बड़े बेटे ने माँ के फटे पुराने कपड़े इकट्ठे किए । दूसरा बेटा चश्मा और छड़ी ढूँढकर लाया । तीसरे ने दवाई की शीशी और पुड़ियाँ अलमारी से निकाली । छोटी बहू कड़वा ताना देती हुई बोली-" जाने कब मरेगी । लगता है कोई अमर बूटी खाकर आई है ।" चारों मिलकर माँ को वृद्धाश्रम छोड़ आए । अब चारों ज़ोर-ज़ोर से चिल्ला -चिल्लाकर सभी को बता रहे हैं कि माँ अपनी राजी-मर्जी से हमेशा के लिए अपनी बेटी के घर चली गईं ।
मौलिक एवं अप्रकाशित ।
Comment
अद्भुत , बेजोड़ और बहुत ही ईमानदाराना टिप्पणी । दरअसल मैं आपकी ही टिप्पणी की बड़ी बेसब्री से इंतज़ार कर रहा था । अब जाकर राहत मिली । बहुत-बहुत आभार आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी ।
आर्थिक तंगीया रईसी; रोज़गार के बंधन और शर्तों या बेरोज़गारी/अस्थाई रोज़गार ने भावपूर्ण नज़दीक़ी रिश्तों तक की धज्जियां उड़ा दीं हैं मां का रिश्ता कैसे अछूता रहता। बच्चों की बुद्धि भ्रष्ट हो रही है। लघु रचना में गहरी बातें सम्प्रेषित करती बेहतरीन विचारोत्तेजक सृजन के लिए तहे दिल से बहुत-बहुत मुबारकबाद मुहतरम जनाब मोहम्मद आरिफ़ साहिब। जो भोगते हैं वे जानते हैं कि हालात ऐसी विसंगतियों के चलते ऐसे संवाद करवा देते हैं।
रचना के निरपेक्ष अनुमोदन और उत्साहवर्धन का बहुत-बहुत आभार आदरणीय तेजवीर सिंह जी ।
हार्दिक बधाई आदरणीय मोहम्मद आरिफ़ जी।आज के हालत में बहुत प्रासंगिक लघुकथा।अधिकांश परिवारों में यही हो रहा है।बेहतरीन प्रस्तुति।
बहुत -बहुत शुक्रिया आरणीय असरार धारवी जी । इसी तरह नज़रे इनायत करते रहें ।
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online