काफिया : आद ; रदीफ़ :नहीं
बहर : २१२२ २१२२ २१२२ २२(११२)
हुक्म की तामील करना कोई’ बेदाद नहीं
बादशाही सैनिकों से कोई’ फ़रियाद नहीं |
“देशवासी की तरक्की हो” पुराना नारा
है नई बोतल, सुरा में तो’ ईजाद नहीं |
भक्त था वह, मूर्ति पूजा की लगन से उसने
द्रौण से सीखा सही वह, द्रौण उस्ताद नहीं |
देश है आज़ाद, हैं आज़ाद भारतवासी
किन्तु दकियानूसी’ धार्मिक सोच आज़ाद नहीं |
लूटने का मामला है, लूटते सब नेता
दीखते ये नेक पर ये, कोई’ अपबाद नहीं |
चोंच से चुगकर सभी खाए परिंदे जैसे
सब गए छुट्टी बिताने कोई सैय्याद नहीं |
प्रेम आँगन में बहारें आती’ थी बिन मधुमास
अब सनम वो प्यार का जागीर आबाद नहीं |
जुमले’ बाजी में मज़ा आता था’ पहले पहले
किन्तु अब तो सब पुराने जुमले’ में शाद नहीं |
करलो’ जितने चाहे’ झूठे वादे’ सब करते हैं
ये चुनावी खेल में कोई भी’ तो बा’द नहीं |
जन्म हिन्दुस्तान, पाकिस्तान की गाते गीत
देश द्रोही जो है’ ‘काली’ बैध औलाद नहीं |
शब्दार्थ :
बेदाद : अत्याचार ; ईजाद =नयापन
सैय्याद = चिड़ीमार, व्याध,
शाद =ख़ुशी , बा’द=पीछे
मौलिक व अप्रकाशित
Comment
प्रयास के लिए हार्दिक बधाई।
आ सुरेन्द्र नाथ सिंह जी , ग़ज़ल पर शिरकत करने केलिए तहे दिल से शुक्रिया |
आद0 कालीपद प्रसाद जी सादर अभिवादन। ग़ज़ल का बढ़िया प्रयास हुआ है, तथापि ग़ज़ल सा उतना सटीक बन नहीं पाया है। आपको इस प्रस्तुति पर हार्दिक बधाई। सादर
इस ग़ज़ल में कहाँ कहाँ शिल्प एवं व्याकरण की गलती है , इशारे करदेते तो मुझे सुधरने में आसानी होतो आदरणीय |मैं ९९% हिंदी शब्द का प्रयोग करता हूँ | अक्सर काफिया शब्द ही उर्दू के चयनित शब्द होते हैं |सादर आदाब
आदरणीय समर कबीर जी आदाब | भाषा शिल्प व्याकरण के लिए मझे किन किन शायरों को पढना चाहिए |उनकी कोई विशेष शायरी की किताब हो तो कृपया बताएं |सादर
आदरणीय मोहम्मद आरिफ जी ,आदाब ,हौसला अफजाई के लिए तहे दिल से शुक्रिया |सादर
जनाब कालीपद प्रसाद मण्डल जी आदाब,ग़ज़ल अभी बहुत समय चाहती है,भाषा,शिल्प,व्याकरण पर ध्यान देना बहुत ज़रूरी है,और इसके लिए आपको पुराने शायरों का कलाम बहुत पढ़ना होगा ।
आदरणीय कालीपद प्रसाद जी आदाब,
बहुत अच्छी ग़ज़ल । हर शे'र बढ़िया । कुछ शे'र सामयिक भी हैं और ग़ज़लों में ऐसा होना नितांत आवश्यक है जिससे ग़ज़ल में ताज़गी बनी रहती है । सामयिकता का पुट आवश्यक है । हार्दिक बधाई स्वीकार करें ।
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online