For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

1-

वर दे  माता शारदे , रचूँ   प्रीति  के छंद l

हो समष्टि की साधना , बढ़े ह्रदय आनंद ll

बढ़े  ह्रदय आनंद , लेखनी  चलती  जाए l

लिखूँ सदा ही सत्य , झूठ से दिल घबराए ll

'अना' बहुत नादान,  शारदे जग की ज्ञाता l

सिर पर रख दे हाथ, आज तू वरदे माता ।।

2-

सत्कर्मों का फल मिला , पाया  मानव रूप l

जीवन पथ पर रख कदम ,देख न छाया धूप ll  

देख न छाया धूप , मैल   मत मन  में रखना l

करना सबसे प्रेम , स्वाद जीवन का चखना ll

जीवन की यह रीति , सार है  सब धर्मों का l

करना ऐसे कर्म , मिले फल  सत्कर्मों  का ll

- अनामिका सिंह 'अना'

मौलिक और अप्रकाशित 

Views: 803

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Anamika singh Ana on March 14, 2018 at 9:16pm

आदरणीय मो़ ़ आरिफ जी , सादर प्रणाम  l

     ओ बी ओ साहित्यिक परिवार में आगमन पर स्वागत व  मेरी प्रथम प्रविष्टि पर प्रोत्साहन हेतु हार्दिक आभार आपका 

Comment by Anamika singh Ana on March 14, 2018 at 9:11pm

आदरणीय हर्ष महाजन जी सादर प्रणाम , समूह में मेरे आगमन पर स्वागत  व प्रथम प्रस्तुति पर प्रोत्साहन हेतु हार्दिक आभार आपका 

Comment by Ashok Kumar Raktale on March 14, 2018 at 8:43pm

आदरणीया अनामिका सिंह जी सादर,  ओ बी ओ पर  आपका और आपकी प्रथम रचना का स्वागत है. मुझे मित्रता सूचि में जोड़ने के लिए भी आपका शुक्रिया.

वर दे माता शारदे , रचूँ प्रीति के छंद l

हो समष्टि की साधना , बढ़े ह्रदय आनंद ll

बढ़े ह्रदय आनंद , लेखनी चलती जाए l

लिखूँ सदा ही सत्य , झूठ से दिल घबराए ll

'अना' बहुत नादान, शारदे जग की ज्ञाता l

सिर पर रख दे हाथ, आज तू वरदे माता ।।.......माँ शारदे से रचनाओं का निखार देने की प्रार्थना करता शिल्प पर उत्तम          कुण्डलिया छंद रचा है आपने.  दूसरा छंद भी मात्रिक शिल्प पर सुगढ़ है. बहुत-बहुत बधाई स्वीकारें. आगे भी आपकी सुंदर रचना पढने मिलेंगी ऐसी आशा है.सादर.

Comment by Harash Mahajan on March 14, 2018 at 6:21pm

आदरणीय अनामिका जी आदाब । ओ बी ओ मंच पर आपका तहे दिल स्वागत है । अच्छी रचनाये पेश की हैं । विदा पर गुणीजन अपनी राय देंगे ।

सादर ।

Comment by Mohammed Arif on March 14, 2018 at 6:15pm

आदरणीया अनामिका जी आदाब,

                        मैं पहली बार आपकी की रचना से संवाद कर रहा हूँ । अत: सबसे पहले तो ओबीओ साहित्यिक परिवार में आपका हार्दिक स्वागत है ।

                      बहुत ही सुंदर और सरल शब्दों में कुंडलिया छंद की रचना की है आपने । हार्दिक बधाई स्वीकार करें । बाक़ी गुणीजन अपनी राय साझा करेंगे , इंतज़ार करें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"वाह वाह .. वाह वाह ...  आदरणीय अशोक भाईजी, आपके प्रयास और प्रस्तुति पर मन वस्तुतः झूम जाता…"
2 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश भाई जी, आयोजन में आपकी किसी रचना का एक अरसे बाद आना सुखकर है.  प्रदत्त चित्र…"
2 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"अंतिम दो पदों में तुकांंत सुधार के साथ  _____ निवृत सेवा से हुए, अब निराली नौकरी,बाऊजी को चैन…"
4 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"मनहरण घनाक्षरी _____ निवृत सेवा से हुए अब निराली नौकरी,बाऊजी को चैन से न बैठने दें पोतियाँ माँगतीं…"
6 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"मनहरण घनाक्षरी * दादा जी  के संग  तो उमंग  और   खुशियाँ  हैं, किस्से…"
17 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"मनहरण घनाक्षरी छंद ++++++++++++++++++   देवों की है कर्म भूमि, भारत है धर्म भूमि, शिक्षा अपनी…"
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post रोला छंद. . . .
"आदरणीय जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया ....
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी ।"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . कागज
"आदरणीय जी सृजन पर आपके मार्गदर्शन का दिल से आभार । सर आपसे अनुरोध है कि जिन भरती शब्दों का आपने…"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .यथार्थ
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी सृजन के भावों को मान देने एवं समीक्षा का दिल से आभार । मार्गदर्शन का दिल से…"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .यथार्थ
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय"
Tuesday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service