वैलेंटाइन बाबा ने अपने शागिर्द से कहा," मेरा मन कर रहा है भारत भूमि का भ्रमण करूँ, सुना है वहां वैलेंटाइन डे बहुत लोग मनाते हैं|"
" सर! यह विचार आपके मन में कैसे आया? वैलेंटाइन डे तो पश्चिमी देशों का त्यौहार है और आप तो पूरब में जाने का कह रहे हो!"
"हाँ! सुना है वहाँ बच्चे एक दूसरे को लाल गुलाब देते है और अब तो वहाँ भी लिविंग -रिलेशनशिप को मान्यता मिल गयी है तो लोग इसीको प्यार का नाम..... यह कहते हुए वे चुप हो गए है|
"क्या हुआ सर? आप चुप क्यों हो गये? आपकी इच्छा है तो चलिये एक चक्कर हम भारत का भी लगा लेते हैं ...|"
दोनों भ्रमण करने गये... रास्ते भर में दोनों चुप थे| वापिस अपने लोक में जाते हुए वैलेंटाइन बाबा ने अपने शागिर्द से कहा," क्या यह मेरी भूल थी.......?"
"क्या ..... ! कैसी .........!" शागिर्द ने पूछा|
"रोम में जब सम्राट क्लोडियस ने युवा सैनिकों को शादी करने के लिए मना कर दिया था ....... क्या तुम जानते हो...... उस सम्राट का यह मानना था कि सैनिक गर विवाहित हो तो वह अपने कर्तव्यों के प्रति सजग नहीं रहता, उसका ध्यान उसके परिवार की ओर खींचता है..... ऐसे समय में मुझे लगा था कि ऐसा करना न्याय नहीं यह कुदरत के नियमों के खिलाफ है ................|" और कहते कहते वे फिर उदास हो गये|
"ओह! ... आपके कहने का तात्पर्य है कि ऐसे में आपने विद्रोह कर उन युवाओं का विवाह करवाया.....|"
" हाँ...... अब देखो समय कितना बदल गया है..... कल के बच्चों में प्रेम था पर वे विवश किये गये थे ...... अपने प्रेम का इजहार करने के लिए ..... और आज ..... इनको देखो अश्लील हरकतों को प्रेम कहने लगे हैं .........| काश! ......................."
मौलिक एवं अप्रकाशित
Comment
वाह वाह खूब कही आदरणीया..
आदरणीया रौऩक जी , बहुत सुन्दर लघुकथा।
हार्दिक बधाई स्वीकार करें।
धन्यवाद् जनाब तस्दीक साहब |
धन्यवाद आ नीरज मिश्र जी , पर ये लघुकथा है लेख नहीं | सादर\
सादर धन्यवाद आ विजय निकोरे सर|
धन्यवाद आदरणीय शहजाद उस्मानी जी|
मुहतर्मा कल्पना साहिबा , आज की पीढ़ी को संदेश देती सुंदर लघुकथा
हुई है ,मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएँ |
बहुत अच्छा लेख है पर क्या किया जा सकता है कुछ न कुछ कमियां हमेशा ही रहती हैं दुनिया में , एक ठीक करो तो दूसरी निर्मित हो जाती है
इस अच्छी रचना के लिए दिल से बधाई, आ० कल्पना जी।
किंवदंती को वर्तमान से जोड़ते हुए बढ़िया रचना के लिए हार्दिक बधाई आदरणीया कल्पना भट्ट जी। बिंदुओं को कम किया या हटाया जा सकता है।
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