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आ. सतविन्द्र भाई , मुझे मालूम है कि मे और जोड़ने से मिसरा बेबहर हो जायेगा , भाषा के हिसाब से -- मे झलक है.. कहना पूर्न होगा ।
चाहें तो आप ऐसा कह सकतेहैं --- हँसी मे आपकी गम की झलक है --
वैसे आप चाहें तो वही मिसरा रखें .. आप इसके लिये स्वतंत्र हैं ।
आदरणीय सतविन्द्र भाई , अच्छी गज़क हुई है , शे र दर शेर बधाई स्वीकार करें ।
मतले के इस मिसरे में --बनावट की हँसी ( में ) गम की झलक है -- ' में ' की कमी लग रही है ।
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