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क्या बता दूं कि उसने क्या पूछा

2122 1212 22
मुझ से मेरा ही फ़लसफ़ा पूछा ।
क्या बता दूँ कि उसने क्या पूछा ।।

डूब जाने की आरजू लेकर ।
उसने दरिया का रास्ता पूछा ।

देर होनी थी हो गयी है अब ।
वक्त ने मुझसे वास्ता पूछा ।।

था भरोसा नहीं मगर मुझसे ।
मुद्दतों बाद वह गिला पूछा ।।

हिज्र के बाद जी रहे कैसे ।
चाँद ने मेरा हौसला पूछा।।

सच की उसको बड़ी जरूरत है ।
उसने आते ही आइना पूछा ।।

कह रहा था जो दूरियां ही नहीं ।
आज वह दिल का फासला पूछा ।।

लोग लुटते है क्यूँ मुहब्बत में ।
राज मुझसे ये ग़मज़दा पूँछा ।।

दर्दे दिल था उसे मयस्सर ही ।
कब हकीमों से मसबरा पूछा ।।

जख्म दिल में जो कर गया था मेरे।
हाल वह मेरा बारहा पूछा ।।

खूब हैरत हुई मुझे भी तब ।
अपने जब मेरा पता पूँछा ।।

नवीन मणि त्रिपाठी
मौलिक अप्रकाशित

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Comment

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Comment by Naveen Mani Tripathi on March 6, 2018 at 9:58pm

आ0 कबीर सर सादर नमन के साथ आभार 

Comment by Samar kabeer on March 6, 2018 at 9:43pm

जनाब नवीन मणि जी आदाब,ग़ज़ल का अच्छा प्रयास है,बधाई स्वीकार करें ।

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