For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

“क्या पढ़ रही हो बेटा, लैपटॉप पर इस कदर आखें गडाये?”-साहित्यकार मनमोहन ने अपनी बेटी रूपा से सवाल किया
“कुछ नहीं पापा, साहित्य सेवा मंच पर प्रकाशित रुपेश जी की कहानी पढ़ रही हूँ, लेकिन पापा इस शानदार रचना पर किसी की कोई भी प्रतिक्रिया नहीं है” रूपा ने जवाब देते हुए प्रश्न किया
“शानदार रचना! नहीं बेटा बड़ी कमियाँ हैं इसके लेखन में“
“कमियाँ हैं! कमियां हैं तब तो आपको निश्चित रूप से मंच से जुड़े हर सदस्य को इस पर प्रतिक्रिया करनी चाहिए थी”
“ हाँ, बेटा तुम सही कह रही हो, लेकिन ये महाशय सिर्फ अपनी रचना पोस्ट तो करना जानते हैं लेकिन किसी की भी रचना पर दो शब्द लिखना इन्हें गंवारा नहीं है इसलिए कोई इनकी रचनाओं पर भी नहीं लिखता”
“लेकिन पापा इससे तो मंच के पाठकों और साहित्य में पदार्पण करने वाले नव अभ्यासी मार्गदर्शन से महरूम रह जायेंगे” रूपा ने गंभीरता के साथ अपने पिता से कहा
“ नहीं बेटा! ऐसा नहीं है, मैंने और कई रचनाकारों ने इनकी रचना पर प्रतिक्रिया स्वरुप कुछ कमियों को इंगित किया था तो इनके जवाब में रोष परिलक्षित हो रहा था और फिर इन्होने मेरी रचनाओं की बखिया उधेड़ना शुरू कर दिया” अपनी कृत्यों को स्पष्ट करने की चेष्टा करते हुए मनमोहन ने कहा
“मतलब पापा, आप ये मानते हैं कि आपकी रचनाओं में कोई कमी नहीं है और प्रतिक्रियाओं में मिलने वाली वाह वाह आपकी रचना की पूर्णता को सिद्ध कर रही हैं ....या फिर एक दूसरे की रचनाओं पर तारीफ करके आप लोग एक दूसरे को साहित्य में स्थापित करने का प्रयास कर रहे हैं”- रूपा ने बिश्लेश्नात्मक तरीके से अपनी बात रखते हुए कहा
“नहीं बेटा तुम गलत कयास लगा रही हो, ऐसा कुछ भी नहीं है” गंभीर चिनतन्मयी मुद्रा में बेटी की तरफ देखते हुए मनमोहन ने कहा
“अच्छा पापा, एक बात बताईये, क्या आपको ऐसा नहीं लगता कि इस वाहवाही से रचना अपना सुंदरतम स्वरुप प्राप्त करने से बंचित रह जाती है? ......क्या आपको नहीं लगता है कि परीर् को मिलने वाले वाले अंक परीक्षक की भी योग्यता पर निर्भर करते हैं.?” प्रश्न पर प्रश्न करते हुए रूपा ने कहा
“सहमत हूँ, तुम्हारी हर बात से सहमत हूँ” रूपा के चेहरे की तरफ खुशी और लाचारी के मिले जुले भावों से देखते हुए मनमोहन ने कहा
“मतलब, मुझे सब समझ में आ गया ...साहित्यकार कहलाने की चाह लिए आप सब यूं ही लिखते रहेंगे साहित्य का जनाजा निकलता है तो निकलता रहे” लैपटॉप को शट डाउन करके कमरे से बाहर निकलते हुए रूपा ने कहा


मौलिक व अप्रकाशित

Views: 940

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Mohammed Arif on November 13, 2017 at 6:47pm
आदरणीय आशुतोष जी आदाब, लघुकथा का अच्छा प्रयास । हार्दिक बधाई स्वीकार करें ।
Comment by SALIM RAZA REWA on November 13, 2017 at 5:22pm
जनाब डॉ.आशुतोष मिश्रा जी
ख़ूबसूरत लघुकथा के लिए बधाई.
Comment by Samar kabeer on November 13, 2017 at 5:18pm
जनाब डॉ.आशुतोष मिश्रा जी आदाब,लघुकथा का प्रयास अच्छा है,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन भाईजी,  प्रस्तुति के लिए हार्दि बधाई । लेकिन मात्रा और शिल्पगत त्रुटियाँ प्रवाह…"
6 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ भाईजी, समय देने के बाद भी एक त्रुटि हो ही गई।  सच तो ये है कि मेरी नजर इस पर पड़ी…"
6 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय लक्ष्मण भाईजी, इस प्रस्तुति को समय देने और प्रशंसा के लिए हार्दिक dhanyavaad| "
7 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश भाईजी, आपने इस प्रस्तुति को वास्तव में आवश्यक समय दिया है. हार्दिक बधाइयाँ स्वीकार…"
8 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी आपकी प्रस्तुति के लिए हार्दिक धन्यवाद. वैसे आपका गीत भावों से समृद्ध है.…"
9 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई अखिलेश जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त चित्र को साकार करते सुंदर छंद हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
21 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"सार छंद +++++++++ धोखेबाज पड़ोसी अपना, राम राम तो कहता।           …"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"भारती का लाड़ला है वो भारत रखवाला है ! उत्तुंग हिमालय सा ऊँचा,  उड़ता ध्वज तिरंगा  वीर…"
yesterday
Aazi Tamaam commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल के
"शुक्रिया आदरणीय चेतन जी इस हौसला अफ़ज़ाई के लिए तीसरे का सानी स्पष्ट करने की कोशिश जारी है ताज में…"
Friday
Chetan Prakash commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post अस्थिपिंजर (लघुकविता)
"संवेदनाहीन और क्रूरता का बखान भी कविता हो सकती है, पहली बार जाना !  औचित्य काव्य  / कविता…"
Friday
Chetan Prakash commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल के
"अच्छी ग़ज़ल हुई, भाई  आज़ी तमाम! लेकिन तीसरे शे'र के सानी का भाव  स्पष्ट  नहीं…"
Thursday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on surender insan's blog post जो समझता रहा कि है रब वो।
"आदरणीय सुरेद्र इन्सान जी, आपकी प्रस्तुति के लिए बधाई।  मतला प्रभावी हुआ है. अलबत्ता,…"
Thursday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service