For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

खुली आँखें हैं और सोया हुआ हूँ ...संतोष

अरकान:-
मफ़ाईलुन मफ़ाईलुन फ़ऊलुन

खुली आँखें हैं,पर सोया हुआ हूँ
तुम्हारी याद में डूबा हुआ हूँ।।


बदन इक दिन छुआ था तुमने मेरा
उसी दिन से बहुत महका हुआ हूँ।।


मुझे पागल समझती है ये दुनिया
तसव्वुर में तेरे खोया हुआ हूँ।।


जहाँ तुम छोड़कर मुझको गये थे
उसी रस्ते पे मैं बैठा हुआ हूँ।।


ख़ुदा का है करम 'संतोष' मुझ पर
हर इक महफ़िल पे मैं छाया हुआ हूँ।।

#संतोष_खिरवड़कर

(मौलिक एवं अप्रकाशित)

Views: 695

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by santosh khirwadkar on April 3, 2018 at 10:43am

शुक्रिया ,आ.भाई श्री निलेश जी ...

Comment by Nilesh Shevgaonkar on April 2, 2018 at 9:26am

शायद यूँ होता तो अर्थपूर्ण होता ..
.
खुली आँखें हैं,पर "खोया" हुआ हूँ

तुम्हारी याद में डूबा हुआ हूँ।।
.
सादर 

Comment by santosh khirwadkar on April 1, 2018 at 11:36am

आदरणीय श्री समर साहब प्रणाम स्वीकारें!!!

धन्यवाद/आभार!!!!

Comment by santosh khirwadkar on April 1, 2018 at 11:34am

आदरणीय आरिफ़ साहब,शुक्रिया!!!

Comment by santosh khirwadkar on April 1, 2018 at 11:33am

आ.आशुतोष जी धन्यवाद!!!!

Comment by santosh khirwadkar on April 1, 2018 at 11:32am

आदरणीय भाई श्री निलेश जी शुक्रिया!! आप सही हैं किन्तु मैंने इसलिए भी आँखे खुली लिखा,बंद आँखों में तो चेतन मस्तिष्क भी क्रियाशील नहीं होता ,तो उसकी याद में डूबता कैसे???

Comment by Samar kabeer on March 31, 2018 at 5:53pm

जनाब संतोष जी आदाब,अच्छी ग़ज़ल हुई है, बधाई स्वीकार करें ।

Comment by Mohammed Arif on March 31, 2018 at 5:53pm

आदरणीय संतोष जी आदाब,

                शे'र दर शे'र दाद के साथ दिली मुबारकबाद क़ुबूल करें ।

Comment by Dr Ashutosh Mishra on March 30, 2018 at 2:33pm

आदरणीय संतोष जी रचना के लिए हादिक बधाई ..आदरणीय भाई निलेश जी का मशविरा बिलकुल सही है ...सादर 

Comment by Nilesh Shevgaonkar on March 29, 2018 at 7:52pm

आ. संतोष दादा.. 
अच्छी ग़ज़ल हुई है ... भाव पक्ष पर मतले में एक   विसंगति है ..
.
खुली आँखें हैं,पर सोया हुआ हूँ
तुम्हारी याद में डूबा हुआ हूँ।।.... यदि याद में डूबे हैं तो चेतन मस्तिष्क क्रियाशील है अत: वो नींद या सोना नहीं है ..जो सानी के भाव के विपरीत अवस्था है ..
सादर  

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"आदाब। हार्दिक स्वागत आपकी रचना का। प्रदत्त विषयांतर्गत बेहद भावपूर्ण और विचारोत्तेजक कथानक व कथ्य…"
5 minutes ago
रक्षिता सिंह replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"सादर प्रणाम, आदरणीय ।"
12 hours ago
रक्षिता सिंह replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"सुन, ससुराल में किसी से दब के रहने की कोई ज़रूरत नहीं है। अरे भाई, हमने कोई फ्री में सादी थोड़ी की…"
12 hours ago
Nilesh Shevgaonkar shared their blog post on Facebook
18 hours ago
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"स्वागतम"
yesterday
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"आदरणीय गजेंद्र जी, हृदय से आभारी हूं आपकी भावना के प्रति। बस एक छोटा सा प्रयास भर है शेर के कुछ…"
yesterday
Gajendra shrotriya replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"इस कठिन ज़मीन पर अच्छे अशआर निकाले सर आपने। मैं तो केवल चार शेर ही कह पाया हूँ अब तक। पर मश्क़ अच्छी…"
yesterday
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"आदरणीय गजेंद्र ji कृपया देखिएगा सादर  मिटेगा जुदाई का डर धीरे धीरे मुहब्बत का होगा असर धीरे…"
yesterday
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"चेतन प्रकाश जी, हृदय से आभारी हूं।  साप्ताहिक हिंदुस्तान में कोई और तिलक राज कपूर रहे होंगे।…"
yesterday
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"धन्यवाद आदरणीय धामी जी। इस शेर में एक अन्य संदेश भी छुपा हुआ पाएंगे सांसारिकता से बाहर निकलने…"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"आदरणीय,  विद्यार्जन करते समय, "साप्ताहिक हिन्दुस्तान" नामक पत्रिका मैं आपकी कई ग़ज़ल…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"वज़न घट रहा है, मज़ा आ रहा है कतर ले मगर पर कतर धीरे धीरे। आ. भाई तिलकराज जी, बेहतरीन गजल हुई है।…"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service