For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")


सुखविंदर जी को सोचमग्न अवस्था में देख उनकी पत्नी ने उनसे पूछा," क्या सोच रहे हो जी?"
"ख़ास कुछ नही...... बस कल अपने खेत पर जो सिपाही आया था उसी के बारे में सोच रहा हूँ.......।"
"सिपाही..... और अपने खेत में.........! कब और क्यों....?"
"कह रहा था कि अपना खेत उसको बेच दूँ.... ।"
"हैं.........! ये क्यों भला......?"
"वह सिपाही न था पर ......सिपाही के खाल में भेड़िया था........ उसका चेहरा ढका हुआ था... पर उसकी आवाज़ कुछ जानी... इतना ही कह पाये कि बाहर से चिल्लाने की आवाज़ आयी।
'अरे बाहर आओ सब ...... एक सिपाही पकड़ा गया.....उसके पास बारूद बरामद हुए .......।'
"कहीं यह वही तो नहीं.....।" सुखविंदर बाहर की ओर दौड़ पड़े।
बाहर देखा तो सच में वही था। उसने सुखविंदर की तरफ देखकर कहा," आप मुझे ज़मीन दे देते तो ......"
"अच्छा हुआ जो तुझे न दी.... तुझे तो हथकड़ी लग गयी पर मेरी माँ को जो बेड़िया तू पहनता उसका बोज़ कोई बेटा सहन न कर पाता।"
आसपास लोग खड़े थे,उसमें से एक ने सुखविंदर से पूछा," यह क्या बोले जा रहे हो...?"
" अजी कुछ नहीं यह सिपाही के रूप में है जरूर पर सिपाही नहीं.... यह मेरी माँ ... मेरी ज़मीन को खरीदने आया था..... बारूद बिछाना चाहता था.... मैंने इनकार कर दिया.....तो धमकी ......"
सुखविंदर अपनी बात पूरी भी न कर पाया था कि फिर एक शोर हुआ.....'अरे देखो देखो उसके मुँह से तो झाग निकल रहा है...।'
आवाज़ सुनकर सुखविंदर उस ओर दौड़ पड़ा। बाहर आकर देखा तो वह सिपाही जमीन पर था।
उसके गिरते ही उसके सिर से टोपी गिर गयी और जब उसके चहरे से कपड़ा हटाया तो सुखविंदर की चीख़ निकल गयी.... " पुत्तर जोगी..... " और वह भी धराशाही हो गया।
"एक किसान का बेटा और आतंकवादी.....?" बाहर भीड़ में चर्चा का विषय बन गयी।"

Views: 457

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on February 19, 2018 at 10:37pm

बेहतरीन विषय और कथा..

Comment by Nita Kasar on February 19, 2018 at 3:19pm

भटके युवाओं को राह दिखाती प्रेरक कथा बधाई आद० कल्पना बहना ।

Comment by Mohammed Arif on February 16, 2018 at 11:19pm

आदरणीया कल्पना भट्ट जी आदाब,

                                   बेहद सामयिक लघुकथा । आतंकवाद आज की वैश्विक समस्या है । विश्व के अधिकांश देश आतंकवाद से ग्रसित है । आतंकवाद का कोई धर्म नहीं होता है । कितने ही मासूम और निर्दोष रोज़  आतंवाद के शिकार हो आते हैं । आतंकवाद की पृष्ठभूमि पर लिखीं गईं सशक्त लघुकथा के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर updated their profile
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार.. बहुत बहुत धन्यवाद.. सादर "
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय। "
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आपका हार्दिक आभार, आदरणीय"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय दयाराम जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। हार्दिक आभार। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ पांडेय सर, बहुत दिनों बाद छंद का प्रयास किया है। आपको यह प्रयास पसंद आया, जानकर खुशी…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय आदरणीय चेतन प्रकाशजी मेरे प्रयास को मान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। हार्दिक आभार। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, प्रदत्त चित्र पर बढ़िया प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा जी, प्रदत्त चित्र को शाब्दिक करती मार्मिक प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय दयाराम जी, प्रदत्त चित्र को शाब्दिक करते बहुत बढ़िया छंद हुए हैं। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय दयाराम मथानी जी छंदों पर उपस्तिथि और सराहना के लिये आपका हार्दिक आभार "
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी छंदों पर उपस्तिथि और सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार "
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service