बह्र -1212-1122-1212-22
बड़ा शह्र है ये अपना पता नहीं मिलता।।
यहाँ बजूद भी हँसता हुआ नहीं मिलता।।
दरख़्त देख के लगता तो आज भी ऐसा ।
के ईदगाह में अब भी खुदा नहीं मिलता।।
समाज ढेरों किताबी वसूल गढ़ता है।
वसूल गढ़ता ,कभी रास्ता नहीं मिलता।।
मैं पढ़ लिया हूँ कुरां,गीता बाइबिल लेकिन ।
किसी भी ग्रन्थ में , नफरत लिखा नहीं मिलता।।
मुझे भी दर्द ओ तन्हाई से गिला है पर।
करें भी क्या कोई हमपर फ़िदा नहीं मिलता।।
मुझे भी अपनी मुकम्मल ही दोस्ती करनी।
यूँ बावफ़ा को मगर बावफ़ा नहीं मिलता।।
हुजूर आप भी अपनी कभी कहीं कह दो।
ये बीच बीच का ख़ाली शमा नहीं मिलता।।
समझ का फेर है अपनी समझ नहीं पाए।
हरेक शख्स भी उलफत मढ़ा नहीं मिलता।।
मुझे भी रात की तन्हाई नोंच खाती है।
अमास दौर भी कोई चाँद सा नहीं मिलता।।
लिए गरीब के , संसद सा भोजनालय हो।
तड़प वो भूख से मरता हुआ नहीं मिलता।।
हयात आँख मिचौली भी खेल लेगी पर ।
शऊर मरना या जीना, अता नहीं मिलता।।
जरा सा तोड़ कुचल और नया नुश्खा लो ।
हमारे देश सियासत में क्या नहीं मिलता।।
मेरा भी दिल है मुहब्बत में धड़कता तुम सा।
अलग ये बात है लहजा जरा नहीं मिलता।।
आमोद बिन्दौरी /मौलिक , अप्रकाशित
Comment
बहुत खूब, हार्दिक बधाई ।
जनाब आमोद बिंदौरी जी आदाब,ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है,बधाई स्वीकार करें ।
आप चूँकि सुझाये मिसरे नहीं अपनाते,इस लिए कुछ इशारे दे रहा हूँ ।
मतले के ऊला मिसरे की तरतीब यूँ करें:-
'बड़ा है शह्र ये अपना पता नहीं मिलता'
दूसरे शैर में भाव स्पष्ट नहीं है,दरख़्त देख के ऐसा क्यों लगता है?
तीसरे शैर में 'वसूल' को "उसूल" कर लें ।
4थे शैर में 'कुरां' ग़लत है,सही शब्द है "क़ुरआँ",और ऊला में ऐब-ए-तनाफ़ुर देखें,'बाइबल लेकिन',और सानी में 'नफ़रत'स्त्रीलिंग है ।
5वें का ऊला लय में नहीं है ।
6ठे के ऊला में 'ही' को "है" और सानी में 'मगर' को "कभी" कर लें ।
7वाँ शैर हटा दें तो बहतर है ।
9वाँ शैर स्पष्ट नहीं है ।
दसवें शैर में शिल्प और व्याकरण दोष है ।
11वें शैर में भी शिल्प व्याकरण सही नहीं है ।
12 वाँ भी ऐसा ही है ।
एक बात ध्यान में रखें कि कम अशआर कहें और सोच समझ कर कहें ।
हार्दिक बधाई आदरणीय अमोद जी। बेहतरीन गज़ल।
मैं पढ़ लिया हूँ कुरां,गीता बाइबिल लेकिन ।
किसी भी ग्रन्थ में , नफरत लिखा नहीं मिलता।।
बहुत सुंदर गजल खी आपने , बहुत बहुत बधाई आपको
आदरणीय आमोद जी आदाब,
बहुत ही लाजवाब ग़ज़ल । हर शे'र उम्दा । दिली मुबारकबाद क़ुबूल करें । बाक़ी गुणीजन अपनी राय देंगे ।
इस लाजवाब, उम्दा ग़ज़ल के लिए बहुत बहुत बधाई | सादर |
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