काफिया : आये ; रदीफ़ :न बने
बहर : ११२२-| ११२२ ११२२ २२/११२
२१२२}
तंज़ सुनना तो’ विवशता है’, सुनाये न बने
दर्द दिल का न दिखे और दिखाए न बने |
पाक से हम करे’ क्या बात बिना कुछ मतलब
क्यों करे श्रम जहाँ’ की बात बनाए न बने |
क्या कहूँ उनके’ हुनर की, है’ अनोखा अनजान
यही’ तारीफ़ कि हमको न सताए न बने |
कर्म इंसान का’ हो ठीक सितारा जैसा
कर्म काला किया’ तो चेहरा’ दिखाए न बने |
हाथ की रेखा’ बताती है’ कि आगे क्या है
मर्द तक़दीर जो’ बिगड़े तो’ बनाए न बने |
प्रेम करने गया’ था पर बना’ बेचारा बैर
नफरतों की जो’ लगी आग बुझाए न बने |
न हुई गंगा’ सफाई कई’ सालों के बाद
भक्त जाते हैं’ नहाने तो’ नहाए न बने |
मौलिक और अप्रकाशित
Comment
आ सलीम रज़ा रेवा जी, आ शिज्जू 'शकूर' जी और आ निलेश शेवगांवकर जी , ब्लॉग पर शिरकत करने और सलाह देने के लिए आप तीनों को तहे दिल से शुक्रिया | आदाब
आ.कालीपद मंडल सर ग़ज़ल पर आप निस्संदेह मेहनत कर रहे हैं, शुभकामनाएं आपको मोहतरम समर कबीर साहब अपनी बात कह चुके हैं
सादर
आ. मण्डल जी,
प्रस्तुति के लिए बधाई ...ग़ज़ल को और समय दीजिये..
समर सर सब कह ही चुके हैं.
सादर
आदरणीय कालीपद जी सुंदर ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई।
शुक्रिया आ सुरेन्द्र नाथ सिंह 'कुश क्षत्रप'जी , सादर
आदरणीय समर कबीर साहिब , आदाब , आप विन्तुवत सलाह देते आये हैं मुझे और मैं उसी के मुताबिक सुधार करता आया हूँ | यहाँ किस विन्दु पर मुझे और समय देना है , क्रपया इंगित करे | विषय इतना विस्तृत है कि हर बात दिमाग में रहती नहीं है | सादर
आदरणीय मोहम्मद आरिफ साहब ,आदाब , इन्तेजार यही है कि गुणी जन विन्दुवत सुधार के लिए सलाह दें तो कुछ सुधार कर सकूँ | आभारी रहूँगा
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online