For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

सबसे छोटा क़ाफ़िया और सबसे बड़ी रदीफ़ पर एक और ग़ज़ल - सलीम रज़ा रीवा


212 212 212 212, 212 212 212 212

-

जब तुम्हारी महब्बत में खो जाएंगे बिगड़ी क़िस्मत भी इक दिन संवर जाएगी /

लब तुम्हारी महब्बत में खो जाएंगे बिगड़ी क़िस्मत भी इक दिन संवर जाएगी //

-

तुम मेरे साथ हो, चांदनी रात हो, होंट की बात हो, ज़ुल्फ़ की बात हो /

तब तुम्हारी महब्बत में खो जाएंगे बिगड़ी क़िस्मत भी इक दिन संवर जाएगी //

-

हम नहीं चाँद तारे ये काली घटा गूंचा ओ गुल ये बुलबुल ये महकी फिज़ा /

सब तुम्हारी महब्बत में खो जाएंगे बिगड़ी क़िस्मत भी इक दिन संवर जाएगी //

-

हम गुनहगार है, हम सियह कार हैं, फिर भी रहमो करम पे यकी है हमें /

रब तुम्हारी महब्बत में खो जाएंगे बिगड़ी क़िस्मत भी इक दिन संवर जाएगी //

-

ऐ  रज़ा दर - बदर हम भटकते रहे  प्यार क्या , प्यार का इक निशाँ ना मिला /

अब तुम्हारी महब्बत में खो जाएंगे बिगड़ी क़िस्मत भी इक दिन संवर जाएगी //

-

 "मौलिक व अप्रकाशित"

Views: 1247

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by SALIM RAZA REWA on November 18, 2017 at 10:57am

जनाब मुझे यक़ीन है आपकी कोशिश ज़रूर रंग लाएगी ,

Comment by Samar kabeer on November 18, 2017 at 10:48am
वैसे तो इमकान नज़र नहीं आता,फिर भी कुछ सोचता हूँ भाई ।
Comment by Abhinav Arun on November 17, 2017 at 6:48pm

नवल प्रयोग ,बढ़िया है !!

Comment by SALIM RAZA REWA on November 17, 2017 at 10:52am

आली जनाब समर साहिब,

इस ग़ज़ल को सही करने के लिए आपकी मदद की ज़रुरत है। 

Comment by Samar kabeer on November 16, 2017 at 5:11pm
जनाब सलीम रज़ा साहिब आदाब, तस्दीक़ साहिब सही फ़रमा रहे हैं,रदीफ़ और क़ाफिये में रब्त नहीं है ।
Comment by SALIM RAZA REWA on November 16, 2017 at 12:04pm

आदरणीय Shyam Narain Verma ji' जी ,
आपकी नवाजिश के लिए बहुत बहुत शुक्रिया।

Comment by Shyam Narain Verma on November 16, 2017 at 12:03pm
बहुत सुन्दर ग़ज़ल, हार्दिक बधाई l
Comment by SALIM RAZA REWA on November 16, 2017 at 12:00pm

आली जनाब तस्दीक़ साहिब ,
आपकी ग़ज़ल पे शिरकत और महब्बत के लिए शुक्रिया ,
जनाब यहाँ पर खोने का मतलब गुम हो जाना नहीं है ,

दीवानगी से है और जब हम किसी के प्यार में खो जाते हैं तो यक़ीनन हम अपनी मंज़िल पा लेते हैं।

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on November 16, 2017 at 11:28am

जनाब सलीम साहिब , ग़ज़लकी अच्छी कोशिश हुई है , मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएँ
आपने जो रदीफ़ चुनी है उसका क़ाफ़िए के साथ तालमेल नहीं हो पा रहा
है , खो जाने पर क़िस्मत कैसे सँवरेगी ------देखिएगा

Comment by SALIM RAZA REWA on November 15, 2017 at 11:12pm
जनाब अफरोज साहब,
आपकी नज़रे इनायत के लिए शुक्रिया, आप सही कह रहे हैं, पुरानी ग़ज़ल में भी आपका माश्वारा तहे दिल से तस्लीम है, आप कि मुहब्बत कि हमेशा तलब रहती है. महब्बत सलामत रहे....

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं।हार्दिक बधाई। भाई रामबली जी का कथन उचित है।…"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आदरणीय रामबली जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । बात  आपकी सही है रिद्म में…"
Tuesday
रामबली गुप्ता commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"बड़े ही सुंदर दोहे हुए हैं भाई जी लेकिन चावल और भात दोनों एक ही बात है। सम्भव हो तो भात की जगह दाल…"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई चेतन प्रकाश जी"
Monday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय, सुशील सरना जी,नमस्कार, पहली बार आपकी पोस्ट किसी ओ. बी. ओ. के किसी आयोजन में दृष्टिगोचर हुई।…"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . रिश्ते
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार "
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . संबंध
"आदरणीय रामबली जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार ।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर छंद हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"रोला छंद . . . . हृदय न माने बात, कभी वो काम न करना ।सदा सत्य के साथ , राह  पर …"
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service