For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

बरखा ( सार छंद- १६,१२)


छन्न पकैया छन्न पकैया , आयी बरखा रानी
बोली बच्चों अंदर बैठो  , मेरी बूढ़ी नानी |

छन्न पकैया छन्न पकैया , भूख लगी है नानी
गरमा गरम पकौड़े खाएं , बोली गुड़ियाँ रानी |

छन्न पकैया छन्न पकैया , सबर रखो तुम मुनिया
मंडी से लाना होगा अब , प्याज , मिर्च औ धनियाँ|

छन्न पकैया छन्न पकैया , मिलकर खाओ भैया
आओ फिर हम नाचे गायें, करके ता ता थैया |

छन्न पकैया छन्न पकैया , जब जब भरता पानी
छप छप करते हैं पानी में , करते हम मनमानी |

मौलिक और अप्रकाशित

Views: 962

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on August 23, 2017 at 8:59pm

आदरणीया कल्पना जी , सार छंद बढिया रचे हैं आपने , हार्दिक बधाइयाँ !

Comment by pratibha pande on August 22, 2017 at 9:04am

बारिश की मस्ती को खूब पिरोया है आपने छंदों में .   हार्दिक बधाई   आदरणीया कल्पना जी 

Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on August 21, 2017 at 10:30pm
Ji bhai ji
Comment by Samar kabeer on August 21, 2017 at 10:21pm
बहना कल्पना भट्ट जी आदाब,बहुत सुंदर सारछन्द रचे आपने,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।
जनाब अशोक रक्ताले जी ने बड़ी गुर की बात बताई है,कुछ टंकण त्रुटियां भी देख लीजियेग ।
Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on August 20, 2017 at 9:19pm

जी सर 'बोली बच्चों अंदर बैठो ' सही लग रहा है | सादर धन्यवाद आदरणीय |

Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on August 20, 2017 at 9:16pm

जी  सर गेयता में बोली बच्चों अंदर बैठो सही लग रहा है | सादर धन्यवाद आदरणीय |

Comment by Ashok Kumar Raktale on August 20, 2017 at 9:05pm

आदरणीया कल्पना भट्ट जी सादर, बहुत सुंदर सार छंद रचे हैं आपने.  बहुत-बहुत बधाई स्वीकारें. फिरभी लिखने के साथ छंद को गाकर भी देखें तो प्रवाह से शब्द संयोजन में मदद होगी. जैसे  'अन्दर बैठो बच्चों बोली' इस पंक्ति को 'बोली बच्चों अन्दर बैठो'  कर देखें गेयता बढती है या नहीं.  सादर. 

Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on August 20, 2017 at 8:33pm

सादर धन्यवाद सभी पाठकों को |

Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on August 20, 2017 at 8:20pm

धन्यवाद आदरणीय सुरेन्द्र नाथ सिंह जी |

Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on August 20, 2017 at 8:20pm

धन्यवाद् आदरणीया सुनंदा जी |

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"प्रस्तुति को आपने अनुमोदित किया, आपका हार्दिक आभार, आदरणीय रवि…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय जयहिंद रायपुरी जी इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई स्वीकारें। सादर"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश जी इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई स्वीकारें। सादर"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई स्वीकारें। सादर"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय, मैं भी पारिवारिक आयोजनों के सिलसिले में प्रवास पर हूँ. और, लगातार एक स्थान से दूसरे स्थान…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय जयहिन्द रायपुरी जी, सरसी छंदा में आपकी प्रस्तुति की अंतर्धारा तार्किक है और समाज के उस तबके…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश भाईजी, आपकी प्रस्तुत रचना का बहाव प्रभावी है. फिर भी, पड़े गर्मी या फटे बादल,…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, आपकी रचना से आयोजन आरम्भ हुआ है. इसकी पहली बधाई बनती…"
Sunday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय / आदरणीया , सपरिवार प्रातः आठ बजे भांजे के ब्याह में राजनांदगांंव प्रस्थान करना है। रात्रि…"
Sunday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छन्द ठिठुरे बचपन की मजबूरी, किसी तरह की आग बाहर लपटें जहरीली सी, भीतर भूखा नाग फिर भी नहीं…"
Saturday
Jaihind Raipuri joined Admin's group
Thumbnail

चित्र से काव्य तक

"ओ बी ओ चित्र से काव्य तक छंदोंत्सव" में भाग लेने हेतु सदस्य इस समूह को ज्वाइन कर ले |See More
Saturday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छंद +++++++++ पड़े गर्मी या फटे बादल, मानव है असहाय। ठंड बेरहम की रातों में, निर्धन हैं…"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service