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बहर - 2122 2122 2122 212

एक तितली का चमन मे आना जाना हो गया .....
देख ..उसको एक गुल यारों दिवाना हो गया ....

उनकी हर तस्वीर मेरे दिल मे धुँधली हो गई
उनको .. देखें दोस्तों जो इक ज़माना हो गया ....

देख मुझको वो मुसलसल मुस्कुराती ही रही
क्या.... सही मेरी निग़ाहों का निशाना हो गया ....

एक बच्चा खा रहा था कूड़े से जूठन , उसे
देखकर ....मेरे लबों से दूर दाना हो गया ..

जी , शहद जितनी मुझे हर पल मिठास आने लगी
अपना रिश्ता लगता है यारों पुराना हो गया .....

मैंने .....तो बस चाह की उनके हसीं दीदार की ,
रुख से उनका उस ही पल पर्दा हटाना हो गया ....

अपने छोटे मुख से जब उसने कहीं बातें बड़ी ,
हर कुई महफ़िल में फिर उसका दिवाना हो गया ....

मैंने .... जब प्रमाण माँगा उनके होने का यहाँ ,
पत्थरों का फिर निग़ाहों को बहाना हो गया .....

मौलिक और अप्रकाशित ...

पंकजोम " प्रेम ".

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Comment

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Comment by पंकजोम " प्रेम " on September 20, 2017 at 8:23pm
जी आ0 समर दादा ...... मैं ध्यान रखूँगा आपके आशिर्वाद का दिल से शुक्रगुज़ार हूँ
Comment by Samar kabeer on September 20, 2017 at 2:20pm
जनाब पंकजोम"प्रेम"जी आदाब,ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है,बधाई स्वीकार करें ।
जनाब निलेश जी की बातों पर ध्यान दें ।
Comment by पंकजोम " प्रेम " on September 19, 2017 at 7:01pm
बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय सलीम भाई जी .....
Comment by पंकजोम " प्रेम " on September 19, 2017 at 7:00pm
जी नीलेश दादा .... आपके आशिर्वाद से और निखार आ गया ग़ज़ल में ...... बेहद शुक्रगुज़ार हूँ , आपके आशिर्वाद का ....
Comment by Nilesh Shevgaonkar on September 19, 2017 at 1:02pm

आ. पंकजोम प्रेम जी,
आपको मंच पर  पहली बार पढने का अवसर मिला है.
ग़ज़ल सिर्फ शब्दों का संयोजन अथवा भावों की मालिका नहीं है. ग़ज़ल में भी बनते कोशिश व्याकरण के नियमों जैसे कर्ता ने कर्म को..आदि का ख़याल रखा जाय तो मिसरे भी बेहतर  होते हैं    और ग़ज़लियत भी बढती है ..
इस ग़ज़ल में एक दो उदाहरण देता हूँ..
.
१)
एक तितली का चमन में आना जाना  हो गया .....

देखकर  यारों उसे इक गुल दिवाना हो गया  यारों दीवाना और गुल दीवाना हो गया में बारीक़ अंतर है लेकिन   प्रभाव आप स्वयं देख सकते हैं..
२) 
जी , शहद जितनी मुझे मीठी मिठास आने लगी.... मीठी मिठास क्या होती है.. मिठास पर्याप्त है ..
रिश्ता शायद लगता है अपना पुराना हो गया ..... लगता है ..में अपने आप शायद वाला भाव समाहित है. अपना पुराना हो गया को रिश्ता पुराना हो गया में बाँधिए ..
प्रयास करते  रहिये..शुभ भाव 

Comment by SALIM RAZA REWA on September 19, 2017 at 10:55am
भाई प्रेम जी,
ख़ूबसूरत ग़ज़ल के लिए बधाई,

कृपया ध्यान दे...

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