For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल -क्या कहूँ उनकी नज़ाकत, जो दिवाना दिल में’ है--कालीपद 'प्रसाद'

काफिया  ;इल ; रदीफ़ : में है

बह्र : २१२२  २१२२  २१२२  २१२

क्या कहूँ उनकी नज़ाकत, जो दिवाने दिल में’ है

किन्तु का ज़िक्र दिल से दूगुना महफ़िल में’ है |१|

जानती है वह कि गलती की सही व्याख्या कहाँ

पंख बिन भरती उड़ाने, भूल इस गाफिल में’ है  |२|

राम रब कृष्ण और गुरु अल्लाह सब तो एक हैं

बोलकर नेता खुदा पर, पड़ गए मुश्किल में है |३|

गर सफलता चाहिए तुमको करो दृढ मन अभी

जज़्बा’ विद्यार्थी में’ हो वैसा ज्यों’ वो कातिल में’ है |४|

आधे’ रस्ते में कहाँ सुख और दुख, है अंत में

अनकहा आनंद का वह सिलसिला मंजिल में है |५|

उद्यमों का फल मिठाई या नहीं, वो जानना

हर तरह का जायका उद्येश्य के हासिल में है |६|

आपसी झगड़े में’ जनता खुद किये अपना अनिष्ट

है कहाँ वो सूज बूझें और जो आदिल में है |७|

है सभी कानून पर उनका कभी पालन कहाँ

वे नियम पालन की’ जिम्मेदारी’ तो आमिल में है |८|

हिम्मती वीर और जिसमें जोश का आवेश  हो

हौसले की जय, पराजय सर्वदा बुझदिल में है |९|

शांत है कश्मीर, जबसे फौज़ मोर्चे में गई

सैनिकों के डर से’ आतंकी सभी बिल में हैं |१०|

रहनुमा तो डालते जनता को’ संभ्रम में सदा

गड़बड़ी का फायदा ‘काली’ सभी धूमिल में है |११|

आदिल=न्यायशील ; आमिल= अमल करने वाला

धूमिल= धुआँ से भरा. भ्रमित अवस्था

बिल = जमीं में छेद जिसमें कीड़े मकोड़े, साँप

रहते हैं  |

बुझदिल का अर्थ - जिसके दिल की आग /जोश बुझ चुकी है , कायर

मौलिक व अप्रकाशित

Views: 618

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on November 29, 2017 at 7:33pm
हार्दिक बधाई
Comment by Kalipad Prasad Mandal on November 29, 2017 at 8:00am

आदरणीय समर कबीर साहिब ,आदाब , बारीकी से एक एक मिसरा पर मार्ग दर्शन देने के लिए तहे दिल से आपका शुक्रिया अदा करता हूँ |आपके मार्ग दर्शन में ग़ज़ल की बारीकियां सिखने को मिल रहा है | एक बात पूछना चाहूँगा कि जब कोई मिसरा लय  में न हो  तो लय में लाने के लिए किन किन बातों का ध्यान रखना चाहिए ?

बुझदिल का अर्थ - जिसके दिल की आग /जोश बुझ चुकी है , कायर 

सादर आदाब 

Comment by Samar kabeer on November 28, 2017 at 11:50am
जनाब कालीपद प्रसाद मण्डल जी आदाब,जनाब राप्रसाद'बिस्मिल'साहिब की ज़मीन में ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है,बधाई स्वीकार करें ।

मतले के ऊला मिसरे में 'दिवाना' को "दिवाने"और सानी मिसरे में 'उनके' को "उनका" कर लीजिये ।

चौथे शैर का सानी मिसरा लय में नहीं है ।
पांचवें शैर के ऊला मिसरे में 'आध'को "आधे" कर लीजिये ।
छटे शैर के ऊला में 'मेहनत'212ग़लत है,सही शब्द है "मिहनत"22इस हिसाब से मिसरा बह्र में कीजिये ।
सातवें शैर का सानी मिसरा लय में नहीं है ।
आठवें शैर के ऊला में 'उनके' को "उनका" कर लीजिये ।
नवें शैर में 'बुझदिल'का अर्थ क्या है?
दसवें का ऊला लय में नहीं है ,और सानी भी लय में नहीं है ।
Comment by Kalipad Prasad Mandal on November 27, 2017 at 10:14pm

हौसला अफजाई के लिए तहे दिल से शुक्रिया नवीन मणि त्रिपाठी जी |

Comment by Kalipad Prasad Mandal on November 27, 2017 at 10:13pm

हौसला अफजाई के लिए तहे दिल से शुक्रिया आ मोहम्मद आरिफ साहिब | आदाब 

Comment by Naveen Mani Tripathi on November 26, 2017 at 1:23pm
वाह वाह बहुत खूब मण्डल साहब । शेष उस्ताद की इस्लाह ।
Comment by Mohammed Arif on November 26, 2017 at 1:18pm
शांत है कश्मीर, जबसे फौज़ मोर्चे में गई
सैनिकों के डर से’ आतंकी सभी बिल में हैं | वाह! वाह!! बहुत ही सामयिक शे'र । मज़ा आ गया ।
बहुत ही उम्दा ग़ज़ल । हर शे'र माकूल । हार्दिक बधाई स्वीकार करें । बाक़ी गुणीजन अपनी राय देंगे ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)

आदरणीय साथियो,सादर नमन।."ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" में आप सभी का हार्दिक स्वागत है।प्रस्तुत…See More
10 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"प्रस्तुति को आपने अनुमोदित किया, आपका हार्दिक आभार, आदरणीय रवि…"
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय जयहिंद रायपुरी जी इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई स्वीकारें। सादर"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश जी इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई स्वीकारें। सादर"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई स्वीकारें। सादर"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय, मैं भी पारिवारिक आयोजनों के सिलसिले में प्रवास पर हूँ. और, लगातार एक स्थान से दूसरे स्थान…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय जयहिन्द रायपुरी जी, सरसी छंदा में आपकी प्रस्तुति की अंतर्धारा तार्किक है और समाज के उस तबके…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश भाईजी, आपकी प्रस्तुत रचना का बहाव प्रभावी है. फिर भी, पड़े गर्मी या फटे बादल,…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, आपकी रचना से आयोजन आरम्भ हुआ है. इसकी पहली बधाई बनती…"
Sunday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय / आदरणीया , सपरिवार प्रातः आठ बजे भांजे के ब्याह में राजनांदगांंव प्रस्थान करना है। रात्रि…"
Sunday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छन्द ठिठुरे बचपन की मजबूरी, किसी तरह की आग बाहर लपटें जहरीली सी, भीतर भूखा नाग फिर भी नहीं…"
Saturday
Jaihind Raipuri joined Admin's group
Thumbnail

चित्र से काव्य तक

"ओ बी ओ चित्र से काव्य तक छंदोंत्सव" में भाग लेने हेतु सदस्य इस समूह को ज्वाइन कर ले |See More
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service