For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

खोया बच्चा(कविता )

खोया बच्चा

 

हिन्दू घर से खोया बच्चा

माँ मम्मी कह रोया बच्चा

गुरूद्वारे का लंगर छक कर

मस्जिद में जा सोया बच्चा |

 

गली मोहल्ला ढूंढ रहा था

उसकों घर घर थाने थाने

दीवारें सब  हाँफ  रहीं थीं 

नींव लगी थी उन्हें बचाने |
 

खुली नींद फिर वो भागा

एक पग में दस डग नापा

थक हार देखी एक बस्ती

निकली चर्च से हँसती अंटी |

 

“तुम शायद घर भूल गया है !

चलों तुम्हें घर से मिलवाऊँ

था मेरा भी तुम जैसा बेबी

चलों तुम्हें तस्वीर दिखाऊँ ! "

 

ताजमहल से उस  घर  में

दीवारों पर तस्वीर लगी थी

बच्चे के सिर पे हाथ फेरकर

मदर मारिया बिलख रही थी |

 

नहीं मानता था मजहब को

लव-जेहादी कह कर  इसको

मार गए  इसे   गैर-ईसाई

इस बुढ़िया पे दया ना आई !

  

हुआ कुछ  दिन  हंगामा  भारी

आते  रहे  सियासी  बारी-बारी

अख़बारों ने भी  तस्वीर उतारी

ना सूखी नफरत की  फुलवारी |

 

बेटा तुम लगते हो राह भटके

इससे पहले कोई  गिद्ध झपटे

चलो चलें हम  थाने  झट से

मरिया बोली उससे लिपट के

  

आजी क्यों तुम बिलख रही हो

बीबी  अपणे   आँसू    पोछों

ग्रैनी  दुनियाँ  बहुत  बड़ी  है

देखों मुझकों  तस्वीर यहीं  है

 

मेरे दादा पंजाबी दादी नेपाली

मेरी बुआ को भाया  बंगाली

एक क्रिस्चन को ब्याहे चाचा

हरिजन अम्मा ले आए पापा

 

घर में देखा है भारत जीता

पढ़ी कुरान के  संग  गीता

ईद दीवाली सब साथ मनाते

लंगर छक कर चर्च में  जाते |

 

बने चिकन संग इडली सांभर 

खाता झालमुरी मुठ्ठी भर-भर

बाई आंटी ले आती निमोना

सरसों दा साग लगदा सोणा |

  

सब धर्मों का  सार है  पाया

मुझे सियासत बाँट ना पाया

माँ मुझमें हिंदुस्तान बसा है

सब इंसानों का ईमान बचा है

 

“मत समझों मुझे खोया बच्चा

ना पहुँचाओं दादी मुझे थाने

मैं इंसानों का खोया बच्चा हूँ

निकला हूँ हिन्दुस्तान बचाने |”

 

सोमेश कुमार(मौलिक एवं अमुद्रित )

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

Views: 605

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by somesh kumar on March 7, 2018 at 8:17pm

रचना को स्नेह एवं आशीष देने के लिए आप सभी गुणीजन का आभार .रचना लिखते समय मेरा झुकाव प्राय भावपक्ष पर होता है.इंसानी जीवन की सम्वेदनाओं,सुख दुःख तथा जो चीज़े विचलित करती है उन्हें ही रचने का प्रयास रहता है.इसलिए मैं कभी ये तय नहीं कर पाता हूँ कि किस छंद,या बहर में रचना-कार्य हुआ है.वस्तुतः मैं स्वयं महसूस करता हूँ कि मेरा झुकाव गद्य-साहित्य एवं उनमें भी लम्बी कहानियों की तरफ होता है.आप सभी गुणीजन जहाँ गागर में सागर समेटने की कोशिश करते हैं मैं विचारों की नदी को सागर तक ले जाने  का प्रयास करता हूँ .कोशिश करूँगा कि आप लोगों के सुझाव आगे अमल में ला सकूँ |

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on March 6, 2018 at 6:20pm

 नेक इरादों, जज़्बातों और संदेशों से परिपूर्ण बढ़िया रचना के लिए तहे दिल से बहुत-बहुत मुबारकबाद मुहतरम जनाब सोमेश कुमार साहिब। यदि यह रचना किसी छंद पर आधारित है तो सबसे ऊपर उसका उल्लेख करना चाहिए और यदि नहीं तो इसे सम्पादित करते हुए किसी छंद पर आधारित बनाने से रचना का प्रभाव बढ़ाया जा सकता है।

Comment by Samar kabeer on March 5, 2018 at 10:49pm

जनाब सोमेश कुमार जी आदाब,बहुत उम्दा रचना हुई है,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।

Comment by Mohammed Arif on March 5, 2018 at 5:22pm

आदरणीय सोमेश जी आदाब,

                         एक बाल कविता के माध्यम से आपने सभी धर्मावलंबियों के बीच अच्छा सामंजस्य बैठाने का प्रयास किया है । हार्दिक बधाई स्वीकार करें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sushil Sarna posted a blog post

दोहा दशम्. . . . . गुरु

दोहा दशम्. . . . गुरुशिक्षक शिल्पी आज को, देता नव आकार ।नव युग के हर स्वप्न को, करता वह साकार…See More
21 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

लौटा सफ़र से आज ही, अपना ज़मीर है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२२१/२१२१/१२२१/२१२ ***** जिनकी ज़बाँ से सुनते  हैं गहना ज़मीर है हमको उन्हीं की आँखों में पढ़ना ज़मीर…See More
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति, उत्साहवर्धन एवं स्नेह के लिए आभार। आपका स्नेहाशीष…"
yesterday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . नजर

नजरें मंडी हो गईं, नजर हुई  लाचार । नजरों में ही बिक गया, एक जिस्म सौ बार ।। नजरों से छुपता…See More
Wednesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आपको प्रयास सार्थक लगा, इस हेतु हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय लक्ष्मण धामी जी. "
Wednesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से अलंकृत करने का दिल से आभार आदरणीय । बहुत…"
Wednesday
Chetan Prakash commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"छोटी बह्र  में खूबसूरत ग़ज़ल हुई,  भाई 'मुसाफिर'  ! " दे गए अश्क सीलन…"
Tuesday
Chetan Prakash commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"अच्छा दोहा  सप्तक रचा, आपने, सुशील सरना जी! लेकिन  पहले दोहे का पहला सम चरण संशोधन का…"
Tuesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। सुंदर, सार्थक और वर्मतमान राजनीनीतिक परिप्रेक्ष में समसामयिक रचना हुई…"
Tuesday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . नजर

नजरें मंडी हो गईं, नजर हुई  लाचार । नजरों में ही बिक गया, एक जिस्म सौ बार ।। नजरों से छुपता…See More
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२/२१२/२१२/२१२ ****** घाव की बानगी  जब  पुरानी पड़ी याद फिर दुश्मनी की दिलानी पड़ी।१। * झूठ उसका न…See More
Monday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-125 (आत्मसम्मान)
"शुक्रिया आदरणीय। आपने जो टंकित किया है वह है शॉर्ट स्टोरी का दो पृथक शब्दों में हिंदी नाम लघु…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service