For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

कुछ कहते-कहते ...

कुछ कहते-कहते ...

विरह निशा के श्यामल कपोलों को चूम
निशब्द प्रीत
अपनी निष्पंद साँसों के साथ
कुछ कहते-कहते
सो गयी

व्यथित हृदय
कब तक बहलता
पल पल
टूटती यादों के खिलौनों से
स्मृति गंध
आहटों के राग की प्रतीक्षा में
नैनों में
वेदना की विपुल जलराशि भरे
पवन से
कुछ कहते-कहते
सो गयी

खामोशियाँ
बोलती रहीं
शृंगार सिसकता रहा
थके लोचन
विफलता के प्रहार
सह न सके
निशा भोर के आलोक में खोने लगी
अंततः
प्रतीक्षा की देहरी पर
अभिसार की तृष्णा लिए
दो बूँदें रक्त की गिर पड़ी
भोर ने
प्रतीक्षारत
रक्त की दो बूंदों से
अपनी मांग भरी
अवसन्न रात्रि का अवसान हुआ
शनैः शनैः
सुधि लौ
तिमिर अंक में
लीन हुई
अतृप्त तृषा
व्यथित मन की
प्रीत वीचि पर
कुछ कहते-कहते
सो गयी

सुशील सरना
मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 586

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sushil Sarna on January 11, 2018 at 8:22pm

आदरणीय सुरेन्द्र सिंह जी आपकी भावों को अलंकृत करती प्रतिक्रिया का दिल से आभार।

Comment by Sushil Sarna on January 11, 2018 at 8:22pm

आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन आपकी स्नेहाशीष का दिल से आभारी है।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on January 10, 2018 at 6:52am

आ. भाई सुशील जी, विरहवेदना की सुंदर प्रस्तुति हुई है । हार्दिक बधाई।

Comment by नाथ सोनांचली on January 8, 2018 at 1:26pm

आद0 सुशील सरना जी बेहतरीन कविता, आप की कविता पढ़ते पढ़ते लगता है जैसे खो सा जाता हूँ।बहुत बढ़िया भाव सम्प्रेषण। बधाई आपको।सादर

एक निवेदन है, हम लोग भी कुछ न् कुछ ब्लॉग पर लिखते रहते हैं । अगर आप उनपर भी अपनी अमूल्य प्रतिक्रिया दें, तो हमें भी अच्छा लगेगा। सादर

Comment by Sushil Sarna on January 6, 2018 at 1:58pm

आदरणीय समर कबीर साहिब , आदाब। .. प्रस्तुति को अपने शीरीं अल्फ़ाज़ों से मान देने का दिल से आभार।

Comment by Sushil Sarna on January 6, 2018 at 1:58pm

आदरणीय मोहित मिश्रा जी सृजन के भावों को आत्मीय मान देने का दिल से आभार।

Comment by Sushil Sarna on January 6, 2018 at 1:57pm

आदरणीय मो.आरिफ साहिब , आदाब ... प्रस्तुति के भावों को अपनी स्नेहिल प्रतिक्रिया से सुशोभित करने का दिल से आभार।

Comment by Samar kabeer on January 6, 2018 at 11:38am

जनाब सुशील सरना जी आदाब,बहुत उम्दा कविता है, इस ओरस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।

Comment by Mohammed Arif on January 5, 2018 at 9:47pm

आदरणीय सुशील सरना जी आदाब,

                       बहुत ही सुंदर कविता । हार्दिक बधाई स्वीकार करें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
1 hour ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
1 hour ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
18 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
18 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
18 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
18 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
18 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
18 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
18 hours ago
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
21 hours ago
Shyam Narain Verma commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
21 hours ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दिनेश जी, बहुत धन्यवाद"
21 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service