For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

गजल(आज चढ़ता जा रहा पारा बहुत)

2122 2122 212
आज चढ़ता जा रहा पारा बहुत
मौसमों ने भी लिया बदला बहुत।1

बर्फ पिघली,बह गया पानी कहाँ?
हो गया ऊँचा शिखर बौना बहुत।2

फिर चिरागों ने दबोची रोशनी
वक्त गुजरा याद है आता बहुत।3

नाचघर-सी हो गयी संसद भली
भांड ढुलमुल नाचता-गाता बहुत।4

आसमानों में चढ़ीं दुश्वारियाँ
भाव हीरों का लगा पौना बहुत।5

बदगुमानी का सबब हैं कुर्सियाँ
कर्मियों ने भाड़ ही झोका बहुत?6

पार उतरे वे समंदर के,उड़े,
रह गया है आज पछतावा बहुत।7

रेत बनती जा रही प्यासी जमीं
और सबने और भी खोदा बहुत।8

क्या करेंगे आप मरकर?बोलिये,
आदमी ने लाश को गोदा बहुत।9
'मौलिक व अप्रकाशित'

Views: 1000

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Manan Kumar singh on August 15, 2017 at 6:51pm
आपका आभार आदरणीय विजय जी।
Comment by Manan Kumar singh on August 15, 2017 at 6:51pm
आपका आभार आदरणीय बृज जी।
Comment by vijay nikore on August 15, 2017 at 4:05pm

अच्छी गज़ल के लिए बधाई

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on August 14, 2017 at 11:01pm
बहुत ही सटीक समसामयिक ग़ज़ल कही है आदरणीय..सादर
Comment by Manan Kumar singh on August 14, 2017 at 7:47pm
बहुत बहुत आभार आदरणीय गुरमीत सिंह जी।
Comment by Gurpreet Singh jammu on August 14, 2017 at 12:24pm

बर्फ पिघली,बह गया पानी कहाँ?
हो गया ऊँचा शिखर बौना बहुत।2
वाह आदरणीय मनन कुमार सिंह जी,, बहुत अच्छी ग़ज़ल कही आपने,,
"फिर चिरागों ने दबोचा रोशनी को"
इस मिसरे में अंत में एक मात्रा बढ़ रही है,, सो बे बह्र हो रहा है,,,

Comment by Manan Kumar singh on August 13, 2017 at 6:21pm
आदरणीय नीरज जी ,शुक्रिया।आजकल लाशों पर भी रहम कहाँ की जाती है?
Comment by Manan Kumar singh on August 13, 2017 at 6:19pm
आदरणीय बसंत शर्मा जी,आपका आभार।
Comment by Niraj Kumar on August 12, 2017 at 6:45pm

आदरणीय मनन जी,

आखिरी शेर अस्पष्ट है. बाकी सारे शेर अच्छे लगे. दाद के साथ मुबारकबाद.

सादर 

Comment by बसंत कुमार शर्मा on August 11, 2017 at 11:11am

बहुत बढ़िया ग़ज़ल हुई आदरणीय, सटीक तंज , वाह वाह , बहुत बहुत बधाई आपको 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , ग़ज़ल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका हार्दिक आभार "
2 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। उत्तम गजल हुई है। हार्दिक बधाई। कोई लौटा ले उसे समझा-बुझा…"
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी

२१२२       २१२२        २१२२   औपचारिकता न खा जाये सरलता********************************ये अँधेरा,…See More
11 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post छन्न पकैया (सार छंद)
"आयोजनों में सम्मिलित न होना और फिर आयोजन की शर्तों के अनुरूप रचनाकर्म कर इसी पटल पर प्रस्तुत किया…"
14 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन पर आपकी विस्तृत समीक्षा का तहे दिल से शुक्रिया । आपके हर बिन्दु से मैं…"
yesterday
Admin posted discussions
yesterday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय सुशील सरनाजी, आपके नजर परक दोहे पठनीय हैं. आपने दृष्टि (नजर) को आधार बना कर अच्छे दोहे…"
Monday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"प्रस्तुति के अनुमोदन और उत्साहवर्द्धन के लिए आपका आभार, आदरणीय गिरिराज भाईजी. "
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी

२१२२       २१२२        २१२२   औपचारिकता न खा जाये सरलता********************************ये अँधेरा,…See More
Sunday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा दशम्. . . . . गुरु

दोहा दशम्. . . . गुरुशिक्षक शिल्पी आज को, देता नव आकार । नव युग के हर स्वप्न को, करता वह साकार…See More
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल आपको अच्छी लगी यह मेरे लिए हर्ष का विषय है। स्नेह के लिए…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service