For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मधु-मीतों का व्यक्तिवाद (लघुकथा)/ शेख़ शहज़ाद उस्मानी

"धर्मों, महात्माओं की गरिमा की तो धज्जियां उड़ रही हैं! कितने पवित्र नाम कैसी-कैसी मानसिकताओं के साथ जुड़ गए!"
"नयी पीढ़ी है, उसकी अपनी सोच विकसित हुई है वैश्वीकरण और इंटरनेट के दौर में!"
"क्या यही है जीवन जीने की कला? यह कैसा विकृत रूप है धर्मों, धर्मावलंबियों और विपश्यना जैसी साधनाओं का?!"
"बाबाओं ने पाश्चात्य रंग दे डाले हैं... और कट्टरपंथियों ने आतंक के!"
घटनाओं और हालात पर कुछ तथाकथित बुद्धिजीवी बेबाक चर्चा कर रहे थे। अधिकतर उनकी बुराई कर रहे थे, जबकि उनमें से कुछ प्रशंसा। कुछ तो चर्चित धार्मिक नामों और साधनाओं की अपनी-अपनी तरह से व्याख्यायें करते हुए ऐसे नामधारियों के ताज़े 'योग' पर व्यंग्य कर रहे थे :
"मधु से प्रीत किसे नहीं है? धन-दौलत, सुख-सुविधाओं, ऐश-ऐश्वर्य और सत्ता की मधु कौन चखना नहीं चाहेगा?"
"बिल्कुल सही कहा आपने। कौन नहीं चाहेगा ये सब शॉर्टकट्स से हासिल करना.... और इसके लिए 'गुरुओं' की ज़रूरत तो होगी ही!"
"सही कहा आपने। नीतियां कारगर न हों; सच्चे शिक्षक और धर्मगुरू समय पर अपने फ़र्ज़ न निभायें; तो ऐसे ही तो गुरू और उनके ऐसे ही मीत पनपेगें न!"- एक शिक्षक ने कहा।
"हमारी कमज़ोरियों का फ़ायदा देशद्रोही और विदेशी सब उठा रहे हैं, मुझे तो कोई अंतरराष्ट्रीय साज़िश लगती है हमारी संस्कृति और संस्कार मिटाने की!"- एक विश्लेषक ने कहा
"भाईसाहब, जब लोकतंत्र और धर्म की आड़ में देश के ही नेता, रक्षक और सत्ता भी अपने स्वार्थ साधेगी और जनता उल्लू बनेगी, तो ऐसे ही व्यक्तिवाद, ऐसे ही षड़यंत्रों और ऐसे ही डेरों के योग बनेंगे न!"- एक देशभक्त बुज़ुर्ग ने अपना माथा पीटते हुए कहा।

(मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 652

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on October 20, 2017 at 11:58am
रचना पर समय देकर अनुमोदन , समीक्षात्मक टिप्पणी और हौसला अफज़ाई के लिए तहे दिल से बहुत-बहुत शुक्रिया मुहतरम जनाब डॉ. आशुतोष मिश्रा साहब।
Comment by Dr Ashutosh Mishra on October 19, 2017 at 9:55pm
आदरणीय शेख शहजाद उस्मानी जी आपकी इस रचना में चिंतन जा पूरा साजो सामान है जागरूक करती उस शानदार रचना के साथ दिवाली के इस पर्व पर समाज में ब्याप्त अँधेरे को मिटाने का प्रयास करती इस रचना के लिए हार्दिक बधाई सादर।।।
Comment by Sheikh Shahzad Usmani on October 19, 2017 at 4:17pm
इस रचना पर समय देकर अनुमोदन व हौसला अफज़ाई के लिए सादर हार्दिक धन्यवाद आदरणीय विनय कुमार जी, जनाब समर कबीर साहब और जनाब सलीम रज़ा रीवा साहब।
Comment by Sheikh Shahzad Usmani on October 19, 2017 at 4:16pm
रचना पर त्वरित समीक्षात्मक प्रोत्साहक टिप्पणी के लिए तहे दिल से बहुत-बहुत शुक्रिया मुहतरम जनाब मोहम्मद आरिफ़ साहब। दीपोत्सव पर हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं।
Comment by SALIM RAZA REWA on October 19, 2017 at 9:43am
वाह आ. ख़ूबसूरत लघुकथा के लिए मुबारक़बाद.
Comment by Samar kabeer on October 18, 2017 at 2:40pm
जनाब शैख़ शहज़ाद उस्मानी जी आदाब,बहुत उम्दा लघुकथा लिखी आपने,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।
Comment by विनय कुमार on October 18, 2017 at 11:34am

वर्तमान परिस्थितियों पर बढ़िया तंज कस्ती रचना के लिए बहुत बहुत बधाई आ शेख शहज़ाद साहब

Comment by Mohammed Arif on October 17, 2017 at 4:57pm
आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी आदाब,बहुत ही कटाक्षपूर्ण, सामयिक विषय को लघुकथा का आधार प्रदान करती, वर्तमान में उजागर हुए चरित्रों का पर्दाफाश करती लघुकथा । सच भी है, यदि समाज में दुष्चरित्र उजागर होंगे तो निश्चित रूप से लघुकथा के कथानक बनेंगे ही और बनना भी चाहिए । बहुत-बहुत बधाई । शीर्षक के ऊपर थोड़ा विचार करें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। सादर।"
4 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी आपने प्रदत्त विषय पर बहुत बढ़िया गजल कही है। गजल के प्रत्येक शेर पर हार्दिक…"
7 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"गजल**किसी दीप का मन अगर हम गुनेंगेअँधेरों    को   हरने  उजाला …"
11 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आ. भाई भिथिलेश जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त विषय पर उत्तम रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
13 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"दीपोत्सव क्या निश्चित है हार सदा निर्बोध तमस की? दीप जलाकर जीत ज्ञान की हो जाएगी? क्या इतने भर से…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"धन्यवाद आदरणीय "
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"ओबीओ लाइव महा उत्सव अंक 179 में स्वागत है।"
yesterday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"स्वागतम"
yesterday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' left a comment for मिथिलेश वामनकर
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। जन्मदिन की शुभकामनाओं के लिए हार्दिक आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post साथ करवाचौथ का त्यौहार करके-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन।गजल पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार।"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post साथ करवाचौथ का त्यौहार करके-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, करवा चौथ के अवसर पर क्या ही खूब ग़ज़ल कही है। इस बेहतरीन प्रस्तुति पर…"
Thursday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service