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ग़ज़ल (जो अज़मे तर्के उल्फ़त कर रहा है )

(मफाईलुन-मफाईलुन-फऊलन )

जो अज़मे तर्के उल्फ़त कर रहा है|
ये दिल फिर उसकी हसरत कर रहा है |

लगाए ज़ख़्म देने वाला मरहम
ये दिल यूँ ही न हैरत कर रहा है |

वफ़ा मिलती कहाँ है हुस्न में वो
जिसे पाने की जुरअत कर रहा है |

दिले नादां दगा जिसकी है फ़ितरत
उसी से तू महब्बत कर रहा है |

मरीज़े इश्क़ की लौटी हैं साँसें
कोई शायद अयादत कर रहा है |

मिलेंगे हश्र में यह बोल कर वो
मुझे कूचे से रुख्सत कर रहा है |

कोई तस्दीक़ उम्मीदे वफ़ा में
दगाबाज़ों की मिन्नत कर रहा है |


जुरअत--हिम्मत , अयादत --बीमार को देखना
मिन्नत --खुशामद

(मौलिक व अप्रकाशित )

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Comment

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Comment by Tasdiq Ahmed Khan on February 25, 2018 at 4:58pm

जनाब सलीम रज़ा साहिब , ग़ज़ल पर आपकी खूबसूरत प्रतिक्रिया और हौसला  अफ़ज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया।

Comment by SALIM RAZA REWA on February 25, 2018 at 4:27pm

वाह  वाह जनाब तस्दीक अहमद साहिब,

क्या उम्दा गज़ल हुई है.. मुबारक़बाद क़ुबूल करें 

दिले नादां दगा जिसकी है फ़ितरत 
उसी से तू महब्बत कर रहा है |

मरीज़े इश्क़ की लौटी हैं साँसें 
कोई शायद अयादत कर रहा है |

मिलेंगे हश्र में यह बोल कर वो 
मुझे कूचे से रुख्सत कर रहा है |

कोई तस्दीक़ उम्मीदे वफ़ा में 
दगाबाज़ों की मिन्नत कर रहा है |

.. वह जिंदाबाद 

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on February 24, 2018 at 6:58pm

जनाब रोहित साहिब, ग़ज़ल में शिरकत और हौसला अफ़ज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया।

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on February 24, 2018 at 6:57pm

जनाब सुरेन्द्र नाथ साहिब ,आपकी सुन्दर प्रतिक्रिया और हौसला अफ़ज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया।

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on February 24, 2018 at 6:56pm

मुहतरम जनाब समर कबीर साहिब आदाब, ग़ज़ल में आपकी शिरकत और हौसला अफ़ज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया।

Comment by रोहित डोबरियाल "मल्हार" on February 24, 2018 at 10:50am

मिलेंगे हश्र में यह बोल कर वो 
मुझे कूचे से रुख्सत कर रहा है .....वाह्ह्ह्ह बहुत खूब मुबारकबाद कुबूल फ़रमायेhttp://malhars.in

Comment by नाथ सोनांचली on February 23, 2018 at 4:10am

आद0 तस्दीक अहमद जी सादर अभिवादन। बहुत उम्दा ग़ज़ल कही आपने। इस शैर पर अतिरिक्त तालियां।

मरीज़े इश्क़ की लौटी हैं साँसें 

कोई शायद अयादत कर रहा है |

हरेक शेर दमदार। शैर दर शैर मुबारकवाद कुबूल करें।

Comment by Samar kabeer on February 22, 2018 at 9:23pm

जनाब तस्दीक़ अहमद साहिब आदाब,उम्दा ग़ज़ल हुई है,दाद के साथ मुबारकबाद पेश करता हूँ ।

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on February 22, 2018 at 7:41pm

जनाब श्याम नारायण साहिब ,आपकी ग़ज़ल में शिरकत और हौसला अफ़ज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया।

Comment by Shyam Narain Verma on February 22, 2018 at 5:40pm
बहूत उम्दा हार्दिक बधाई l सादर

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