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आद0 रामश्रये जी बात कथन या कथ्य की नहीं, बात मैंने शिल्प की है। आप दुबारा प्रतिक्रिया पढ़ें। सादर
आद0 रामश्रये जी सादर अभिवादन। रचना में जब तुकांतता ली जाती है तो उसका भी एक विधान होता है, औऱ अगर कविता अतुकांत न हो तो एक निश्चित विधान भी। पर क्षमा चाहूँगा उपरोक्त रचना में मुझे कोई निश्चित विधान भी नहीं मिला और तुकांतता भी उतनी सटीक नहीं। यह तुकांतता मध्यम स्तर की होती है। बहरहाल आप यहाँ पर उपलब्ध लेखों को आत्मसात करें तो बहुत कुछ सीखा जा सकता है।
मंच पर आपकी पहली रचना पढ़ रहा हूँ |
बेहतरीन प्रयास हैं ,अभ्यास जारी रखें|
तुकांत और भावपूर्ण रचना है पर लगता है आप मेरी तरह ही मुक्त एवं तुकांत के बीच फँसे है |उम्मीद है मंच के मनीषियों से उचित मार्गदर्शन प्राप्त करेंगे और बेहतर प्रस्तुति देंगे |
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