह्र खारिज़ हो जाएगी।
Comment by Samar kabeer on July 16, 2017 at 6:38pm
'रुझान'अगर हिन्दी का है तो ठीक है,लेकिन पहले इत्मीनान कर लीजिए,और सही हो तो मुझे भी बताइये,इस शब्द पर गुणीजन भी अपना मत रखें ।
Comment by Naveen Mani Tripathi on July 16, 2017 at 6:25pm
आ0 कबीर साहब कुरआन से सहमत हूँ पर रुझान उर्दू में रुज हान और हिंदी में रुझान है ऐसा लगता है । रुझान सम्भवतः हिंदी शब्द भी है ।
Comment by Naveen Mani Tripathi on July 16, 2017 at 5:14pm
आ0 नरेंद्र सिंह चौहान जी आभार
Comment by Naveen Mani Tripathi on July 16, 2017 at 5:13pm
आ0 मुहम्मद आरिफ साहब सादर आभार।
Comment by Naveen Mani Tripathi on July 16, 2017 at 5:11pm
आ0 गुरु प्रीत सिंह जी सादर आभार ।
Comment by Naveen Mani Tripathi on July 16, 2017 at 5:10pm
आ0 लक्ष्मण धामी सर आभार ।
Comment by Naveen Mani Tripathi on July 16, 2017 at 5:09pm
आ0 समर कबीर सर सादर नमन और आभार ।
Comment by Naveen Mani Tripathi on July 16, 2017 at 5:08pm
आ0 हरि प्रकाश दुबे जी सादर आभार ।

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