For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

किसने किया तुझसे मना-गजल

२२१२ २२१२ 

किसने किया तुझसे मना

कर प्रेम की आराधना

 

चारों तरफ ही प्रेम की

मौजूद है सम्भावना

 

हों झुर्रियाँ जिस हाथ में

मौका मिले तो थामना

 

करना किसी की भी नहीं

बिन बात के आलोचना  

 

माहौल है, अब कलयुगी

होती न सच की साधना

 

कोई हँसे फुटपाथ पर

कोई महल में अनमना

 

आसान कब है जिदंगी

है मुश्किलों से सामना

"मौलिक एवं अप्रकाशित" 

@ बसंत कुमार शर्मा, जबलपुर

Views: 774

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by बसंत कुमार शर्मा on March 26, 2018 at 8:59pm

आदरणीय सुरेन्द्र नाथ सिंह 'कुशक्षत्रप'  जी ह्रदय से आभार आदरणीय आपका 

Comment by बसंत कुमार शर्मा on March 26, 2018 at 8:58pm

आदरणीय समर कबीर जी आपके बहुमूल्य सुझाव का तहे दिल से शुक्रिया , मैंने सुधार कर लिए है 

Comment by नाथ सोनांचली on March 26, 2018 at 8:15pm

आद0 बसन्त जी बेहतरीन ग़ज़ल के लिए दिली मुबारकबाद कुबूल फरमाएं

Comment by Samar kabeer on March 25, 2018 at 9:56pm

जनाब बसंत कुमार शर्मा जी आदाब,ग़ज़ल अच्छी लगी,बधाई स्वीकार करें ।

मतले के ऊला मिसरे में 'तुझसे' की जगह "तुझको" करना उचित होगा ।

Comment by बसंत कुमार शर्मा on March 25, 2018 at 7:54pm

आदरणीय  लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' जी आपका बहुत बहुत धन्यवाद 

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on March 25, 2018 at 5:15pm

आ. भाई बसंत जी, बेहतरीन गजल हुई है । हार्दिक बधाई ।

Comment by बसंत कुमार शर्मा on March 25, 2018 at 11:55am

आदरणीय Harash Mahajan जी आपका दिल से शुक्रिया 

Comment by बसंत कुमार शर्मा on March 25, 2018 at 11:55am

आदरणीय Ajay Tiwari  जी आपका दिल से शुक्रिया 

Comment by बसंत कुमार शर्मा on March 25, 2018 at 11:51am

आदरणीय बृजेश कुमार 'ब्रज' जी ह्रदय से आभार आपका 

Comment by बसंत कुमार शर्मा on March 25, 2018 at 11:50am

 आदरणीय Nilesh Shevgaonkar जी आपकी प्रेरक प्रतिक्रिया एवं सुझाव का ह्रदय से आभार, सुधार लेता हूँ. 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Saurabh Pandey's blog post दीप को मौन बलना है हर हाल में // --सौरभ
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। लम्बे अंतराल के बाद पटल पर आपकी मुग्ध करती गजल से मन को असीम सुख…"
34 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं।हार्दिक बधाई। भाई रामबली जी का कथन उचित है।…"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आदरणीय रामबली जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । बात  आपकी सही है रिद्म में…"
Tuesday
रामबली गुप्ता commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"बड़े ही सुंदर दोहे हुए हैं भाई जी लेकिन चावल और भात दोनों एक ही बात है। सम्भव हो तो भात की जगह दाल…"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई चेतन प्रकाश जी"
Monday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय, सुशील सरना जी,नमस्कार, पहली बार आपकी पोस्ट किसी ओ. बी. ओ. के किसी आयोजन में दृष्टिगोचर हुई।…"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . रिश्ते
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार "
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . संबंध
"आदरणीय रामबली जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार ।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर छंद हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service