For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल- मिला कुछ नहीं जाँच पड़ताल में।

बह्र- फऊलुन फऊलुन फऊलुन फउल

मग़रमच्छ घड़ियाल को जाल में।
फँसा कर रहेंगे वो हरहाल में।

खुदा जाने होंगी वो किस हाल में।
मेरी बेटियाँ अपनी ससुराल में।

निकालो नहीं बाल की खाल को,
नहीं कुछ रखा बाल की खाल में।

नतीजा सिफर का सिफर ही रहा,
मिला कुछ नहीं जाँच पड़ताल में।

मिनिस्टर का फरमान जारी हुआ,
गधे बाँधे जायेंगे घुड़साल में।

हुई हेकड़ी सारी गुम उसकी तब,
तमाचा पड़ा वक्त का गाल में।

कभी जिसमें पानी की बूँदें न थीं।
कमल खिल रहे हैं उसी ताल में।

मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 789

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Ram Awadh VIshwakarma on January 16, 2018 at 9:50am

आदरणीय लक्ष्मण धामी जी ग़ज़ल सराहना के लिये बहुत बहुत शुक्रिया

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on January 16, 2018 at 7:16am

अच्छी गजल हार्दिक बधाई ।

Comment by Ram Awadh VIshwakarma on January 15, 2018 at 9:27am

आदरणीय सुरेन्द्रनाथ सिंह जी आप सही फरमारहे हैं.शेर में परिवर्तन कर लूँगा। सादर आभार टिप्पणी क लिये।

Comment by Ram Awadh VIshwakarma on January 15, 2018 at 9:25am

आदर्णीया कालीपद प्रसाद जी अमूल्य टिप्पणी के लिये  सादर आभार।

Comment by Ram Awadh VIshwakarma on January 15, 2018 at 9:23am

आदर्णीय समर कबीर साहब आपके सुझाव के अनुसार संशोधन कर लूँगा। अमूल्य सुझाव के लिये बहुत बहुत शुक्रिया।

Comment by Ram Awadh VIshwakarma on January 15, 2018 at 9:21am

आदरणीय आरिफ साहब ग़ज़ल पसन्द आई। आपने हौसला बढ़ाया। इसके लिये शुक्रिया।

Comment by नाथ सोनांचली on January 15, 2018 at 6:19am

आद0 राम अवध जी सादर अभिवादन।बढ़िया ग़ज़ल हुई है, बधाई । 

गाल में' उचित प्रतीत नहीं होता सादर

Comment by Kalipad Prasad Mandal on January 14, 2018 at 8:06pm

आ राम अवध जी , गज़की प्रयास अच्छी हुई है |बधाई कुबूल करें 

Comment by Samar kabeer on January 14, 2018 at 12:38pm

जनाब  राम अवध जी आदाब,ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है,बधाई स्वीकार करें ।

'निकालो नहीं बाल की खाल को'

इस मिसरे को अगर यूँ कहें तो उचित होगा:-

'निकालो नहीं बाल की खाल तुम'

Comment by Mohammed Arif on January 14, 2018 at 10:37am

आदरणीय राम अवध जी आदाब,

                          बहुत ही अच्छी ग़ज़ल । हर शे'र बढ़िया । दिली मुबारकबाद क़ुबूल करें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश कृष्ण भाईजी, आपने प्रदत्त चित्र के मर्म को समझा और तदनुरूप आपने भाव को शाब्दिक भी…"
8 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"  सरसी छंद  : हार हताशा छुपा रहे हैं, मोर   मचाते  शोर । व्यर्थ पीटते…"
13 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छंद +++++++++ रोहिंग्या औ बांग्ला देशी, बदल रहे परिवेश। शत्रु बोध यदि नहीं हुआ तो, पछताएगा…"
14 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"जय-जय, जय हो "
yesterday
Admin replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"स्वागतम"
yesterday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 186 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का मिसरा आज के दौर के…See More
Dec 14
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"  क्या खोया क्या पाया हमने बीता  वर्ष  सहेजा  हमने ! बस इक चहरा खोया हमने चहरा…"
Dec 14
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"सप्रेम वंदेमातरम, आदरणीय  !"
Dec 14
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Dec 13
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
Dec 13

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
Dec 12
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Dec 10

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service