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धोखे ने मुझको इश्क़ में ......संतोष

ग़ज़ल
मफ़्ऊल फ़ाइलात मफ़ाईल फाइलुन

धोखे ने मुझको इश्क़ में क्या क्या सिखा दिया
गिरना सिखा दिया है,सँभलना सिखा दिया

रोती थीं ज़ार ज़ार ये,वादे ने आपके
आँखों को इन्तिज़ार भी करना सिखा दिया

सूरज की तेज़ धूप बड़ा काम कर गई
ख़्वाबों के दायरे से निकलना सिखा दिया

अपनों की ठोकरों ने गिराया था बारहा
ग़ैरों ने सीधी राह पे चलना सिखा दिया

"संतोष"दुश्मनों का करूँ शुक्र किस तरह
मुझको भी दोस्ती का सलीक़ा सिखा दिया

#संतोष

(मौलिक एवं अप्रकाशित)

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Comment by santosh khirwadkar on December 19, 2017 at 8:14pm

  धन्यवाद आदरणीय महेंद्र जी....... 

Comment by Mahendra Kumar on December 18, 2017 at 9:13pm

//अपनों की ठोकरों ने गिराया था बारहा
ग़ैरों ने सीधी राह पे चलना सिखा दिया// बहुत ख़ूब!

इस बढ़िया ग़ज़ल पर हार्दिक बधाई क़ुबूल कीजिए आ. संतोष जी. सादर.

Comment by santosh khirwadkar on December 18, 2017 at 10:27am

धन्यवाद आदरणीय मंडल साहब....

Comment by Kalipad Prasad Mandal on December 18, 2017 at 9:31am

बहुत सुन्दर एहसास की बेहतरीन अभिव्यक्ति आ संतोष जी 

Comment by santosh khirwadkar on December 17, 2017 at 11:35pm

शुक्रिया आदरणीय सुशील जी ..

Comment by Sushil Sarna on December 17, 2017 at 6:50pm
Waaaaaaaah shaaaaàndar ahsaas
Comment by santosh khirwadkar on December 17, 2017 at 12:00am

आदरणीय अफ़रोज़ साहब..शुक्रिया!!!!

Comment by santosh khirwadkar on December 16, 2017 at 11:59pm

आदरणीय विजय जी हृदय से धन्यवाद!!!

Comment by santosh khirwadkar on December 16, 2017 at 11:58pm

प्रणाम के साथ धन्यवाद आदरणीय समर साहब....!!!

Comment by Afroz 'sahr' on December 16, 2017 at 5:44pm
जनाब संतोष जी इस कलाम के लिए बहुत बहुत मुबारकबाद,,,,

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