For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

चाँद ढूँढ रहे हो ??......संतोष

क्यूँ आसमां में चाँद ढूँढ रहे हो,
वो मेरे पास उतर आया है

हाँथों की इन लकीरों में जैसे मेरे,
ज़िंदगी बन के चला आया है

आईना सा था वो बिल्कुल साफ़,
छूने से मेरे ,उस पर कुछ दाग़ उभर आया है

चमकता सितारा हूँ ज़मीं पर उसका,
वो आसमाँ सा ज़मीं को सजाने आया है

ये मेरी मुहब्बत ही तो है उससे,
वो मुझसे मिलने ज़मीं तक आया है

जलते हो तो जलो ए दुनियाँ वालों तुम,
वो मुझसे ईद मुबारक़ कहने आया है
#संतोष
9826052771
[मौलिक एवं अप्रकाशित]

Views: 554

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by santosh khirwadkar on August 11, 2017 at 7:25am
आदरणीय धामी जी ,हृदय से धन्यवाद!!!
Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on August 11, 2017 at 7:01am
....हार्दिक बधाई।
Comment by santosh khirwadkar on August 8, 2017 at 7:46pm

प्रणाम आदरणीय समर साहब , शुक्रिया !!

आप सभी वरिष्ठों के मार्गदर्शन से कुछ न कुछ सीखने को मिल रहा हैं ! मेरे लिए प्रत्येक सलाह /विचार /प्रतिक्रिया एक पाठ हैं ,जिससे सतत कुछ सीखने का प्रयत्न जारी है !!

Comment by Samar kabeer on August 8, 2017 at 4:15pm
जनाब संतोष जी आदाब,अच्छा प्रयास है,बधाई स्वीकार करें ।
जनाब रवि शुक्ला जी की बातों पर ध्यान दें ।
Comment by santosh khirwadkar on August 8, 2017 at 1:14pm

जी आदरणीय रवि जी नमस्कार , मै सतत इस प्रयत्न में लगा हुआ हूँ !!
आभार

Comment by Ravi Shukla on August 8, 2017 at 1:10pm

आदरणीय संतोष जी रचना का स्‍वागत है इस मंच पर हर विधा पर सीखने के लिये बहुत जानकारी है और विधा के जानकार लोग भी है आप पहले उस विधा के बारेमें उपलब्‍ध आलेख पढ लें फिर प्रयास करें तो कुछ सार्थक हो सकेगा । सादर

Comment by santosh khirwadkar on August 8, 2017 at 12:38pm

प्रणाम आदरणीय आरिफ साहब , आप के इस मार्गदशन हेतु ह्रदय से सदैव आभारी रहूँगा ! 

Comment by Mohammed Arif on August 8, 2017 at 12:31pm
आदरणीय संतोष जी आदाब, दरअसल ओबीओ सीखने-सिखाने का लब्धप्रतिष्ठित मंच है । आपकी प्रस्तुति उत्साह जगाती है । इस रचना को ग़ज़ल विधा में कहा जाय तो यह रचना बड़ी ही प्रभावोत्पादक बन सकती है । सादर ।
Comment by santosh khirwadkar on August 8, 2017 at 11:14am

आदरणीय आरिफ साहब प्रणाम , इस मंच पर स्पष्ट रूप में स्वीकार करूँ तो ये रचना किस विधा में हैं यह स्पष्ट करना मेरे लिए असंभव ही है , मुझे यह ज्ञात भी नहीं एवं अनभिज्ञ भी हूँ ! आप जैसे इस मंच पर कई जानकर लोग जो प्रत्येक विधा में अपना स्वामित्व रखते हैं ,के सानिध्य में कुछ सीखने का प्रयास भर है !!
आभार एवं धन्यवाद !!

Comment by Mohammed Arif on August 8, 2017 at 10:15am
आदरणीय संतोष जी आदाब, रचना का बेहतरीन प्रयास । मैं समझ नहीं पाया कि आख़िर यह रचना आपने कौन-सी विधा में लिखी है । स्पष्ट करने की कृपा करें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

रक्षिता सिंह replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"सादर प्रणाम, आदरणीय ।"
9 hours ago
रक्षिता सिंह replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"सुन, ससुराल में किसी से दब के रहने की कोई ज़रूरत नहीं है। अरे भाई, हमने कोई फ्री में सादी थोड़ी की…"
9 hours ago
Nilesh Shevgaonkar shared their blog post on Facebook
15 hours ago
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"स्वागतम"
yesterday
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"आदरणीय गजेंद्र जी, हृदय से आभारी हूं आपकी भावना के प्रति। बस एक छोटा सा प्रयास भर है शेर के कुछ…"
yesterday
Gajendra shrotriya replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"इस कठिन ज़मीन पर अच्छे अशआर निकाले सर आपने। मैं तो केवल चार शेर ही कह पाया हूँ अब तक। पर मश्क़ अच्छी…"
yesterday
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"आदरणीय गजेंद्र ji कृपया देखिएगा सादर  मिटेगा जुदाई का डर धीरे धीरे मुहब्बत का होगा असर धीरे…"
yesterday
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"चेतन प्रकाश जी, हृदय से आभारी हूं।  साप्ताहिक हिंदुस्तान में कोई और तिलक राज कपूर रहे होंगे।…"
yesterday
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"धन्यवाद आदरणीय धामी जी। इस शेर में एक अन्य संदेश भी छुपा हुआ पाएंगे सांसारिकता से बाहर निकलने…"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"आदरणीय,  विद्यार्जन करते समय, "साप्ताहिक हिन्दुस्तान" नामक पत्रिका मैं आपकी कई ग़ज़ल…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"वज़न घट रहा है, मज़ा आ रहा है कतर ले मगर पर कतर धीरे धीरे। आ. भाई तिलकराज जी, बेहतरीन गजल हुई है।…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"आ. रिचा जी, अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए धन्यवाद।"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service