For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

तिरी नज़रों में ....संतोष

तिरी नज़रों में ये  बात नज़र आती है
मिरी याद तो तुझे आज भी आती है

ये चाहत का मामला है जनाब,
दिल की कशिश है,लौट आती है

छुपा लो लाख इसे तुम दिल में मगर,
बात दुनियाँ को भी नज़र आती है

दिल गिरफ़्त में है और क़ैद भी'संतोष'
चाहत तिरी वो ज़ंजीर नज़र आती है
#संतोष
(मौलिक एवं अप्रकाशित)

Views: 840

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by santosh khirwadkar on August 11, 2017 at 7:19am
जी आदरणीय समर साहब , ख़ूब कहा आपने,..हाहा
Comment by Samar kabeer on August 10, 2017 at 11:49pm
'जो सोचते ही रह गए,वो रह गए इधर
जिसने लगाई ऐड वो ख़ंदक़ के पार था'
संकोच करोगे तो कुछ नहीं मिलने वाला,हा हा हा.....
Comment by santosh khirwadkar on August 10, 2017 at 10:25pm
आदरणीय समर साहब , हृदय से आभार! वास्तव में दिल की बात आप से बयाँ करने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहा था! अब जब कभी भी लगा तो निःसंकोच आप से सीधी बात कर लिया करूँगा! आप का आशीर्वाद ,स्नेह अपेक्षित!!
Comment by santosh khirwadkar on August 10, 2017 at 7:00pm
आदरणीय भंडारी जी , शुक्रिया!! मैं निश्चित ही प्रयत्न करूँगा!!
Comment by santosh khirwadkar on August 10, 2017 at 6:58pm
आदरणीय समर साहब चरण स्पर्श, आप की बातों से शत् प्रतिशत सहमत हूँ ,किंतु क्षमा चाहूँगा ,उपलब्ध सामग्री को मात्र पढ़कर प्रयास करना बहुत कठिन हो रहा है ,मेरे व्यक्तिगत मतानुसार इन तकनीकी बारीकियों का प्रशिक्षण विस्तृत रूप में अथवा प्रत्यक्ष रूप में ज़ियादा बेहतर साबित हो सकता है!!किंतु आप के मार्गदर्शनानुसार और गहन अध्ययन का प्रयास करूँगा!!
आभार!!
Comment by santosh khirwadkar on August 10, 2017 at 6:49pm
आदरणीय उस्मानी जी ,हृदय से आभार /शुक्रिया....नवाज़िश!!

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on August 9, 2017 at 6:53pm

आदरनीय संतोष भाई . प्रस्तुति के लिये आपको बधाई । यह मंच सीखाने - सिखाने का मंच है , जिस विधा मे आपकी रुचि हो उस विधा की जानकारियाँ यहाँ मिल जायेंगी , चाहें तो फायदा उठाइये । आ. समर भाई जी की बतों पर गौर करें ।

Comment by Samar kabeer on August 9, 2017 at 6:47pm
जनाब संतोष जी आदाब,आप ग़ज़ल कहना चाहते हैं लेकिन बिना अध्यन किये ये सम्भव नहीं होगा,पहले भी निवेदन किया था कि मंच पर ग़ज़ल की कक्षा और ग़ज़ल की बातें समूह में इस विधा पर आलेख मौजूद हैं,उनका ध्यानपूर्वक अध्यन करें और उसके बाद प्रयास करेंगे तो सार्थक होगा ।
बहरहाल इस प्रस्तुति पर बधाई आपको ।
Comment by Sheikh Shahzad Usmani on August 9, 2017 at 6:15pm
// छुपा लो लाख इसे तुम दिल में मगर,बात दुनियाँ को भी नज़र आती है// बहुत बढ़िया अशआर के लिए तहे दिल से बहुत-बहुत बधाई आदरणीय संतोष जी।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 164 in the group चित्र से काव्य तक
"मनहरण घनाक्षरी छंद ++++++++++++++++++ कुंभ उनको जाना है, पुन्य जिनको पाना है, लाखों पहुँचे प्रयाग,…"
2 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 164 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय मंच संचालक , पोस्ट कुछ देर बाद  स्वतः  डिलीट क्यों हो रहा है |"
2 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . जीत - हार

दोहा सप्तक. . . जीत -हार माना जीवन को नहीं, अच्छी लगती हार । संग जीत के हार से, जीवन का शृंगार…See More
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 164 in the group चित्र से काव्य तक
"आयोजन में आपका हार्दिक स्वागत है "
yesterday
Admin posted a discussion

"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119

आदरणीय साथियो,सादर नमन।."ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119 में आप सभी का हार्दिक स्वागत है।"ओबीओ…See More
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहा दसक- झूठ
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। दोहों पर आपकी उपस्थिति और प्रशंसा से लेखन सफल हुआ। स्नेह के लिए आभार।"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . पतंग
"आदरणीय सौरभ जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार आदरणीय "
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post शर्मिन्दगी - लघु कथा
"आदरणीय सौरभ जी सृजन के भावों को मान देने एवं सुझाव का का दिल से आभार आदरणीय जी । "
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . जीत - हार
"आदरणीय सौरभ जी सृजन पर आपकी समीक्षात्मक प्रतिक्रिया एवं अमूल्य सुझावों का दिल से आभार आदरणीय जी ।…"
Tuesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। सुंदर गीत रचा है। हार्दिक बधाई।"
Feb 17
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"आ. भाई सुरेश जी, अभिवादन। सुंदर गीत हुआ है। हार्दिक बधाई।"
Feb 17
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं।भाई अशोक जी की बात से सहमत हूँ। सादर "
Feb 17

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service