For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मुक्तक

(आम आदमी)

1.सारी फिक्रें अभी उलझी हुईं हैं एक सदमें में

 मैं मर जाऊँ तो क्या !मैं खो जाऊँ तो क्या !

 

2.मैं रोज़ मरता हूँ कोई हंगामा नहीं होता

 सब सदमानसी है मुमताज़ की खातिर |

       (इस्तेमाल )

3.खम गज़ल लिखता हूँ दिल तोड़ कर उसका

 हुनर ज़ीना चढ़ता है बुलंदी हासिल होती है |

        (वापसी )

4.शराब ने टूटकर घर का पानी गंगा कर दिया

 उसने कपड़े उतारे मेरी सोच को नंगा कर दिया |

        (नियन्त्रण)

5.तड़प के देखता है यूँ कि अरमां मचल जाएँ  

 पर कसम याद आते ही ख़ुद को जज़्ब करता हूँ |

 

     (सजा )

6.मायूस हो चलीं हैं थीं मगरूर जो आँखे

 सोचता हूँ अब सताना छोड़ दूँ इनकों |

        (मोहब्बत )

8.गिरे फूल उठा कर रख दिए थे हथेली पर

 आज महकी हुई मोहब्बत किताबों में मिली |

9.मिट्टी भी कटती है पानी भी समाता है

  एक अजनबी बारिश सा चला आता है |

      (बच्चा )

10 बच्चे के हाथ में अख़बार है

   खबर भी उससी मासूम हो जाए

   गम नफ़रत उदासी मुस्कारा रहे

   वो बेवजह हँसी भी मशहूर हो जाए |

सोमेश कुमार(मौलिक एवं अमुद्रित )

Views: 520

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on March 4, 2018 at 1:37pm

बहुत उम्दा क्षणिकाएं हैं सभी एक से बढ़कर एक आद० सोमेश जी हार्दिक बधाई आपको 

किन्तु ये मुक्तक कि श्रेणी में नहीं आती

इनको क्षणिकाएँ या इस तरह तीन पंक्तियों में बढ करके आसानी से त्रिवेणी में ढाल सकते हैं जैसे मैंने नीचे कोशिश की   है

सारी फिक्रें अभी उलझी हुईं हैं एक सदमें में

 मैं मर जाऊँ तो क्या !

मैं खो जाऊँ तो क्या !

 

.मैं रोज़ मरता हूँ कोई हंगामा नहीं होता

 सब सदमानसी है

मुमताज़ की खातिर |

      

खम गज़ल लिखता हूँदिल तोड़ कर उसका

 हुनर ज़ीना चढ़ता है

बुलंदी हासिल होती है |

    गुलज़ार साहब कि त्रिवेणियाँ पढ़ें आपको समझ आ जायेंगी     

Comment by somesh kumar on March 3, 2018 at 10:54pm

गुणीजनों का रचना पर drishti dalne ke lie saadhuvaad.कृपया margdarshn den ki is trh ki rchna kis kshrni me आएंगी 

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on March 3, 2018 at 11:05am

भाव पक्ष अच्छा है पर कला पक्ष नदारत है । गुणी जनों से राय लें । 

Comment by Samar kabeer on March 1, 2018 at 10:59pm

जनाब सोमेश कुमार जी आदाब,ये रचना मुक्तक नहीं,और जो भी है वो लयबद्ध नहीं ।

Comment by Mohammed Arif on February 28, 2018 at 10:04am

आदरणीय सोमेश जी आदाब,

                          आपने 'मुक्तक' शीर्षक से कुल 10  रचनाएँ लिखी है लेकिन ये सभी रचनाएँ मुक्तक की श्रेणी में नहीं आती है ।  मुक्तक चार पंक्तियों का होता है । शुरू की दो पंक्तियों में तुकांतता होती है , तीसरी पंक्ति में तुकांतता नहीं है और फिर चौथी पंक्ति में तुकांतता होती है । साथ में लयात्मकता भी अनिवार्य है । 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Zaif replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आ. Aazi ji, अच्छी ग़ज़ल रही, बधाई।  सुझाव भी ख़ूब। ग़ज़ल में निखार आएगा। "
7 minutes ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"अच्छी ग़ज़ल हुई आ बधाई स्वीकारें बाक़ी गुणीजनों की इस्लाह से और निखर जायेगी"
19 minutes ago
Zaif replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आ. Mahendra Kumar ji, अच्छी ग़ज़ल रही। बधाई आपको।"
21 minutes ago
Zaif replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आ. Euphonic Amit जी, ख़ूब ग़ज़ल हुई, बधाई आपको।  "आप के तसव्वुर में एक बार खो जाए फिर क़लम…"
26 minutes ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"जी आ अच्छी ग़ज़ल की बधाई स्वीकार करें गुणीजनों की इस्लाह से और निखर जायेगी"
32 minutes ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"जी आ अच्छी ग़ज़ल की बधाई स्वीकार करें भाई चारा का सही वज्न 2122 या 2222 है ? "
33 minutes ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"अच्छी ग़ज़ल हुई आ बधाई स्वीकार करें सातवाँ थोड़ा मरम्मत चाहता है"
38 minutes ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"बहुत ख़ूब। समझदार को इशारा काफ़ी। आप अच्छा लिखते हैं और जल्दी सीखते हैं। शुभकामनाएँ"
39 minutes ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"जी बहुत बहुत शुक्रिया आ ज़र्रा-नवाज़ी का"
47 minutes ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"जी बहुत बहुत शुक्रिया आ ज़र्रा-नवाज़ी का"
47 minutes ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"जी बहुत बहुत शुक्रिया आ ज़र्रा-नवाज़ी का"
48 minutes ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"बारीकी से इस्लाह व ज़र्रा-नवाज़ी का बहुत बहुत शुक्रिया आ इक नज़र ही काफी है आतिश-ए-महब्बत…"
49 minutes ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service