For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

'मासूम पे इल्ज़ाम लगाना ही नहीं था'

मफ़ऊल मफ़ाईल मफ़ाईल फ़ऊलुम

सोई हुई ख़्वाहिश को जगाना ही नहीं था

ख़्वाबों में मेरे आपको आना ही नहीं था

बाग़ी है अगर तुझ से तो अब कैसी शिकायत

औलाद का हक़ तुझको दबाना ही नहीं था

वो होके पशेमान यही बोल रहे हैं

मासूम पे इल्ज़ाम लगाना ही नहीं था

सब,झूट यही कह के यहाँ बोल रहे थे

सच बोलने वालों का ज़माना ही नहीं था

बहरों की ये बस्ती है "समर" जान गये थे

फिर तुमको यहाँ शोर मचाना ही नहीं था

समर कबीर

मौलिक/अप्रकाशित

Views: 1349

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Naveen Mani Tripathi on March 21, 2018 at 10:17am

आ0 कबीर सर सादर प्रणाम अब मुझे पता चला यह ग़ज़ल भेजकर आप हम लोगों की योग्यता को परखना चाहते थे । बहुत अच्छा लगा सर । जो भी प्राप्त हुआ है हमें वह आप जैसे गुरुओं की कृपा से ही सम्भव हो सका । नमन ।

Comment by Samar kabeer on March 21, 2018 at 10:09am

जनाब भाई विजय निकोर जी आदाब,ग़ज़ल आपको पसंद आई लिखना सार्थक हुआ,सुख़न नवाज़ी के लिए आपका शुक्रगुज़ार हूँ ।

Comment by Samar kabeer on March 21, 2018 at 10:06am

जनाब नवीन मणि त्रिपाठी जी आदाब,ग़ज़ल आपको पसंद आई इसके लिए धन्यवाद ।

4थे शैर के ऊला में 'झूट' शब्द सही है,फ़र्क़ सिर्फ़ इतना है कि हिन्दी में इसे "झूठ" कहते और लिखते हैं,और उर्दू में "झूट"लिखा और बोला जाता है ।

अब रही मतले की बात,तो इसके लिये आपको इस ग़ज़ल की सभी टिप्पणियों को ध्यान पूर्वक पढ़ना होगा,आपका जवाब उसी में है, वैसे आपका सुझाव देना मुझे अच्छा लगा ।

4थे शैर के सानी मिसरे में 'ज़माना शब्द पुल्लिंग ही है, टंकण त्रुटि की वजह से 'थी' हो गया,अगर पूरी ग़ज़ल आप ध्यान से पढ़ते तो ये प्रश्न नहीं करते,क्योंकि 'था" शब्द तो रदीफ़ का हिस्सा है,यहाँ सिर्फ़ टंकण त्रुटि लिख देना काफ़ी होता ।

Comment by vijay nikore on March 21, 2018 at 9:26am

//सब,झूट यही कह के यहाँ बोल रहे थे

सच बोलने वालों का ज़माना ही नहीं थी

बहरों की ये बस्ती है "समर" जान गये थे

फिर तुमको यहाँ शोर मचाना ही नहीं था//

सारी गज़ल ही दिलकश है, पर इन एहसासों पर खास दाद । बधाई, भाई समर जी।

Comment by Ajay Tiwari on March 21, 2018 at 9:11am

आदरणीय समर साहब,

मुझे पता था कि आपने ये गलती जान बूझकर ही की है. मेरी टिपण्णी का  मकसद भी यही था कि मंच की रचना और आलोचना के बीच ईमानदार, संयत और गरिमापूर्ण संवाद की परंपरा को सामने रखा जाय.

सादर

Comment by Naveen Mani Tripathi on March 21, 2018 at 1:33am

गलत हो गया सानी ऐसे होगा

अपनी अना को आज झुकाना ही नहीं था ।

Comment by Naveen Mani Tripathi on March 21, 2018 at 1:19am

जग और हट हम काफिया नहीं । इसको यूँ किया जा सकता है    सोई हुई ख्वाहिश पे निशाना ही नहीं था ।

मुझको अभी अना को झुकाना ही नहीं था ।।

Comment by Naveen Mani Tripathi on March 21, 2018 at 1:05am

वाह बहुत खूब सर लाजबाब ग़ज़ल हुई है । चौथे शेर में दो जगह आप से ज्ञान चाहता हूँ । सही शब्द झूठ है या झूट दूसरा यह कि जमाना पुलिंग है उसके साथ थी नहीं जम रहा । यह सम्भवतः टाइपिंग त्रुटि है ।

Comment by Samar kabeer on March 20, 2018 at 11:04pm

आप भी तो इसी मंच(परिवार)के हैं भाई,वैसे आप सही फ़रमाते हैं ।

Comment by Nilesh Shevgaonkar on March 20, 2018 at 10:41pm

आ. समर सर,
आप जिस बात का क्रेडिट मुझे  रहे हैं उस क्रेडिट का असली हक़दार यही मंच है जहाँ से आपके  और अन्य सभी वरिष्ठ मार्गदर्शकों के सानिध्य में थोडा बहुत सीख पाया हूँ...
आभार 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Chetan Prakash commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post अस्थिपिंजर (लघुकविता)
"संवेदनाहीन और क्रूरता का बखान भी कविता हो सकती है, पहली बार जाना !  औचित्य काव्य  / कविता…"
4 hours ago
Chetan Prakash commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल के
"अच्छी ग़ज़ल हुई, भाई  आज़ी तमाम! लेकिन तीसरे शे'र के सानी का भाव  स्पष्ट  नहीं…"
19 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on surender insan's blog post जो समझता रहा कि है रब वो।
"आदरणीय सुरेद्र इन्सान जी, आपकी प्रस्तुति के लिए बधाई।  मतला प्रभावी हुआ है. अलबत्ता,…"
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . . .
"आदरणीय सौरभ जी आपके ज्ञान प्रकाश से मेरा सृजन समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय जी"
yesterday
Aazi Tamaam posted a blog post

ग़ज़ल: चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल के

२२ २२ २२ २२ २२ २चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल केहो जाएँ आसान रास्ते मंज़िल केहर पल अपना जिगर जलाना…See More
Wednesday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 182 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है| इस बार का…See More
Wednesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey added a discussion to the group भोजपुरी साहित्य
Thumbnail

गजल - सीसा टूटल रउआ पाछा // --सौरभ

२२ २२ २२ २२  आपन पहिले नाता पाछानाहक गइनीं उनका पाछा  का दइबा का आङन मीलल राहू-केतू आगा-पाछा  कवना…See More
Wednesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . . .
"सुझावों को मान देने के लिए हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय सुशील सरना जी.  पहला पद अब सच में बेहतर हो…"
Wednesday
Sushil Sarna posted a blog post

कुंडलिया. . . .

 धोते -धोते पाप को, थकी गंग की धार । कैसे होगा जीव का, इस जग में उद्धार । इस जग में उद्धार , धर्म…See More
Wednesday
Aazi Tamaam commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"एकदम अलग अंदाज़ में धामी सर कमाल की रचना हुई है बहुत ख़ूब बधाई बस महल को तिजोरी रहा खोल सिक्के लाइन…"
Tuesday
surender insan posted a blog post

जो समझता रहा कि है रब वो।

2122 1212 221देख लो महज़ ख़ाक है अब वो। जो समझता रहा कि है रब वो।।2हो जरूरत तो खोलता लब वो। बात करता…See More
Tuesday
surender insan commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन। अलग ही रदीफ़ पर शानदार मतले के साथ बेहतरीन गजल हुई है।  बधाई…"
Tuesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service