(फाइलातुन -फाइलातुन -फाइलातुन - फाइलुन /फाइलात )
शाम होते ही सितम ढाए सदा तेरा ख़याल |
दिल से बाहर ही न निकले दिलरुबा तेरा ख़याल |
देखता हूँ जब भी मैं नाकाम दीवाना कोई
यक बयक आता है मुझको बे वफ़ा तेरा ख़याल |
उम्र भर कैसे निभेगा साथ मुश्किल है यही
है अलग मेरा तसव्वुर और जुदा तेरा ख़याल |
हो न हो तुझको यकीं लेकिन है सच्चाई यही
किस ने आख़िर है किया मेरे सिवा तेरा ख़याल |
ढोंग तू फिरक़ा परस्ती को मिटाने का न कर
नफ़रतों में देख है डूबा हुआ तेरा ख़याल |
फ़र्हतें मिलते ही इन्सा भूल जाता है तुझे
वक़्ते मुश्किल आए सबको ही ख़ुदा तेरा ख़याल|
ज़िंदगानी का सफ़र तस्दीक़ कट पाएगा यूँ
मेरा तू और मैं रखूं जाने अदा तेरा ख़याल |
( मौलिक व अप्रकाशित )
Comment
जनाब तस्दीक साहब, बहुत ही उम्दा ग़ज़ल हुई है, दाद के साथ मुबारकबाद. मतला भी ख़ूबसूरत है. ये अशआर भी दिल को लुभा गए:
उम्र भर कैसे निभेगा साथ मुश्किल है यही
है अलग मेरा तसव्वुर और जुदा तेरा ख़याल |
हो न हो तुझको यकीं लेकिन है सच्चाई यही
किस ने आख़िर है किया मेरे सिवा तेरा ख़याल |
फ़र्हतें मिलते ही इन्सा भूल जाता है तुझे
वक़्ते मुश्किल आए सबको ही ख़ुदा तेरा ख़याल|
सादर
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