1212 1122 1212 22
गरीब खाने तलक रोटियां नहीं जातीं ।
तेरे जहान से क्यूँ सिसकियाँ नहीं जातीं ।।
कतर रहे हैं वो पर ख्वाहिशों का अब भी बहुत।
नए गगन में अभी ,बेटियां नहीं जातीं ।।
वो तोड़ सकता है तारे भी आसमाँ से मग़र ।
मुसीबतो की ये परछाइयां नहीं जातीं ।।
यकीं करूँ मैं कहाँ तक जुबान पर साहब ।
लहू से आपके खुद्दारियाँ नहीं जातीं ।।
तमाम दे के रियायत हुजूर देख लिया ।
खराब कौम से गद्दारियाँ नहीं जातीं ।।
सियासतों का ये मंजर न पूछ अब हमसे ।
सियासतों से यहाँ खामियाँ नहीं जातीं ।।
नए निज़ाम से उम्मीद और क्या करना ।
चमन से आज भी दुश्वारियां नहीं जातीं ।।
नज़र का फेर था या फिर था हादसा कोई ।
दिलो दिमाग से रानाइयाँ नहीं जातीं ।।
न जाने क्या हुआ है आपकी निगाहों को ।
मेरे वजूद से रुस्वाइयाँ नहीं जातीं ।।
जरा सँभल के रहो दुश्मनों की फितरत से ।
मिले तो हाथ मगर खाइयां नहीं जातीं ।।
मैं भूल जाऊं सभी जख़्म कोशिशें हैं मेरी ।
मगर ज़िगर की ये मजबूरियां नहीं जातीं ।।
चले गए हैं मेरी जिंदगी से जब से वो ।
मेरे दयार से खामोशियाँ नहीं जातीं ।।
-- नवीन मणि त्रिपाठी
मौलिक अप्रकाशित
Comment
भाई नवीन मणि जी, सुंदर गजल हुई है । हार्दिक बधाई ।
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online