For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल-सुन्दर खुशबू फूलों से ही मोहक मंजर लगता है-कालीपद 'प्रसाद'

नव वर्ष २०१८ के लिए हार्दिक शुभकामनाओं सहित |

*************************************************

काफिया : अर ;रदीफ़ : लगता है

बहर: २२  २२  २२  २२  २२  २२  २२  २

सुन्दर फूलों की खुशबू मोहक मंजर लगता है |

फागुन आने के पहले ही, होली अवसर लगता है |

मधुमास में’ टेसू चम्पा, और चमेली का है जलवा

श्रृंगार से धरती दुल्हन लगती, गुल जेवर लगता है |

काले बादल बरसे गांवों में, मन का आपा खोकर

जहां भी देखो नीर नीर नीर, महा सागर लगता है |

फैशन शो में सब बच्चे पहने, रंग विरंगे पोषाक

कोई इनमे लगता राजा, कोई जोकर लगता है |

हीरे मोती चुनकर लाये, पहनाई जब ये माला 

महँगा है ये हार कहे, वो कंकड़ पत्थर लगता है |

शुभ्र चमकदार चाँदनी का, पर्त पड़ी है पर्वत पर

धरती पर देखो चन्दा का’ बिछाया चादर लगता है |

शीत लहर चलती पहाड़ से, करती सबको दुखी यहाँ

ठण्डी का तीव्र डंक सहना, हमको दूभर लगता है |

पढ़ लिखकर हुए सयाना, टाई बांधे चलता बेटा

ठाठ बाट देखो उसका बेटा तो अफसर लगता है |

मीठी है बोली उनकी, कोयल भी शर्मा जाय किन्तु

‘कालीपद’ का’ करारा तंज ही’, सबको खंजर लगता है |

मौलिक एवं अप्राकाषित

 

Views: 723

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Kalipad Prasad Mandal on January 5, 2018 at 10:46am

आ लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' 

ग़ज़ल पर शिरकत करने के लिए तहे दिल से शुक्रिया |सादर 

Comment by Kalipad Prasad Mandal on January 5, 2018 at 10:44am

आदरणीयसलीम रज़ा रेवा जी ग़ज़ल पर शिरकत करने के लिए तहे दिल से शुक्रिया 

 ग़ज़ल में लय लाने के लिए हम जैसों के लिए क्या करना चाहिए, जिन्होंने कभी कुछ भी गाया न हो | दोहे साधारणत: एक ही ले में गाये जाते हैं ,परन्तु ग़ज़ल तो भिन्न भिन्न लय  में गायी जाती है |सादर 

Comment by Kalipad Prasad Mandal on January 5, 2018 at 10:37am

आदरणीय समर कबीर साहिब विस्तृत मार्ग दर्शन के लिए तहे दिल से शुक्रिया |सादर 

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on January 4, 2018 at 1:07pm

हार्दिक बधाई , आदरणीय काली प्रसाद जी।

Comment by SALIM RAZA REWA on January 3, 2018 at 7:24pm
आ. काली प्रसाद जी सुंदर रचना हुई है,बधाई
लेकिन इस बार बहुत सारे मिसरों से गे‍याता ग़ायब है.. देखिएगा..
Comment by Samar kabeer on January 3, 2018 at 2:57pm

मतला यूँ कर लें :-

'सुंदर फूलों की ख़ुशबू से मोहक मंज़र लगता है

फागुन आने से पहले ही होली अवसर लगता है'

दूसरे शैर का सानी मिसरा लय में नहीं है ।

तीसरे शैर के ऊला में 'मन के' को "मन का" कर लें ,और इस शैर का सानी मिसरा लय में नहीं हेदेखियेगा ।

4थे शैर का ऊला मिसरा लय में नहीं,और सानी को उस तरह करलें तो गेयता बहतर होगी :-

'कोई इनमें लगता राजा कोई जोकर लगता है'

5वाँ शैर यूँ कर लें :-

'हीरे मोती चुनकर लाये,पहनाई जब ये माला

मंहगा है ये हार कहे वो कंकड़ पत्थर लगता है'

बाक़ी अशआर भी समय चाहते हैं ।

Comment by Kalipad Prasad Mandal on January 3, 2018 at 10:44am

आदरणीय समर कबीर साहिब ,आदाब , हौसला अफजाई के लिए तहे दिल से शुक्रिया |

Comment by Samar kabeer on January 2, 2018 at 2:24pm

जनाब कालीपद प्रसाद मण्डल जी आदाब,ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है,बधाई स्वीकार करें ।

ग़ज़ल पर पुनः आता हूँ ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा
"आ. अमीरुद्दीन अमीर साहब जब मलाई लिख दिया गया है यानी किसी प्रोसेस से अलगाव तो हुआ ही है न..दूध…"
4 hours ago
Ashok Kumar Raktale commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post पहलगाम ही क्यों कहें - दोहे
"आदरणीय भाई लक्ष्मण धामी जी सादर, पहलगाम की जघन्य आतंकी घटना पर आपने अच्छे दोहे रचे हैं. उस पर बहुत…"
19 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post दोहा चतुर्दशी (महाकुंभ)
"आदरणीय सुरेश कल्याण जी, महाकुंभ विषयक दोहों की सार्थक प्रस्तुति के लिए हार्दिक धन्यवाद. एक बात…"
21 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post दोहा सप्तक
"वाह वाह वाह !  आदरणीय सुरेश कल्याण जी,  स्वामी दयानंद सरस्वती जैसे महान व्यक्तित्व को…"
21 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post मौत खुशियों की कहाँ पर टल रही है-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"जय हो..  हार्दिक धन्यवाद आदरणीय "
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post पहलगाम ही क्यों कहें - दोहे
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी,  जिन परिस्थितियों में पहलगाम में आतंकी घटनाओं को अंजाम दिया गया, वह…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी left a comment for Shabla Arora
"आपका स्वागत है , आदरणीया Shabla jee"
yesterday
Shabla Arora updated their profile
Monday
Shabla Arora is now a member of Open Books Online
Monday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . अपनत्व
"आदरणीय सौरभ जी  आपकी नेक सलाह का शुक्रिया । आपके वक्तव्य से फिर यही निचोड़ निकला कि सरना दोषी ।…"
Monday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"शुभातिशुभ..  अगले आयोजन की प्रतीक्षा में.. "
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"वाह, साधु-साधु ऐसी मुखर परिचर्चा वर्षों बाद किसी आयोजन में संभव हो पायी है, आदरणीय. ऐसी परिचर्चाएँ…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service