मुंतज़िर मुंतज़िर रहा
मूरत बनाई थी जो
मुस्सवर ख़्यालों में
अब तक वह पाक
हसीन खवाब ही रही
रातों अँधेरे में कभी
दिन के उजाले में भी
रोज़ आई मुस्तकिल:
हलकी-सी मुस्कराई
बिना सलाम चली गई
मैं डरता रहा थर-थर
तस्वीर की तकदीर से...
मैं खुश था बहुत
बाहरआई तो सही
वह उस तस्वीर से
पर मिलते ही लगा
वह खफ़ा थी ज़रा
मुझसे ही हुई होगी
ज़रूर कोई खता ...
आँखें खुलते ही क्यूँ
वह मुंतज़र बाहें
इन मुंतज़िर बाहों से
हो गईं इतनी पराई ...
------
-- विजय निकोर
(मौलिक व अप्रकाशित)
मुस्सवर = सचित्र, चित्रित
मुस्तकिल: = निरंतर
मुंतज़र = जिसकी प्रतीक्षा करी जा रही हो
मुंतज़िर = प्रतीक्षक
Comment
सराहना के लिए हृदयतल से आभार, आदरणीय भाई समर जी। कोशिश कर रहा हूँ उर्दु कविता लिखने की.... आपके आशीर्वाद साथ रहें।
सराहना के लिए हृदयतल से आभार, आदरणीय हर्ष जी।
सराहना के लिए हृदयतल से आपका आभार, आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी
जनाब भाई विजय निकोर जी आदाब,आजकल आप उर्दू अल्फ़ाज़ में कमाल की कविताएं लिख रहे हैं,ये कविता भी अपने आप में बहुत ख़ूब हुई है,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।
आदरणीय विजय निकोरजी आदाब ।
सुंदर सृजन के लिए बहुत बहुत बधाई ।
सादर ।
बहुत ही भावपूर्ण रचना के लिए तहे दिल से बहुत-बहुत मुबारकबाद मुहतरम जनाब विजय निकोरे साहिब।
सराहना के लिए आपका हृदयतल से आभार, आदरणीय बृजेश जी
सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार, आदरणीय सुरेन्द्र जी
आद0 विजय निकोर जी सादर अभिवादन। बढिया रचना के लिए बधाई आपको
सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार, आदरणीय लक्ष्मण जी।
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online