For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

देश भक्ति पर आधारित वीर रस की कविता (ताटंक छंद)

कलम उठाई है मैंने अब, सोयी रूह जगाने को

जिस मिट्टी में जन्म लिया है, उसका कर्ज चुकाने को

कलमकार का फर्ज निभाऊं, हलके में मत लेना जी

भुजा फड़कने अगर लगे तो, दोष न मुझको देना जी

सन सैतालिस हमसे यारो, कब का पीछे छूटा है

भारत के अरमानों को खुद, अपनो ने ही लूटा है

भूख गरीबी मिटी नही है, दिखती क्यो बेगारी है

झोपड़ियो के अंदर साहब दिखती क्यों लाचारी है

भारत माता की हालत को, देखों तुम अखबारों में

कैद हुआ गणतन्त्र हमारा, आखिर क्यों दीवारों में

गांधी के सपनो का भारत, भूखा बेबस सोता है

दंश बड़ा दुखदायी है यह, दिल पीड़ा से रोता है

कब तक किसी फ़टी चादर को, पूरा कुनबा ओढ़ेगा

कब तक जेठ दुपहरी में भी, बूढ़ा पत्थर तोड़ेगा

कब तक बालक वृन्द यहाँ पर, भूखे प्यासे सोयेंगे

कूड़े करकट के ढेरों में, अपनी किस्मत खोएंगे

लोकतंत्र की पगडंडी पर, जब तक स्वार्थी आएंगे

लूट पाट फिर मची रहेगी, हम केवल पछतायेंगे

कब तक यूँ गंगा धोएगी, नीच अधम के पापो को

कब तक दूध पिलायेंगे हम, अंदर के ही साँपों को

सबसे ज्यादा खतरा यारो, अंदर के गद्दारों से

ऊब चुका है देश हमारा, झूठ मूठ के नारों से

सोने की चिड़िया को यारो, सभी लूट ले जाएंगे

हंस ताकता रह जायेगा, कौवे खाना खाएंगे

याद करो इतिहास जरा तुम, वीरों की कुर्बानी को

आजाद भगत बिस्मिल सुभाष, औ झाँसी की रानी को

धरती अम्बर गूँजा था जब, इन्कलाब के नारों से

अदम्य साहस दिखलाया था, खेले थे अंगारो से

नीव हिला दी अंग्रेजो की, जिसने पहनी थी खादी

नर कंकाल भले था वो पर, लेकर मानी आजादी

वीर जवानों ने कण कण को, बलिदानो से सींचा था

दुश्मन की छाती पे चढ़के, प्राण हलक से खींचा था

कसम तिरंगे की खाते हैं, हम अतीत दुहरायेंगे

वक़्त पड़ा तो शीश कटाकर, बलिदानी हो जाएंगे

गौरवशाली उस अतीत को, खाक नहीं होने देंगे

भारत माँ की छाती पर अब, मूँग नहीं दलने देंगे

(16, 14 पर यति, अंत मे 3 गुरु अनिवार्य)

(मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 4043

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by नाथ सोनांचली on January 29, 2018 at 5:21am

आद0 तेजवीर सिंह जी सादर अभिवादन।रचना पर आपकी उपस्थिति और हौसला अफजाई का दिल से शुक्रिया।

Comment by नाथ सोनांचली on January 29, 2018 at 5:07am

आद0 मोहित मुक्त जी सादर अभिवादन। रचना पसन्द आयी, लिखना सार्थक हुआ। आपका उपस्थित होकर हौसला अफजाई के लिए कोटिश आभार।

Comment by नाथ सोनांचली on January 29, 2018 at 5:06am

आद0 विजय निकोर जी सादर अभिवादन। रचना पर उपस्थित होकर हौसला अफजाई के लिए दिल से आभार

Comment by नाथ सोनांचली on January 29, 2018 at 5:03am

आद0 मोहम्मद आरिफ भाई जी सादर अभिवादन। आपकी बात सही है। सबसे ज्यादा खतरा इन्हीं झंडाबरदारों से हैं।आपकी अमूल्य प्रतिक्रिया मिली। रचनाकर्म सार्थक हुआ। आभार आपका।

Comment by नाथ सोनांचली on January 29, 2018 at 5:02am

अतिशय व्यस्तता के करण इधर कुछ समय से मैं समय से पटल पर प्रतिक्रिया नहीं दे पा रहा हूँ। जिसके लिए क्षमा प्रार्थी हूँ।

Comment by TEJ VEER SINGH on January 28, 2018 at 10:33pm

हार्दिक बधाई आदरणीय  सुरेन्द्र नाथ सिंह 'कुशक्षत्रप'जी।बेहतरीन कविता।

Comment by vijay nikore on January 28, 2018 at 2:52pm

आपकी रचना में देशभक्ति की भावना पूर्ण रूप से छलक रही है। हार्दिक बधाई, आ० सुरेन्द्र जी।

Comment by Mohammed Arif on January 28, 2018 at 8:15am

आदरणीय सुरेंद्रनाथ जी आदाब,

                       देशभक्ति की भावना से ओतप्रोत बहुत ही प्रभावशाली ताटंक छंद । आजकल देश में गाजर घास और कुकुरमुत्तों की तरह झंडाबरदार बन कर कट्टरवादी संगठन सिर उठाते रहते हैं । ये ही देश के अंदर के असली गद्दाथ है । ये दुष्ट कमीनें आए दिन कमज़ोर वर्ग को टारगेट करते रहते हैं । शायद आपका इशारा इन्हीं पर है । हार्दिक बधाई स्वीकार करें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"स्वागतम"
4 hours ago
धर्मेन्द्र कुमार सिंह posted a blog post

देवता चिल्लाने लगे हैं (कविता)

पहले देवता फुसफुसाते थेउनके अस्पष्ट स्वर कानों में नहीं, आत्मा में गूँजते थेवहाँ से रिसकर कभी…See More
6 hours ago
धर्मेन्द्र कुमार सिंह commented on धर्मेन्द्र कुमार सिंह's blog post देश की बदक़िस्मती थी चार व्यापारी मिले (ग़ज़ल)
"बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय,  मिथिलेश वामनकर जी एवं आदरणीय  लक्ष्मण धामी…"
7 hours ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185

परम आत्मीय स्वजन, ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 185 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
Wednesday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Wednesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, प्रस्तुति पर आपसे मिली शुभकामनाओं के लिए हार्दिक धन्यवाद ..  सादर"
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

आदमी क्या आदमी को जानता है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२२/२१२२/२१२२ कर तरक्की जो सभा में बोलता है बाँध पाँवो को वही छिप रोकता है।। * देवता जिस को…See More
Tuesday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Monday
Sushil Sarna posted blog posts
Nov 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Nov 5
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

देवता क्यों दोस्त होंगे फिर भला- लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२२/२१२२/२१२ **** तीर्थ जाना  हो  गया है सैर जब भक्ति का यूँ भाव जाता तैर जब।१। * देवता…See More
Nov 5

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey posted a blog post

कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ

२१२२ २१२२ २१२२ जब जिये हम दर्द.. थपकी-तान देते कौन क्या कहता नहीं अब कान देते   आपके निर्देश हैं…See More
Nov 2

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service