For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

शट अप
ओफ्फ हो ! क्या माँ आप हरदम ज़ोर-ज़ोर से बोलती हो । ये गाँव नहीं है ,वीआईपी कॉलोनी है । यहाँ सभी वेल एजुकेटेड लोग रहते हैं ,धीमे स्वर में बोलते है । वेल कल्चर हैं यहाँ , वेल कल्चर समझी ।"
" मगर मुझे एक बात समझ में नहीं आई। जब से यहाँ आई हूँ देख रही हूँ कि कोई किसी से बतियाता है न बातचीत करता है । क्या यहाँ की वेल कल्चर है ?"
" शट अप !!"
मौलिक एवं अप्रकाशित ।

Views: 908

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Mohammed Arif on November 1, 2017 at 8:37pm
आपकी उत्सासजनक टिप्पणी से रचनात्मक संबल मिला आदरणीय विजय निकोर जी । बहुत-बहुत आभार आपका ।
Comment by SALIM RAZA REWA on November 1, 2017 at 8:37pm

जनाब आरिफ साहब  , खूबसूरत लघुकथा के लिए दिली मुबारक़बाद 

Comment by vijay nikore on November 1, 2017 at 8:31pm

बात तो यह है कि इस "वेल क्ल्चर" ने इनसानियत से भी हमारा किनारा करा दिया है।

इतनी अच्छी, इतनी प्रभावमय लघुकथा .. सोचा नहीं था कि संभव है ... आपकी लिखी

छोटी गज़ल की तरह । हार्दिक बधाई, भाई मोहम्मद आरिफ़ जी।

Comment by Mohammed Arif on November 1, 2017 at 8:20pm
आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी आदाब,आपकी सरल, निरपेक्ष और सटीक समीक्षात्मक टिप्पणी का ही इंतज़ार था मुझे । टिप्पणी पाकर अपनी लघुकथा को सफल समझ रहा हूँ । आपकी नज़रे इनायत का बहुत-बहुत शुक्रिया । लेखन सार्थक हो गया ।
Comment by Sheikh Shahzad Usmani on November 1, 2017 at 5:12pm
मुसीबत तो यही है न कि मशीनी जीवन की विकृतियों को, विसंगतियों को ही अच्छा या आधुनिक कल्चर माना जा रहा है! न अदब, न तहज़ीब; परम्परा-आचरण अजीब! बेहतरीन कटाक्ष और चित्रण के साथ विचारोत्तेजक रचना के लिए तहे दिल से बहुत-बहुत मुबारकबाद मुहतरम जनाब मोहम्मद आरिफ़ साहिब। सामान्य परिवारों के लोगों ने ऐसी वीआईपी कालोनियों में रहने वाले रिश्तेदारों और दोस्तों के रहस्मय-महल रूपी घरों में जाना बंद या कम कर दिया है।
Comment by Mohammed Arif on November 1, 2017 at 5:04pm
आदरणीय मोहित जी आदाब, बस यूँ ही टूटी-फूटी लघुकथाएँ लिख लेता हूँ। कथा पर अनुमोदन का बहुत-बहुत शुक्रिया ।
Comment by Mohammed Arif on November 1, 2017 at 3:20pm
रचना को अपनी अमूल्य प्रतिक्रिया देने और हौसला अफज़ाई का बहुत-बहुत आभार आदरणीय आशुतोष जी ।
Comment by Dr Ashutosh Mishra on November 1, 2017 at 2:58pm

आदरणीय आरिफ जी  आज के कल्चर का बखूबे चित्रण किया है आपने अत्यंत सधे और कम शब्दों में इस  रचना के लिए हार्दिक बधाई सादर 

Comment by Mohammed Arif on November 1, 2017 at 2:28pm
अपनी अमूल्य प्रतिक्रिया से पोषित करने का बहुत-बहुत आभार आदरणीय सुरेंद्रनाथ जी ।
Comment by Mohammed Arif on November 1, 2017 at 2:26pm
रचना पर अपनी अमूल्य प्रतिक्रिया से पोषित करने का बहुत-बहुत आभार आदरणीय तेजवीर सिंह जी ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"आदरणीय,  विद्यार्जन करते समय, "साप्ताहिक हिन्दुस्तान" नामक पत्रिका मैं आपकी कई ग़ज़ल…"
5 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"वज़न घट रहा है, मज़ा आ रहा है कतर ले मगर पर कतर धीरे धीरे। आ. भाई तिलकराज जी, बेहतरीन गजल हुई है।…"
11 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"आ. रिचा जी, अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए धन्यवाद।"
14 minutes ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"आदरणीया, पूनम मेतिया, अशेष आभार  आपका ! // खँडहर देख लें// आपका अभिप्राय समझ नहीं पाया, मैं !"
22 minutes ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"आदरणीय रिचा यादव जी, प्रोत्साहन के लिए हार्दिक धन्यवाद।"
34 minutes ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"अति सुंदर ग़ज़ल हुई है। बहुत बहुत बधाई आदरणीय।"
37 minutes ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"मेरी कोशिशें हैं इधर धीरे धीरे उधर हो रहा है असर धीरे धीरे। गए उनके दिल में उतर धीरे धीरे हुए वो…"
45 minutes ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"अदरणीय जयहिंद जी नमस्कार  अच्छी ग़ज़ल कही आपने बधाई स्वीकार कीजिए  सादर "
1 hour ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"अदरणीय दयाराम जी नमस्कार  ग़ज़ल अच्छी हुई आपकी बधाई स्वीकार कीजिए , बाक़ी गुणीजनों ने कह दिया…"
1 hour ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"आदरणीय अजेय जी नमस्कार  ग़ज़ल अच्छी कही आपने बधाई स्वीकार कीजिए गुणीजनों  की बातें कबीले…"
1 hour ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"आदरणीय लक्ष्मण जी नमस्कार  अच्छी ग़ज़ल कही आपने बधाई स्वीकार कीजिए  गुणीजनों की…"
1 hour ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"आदरणीय दयाराम जी  बहुत शुक्रिया आपका  सादर "
1 hour ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service