बह्र:-2122-2122-2122-212
बढ़ गई जिस दौर रिश्तों की नमीं और दूरियां ।।
खुद-ब-खुद लेनी पड़ी खुद को खुद की सेल्फियां।।
जिसको समझा शान आखिर अब वो आ कर के खड़ा ।।
मुँह चिढ़ाता दौर मेरा ,खुद -जनी नाकामियां।।
नाम अब है गर्व का ,खुदग़रज ओऱ बे अदब।
झुकना अब न चाहता हैं नवजवां कोई मियां।।
देश के होने लगे जब मज़हबी हालात यूँ।।
राजनीतिक सेंकने लगते हैं अपनी रोटियां।।
रास्ता सबका अलग, अब बँट ही जाना है हमें।
आ चलें कुछ दूर संग यादों की लेकर झलकियां।।
है पता तुमको भी मैं न भूल पाऊंगा तुम्हे ।
इश्किया यादें मुझे देती रहेगी झाप्पियां।।
कण हवाओं में यूँ गुम हो जाएंगे इस जिस्म के।
गर बचेगा कुछ मेरा ,वो शाइरी ओऱ नेकियां।।
आमोद बिंदौरी /मौलिक-अप्रकाशित
Comment
आद0 आमोद जी सादर अभिवादन। ग़ज़ल का बढिया प्रयास पर जैसा आद0 समर साहब ने कहा, अभी शिल्प पर मिहनत करनी है। आप ओ बी ओ पर ग़ज़ल की कक्षा का लाभ उठावें सादर
बहुत खूब
बहुत सुन्दर गजल.
बधाई स्वीकार करें..
आदरणीय आमोद जी आदाब,
अच्छी ग़ज़ल.का प्रयास है । दिली मुबारकबाद क़ुबूल करें । आली जनाब मोहतरम समर कबीर साहब की इस्लाह का संज्ञान लें ।
जनाब आमोद बिंदौरी जी आदाब,ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है,लेकिन अभी आपको शिल्प पर बहुत मिहनत की ज़रूरत है,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online