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विहग निज चोंच में देखो,,,,,,

विहग निज चोंच में देखो,,,,,,

विहग निज चोंच में देखो, अहा! मछली दबोचे है|

फँसी खग कंठ में मछली, पड़े तन पर खरोंचे हैं ||
विहग औ मीन दोनों इक, सरीखे ही अबोले हैं |
मगर इक हर्ष दूजी भय, सँजोये आँख बोले हैं |१ |

उदर की भूख मिट जाए, यही चाहत विहग पाले |
वहीं पर मीन के देखो, पड़े हैं जान के लाले ||
सलामत जान की अपने, खुदा से चाहती मछली |
निवाला छूट ना जाए, यही मन सोचती बगुली |२ |


मौलिक और अप्रकाशित


-सत्यनारायण सिंह

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Comment

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Comment by Satyanarayan Singh on April 5, 2018 at 1:23pm

आदरणीय ब्रजेश कुमार जी  प्रस्तुति पर उपस्थित होकर प्रोत्साहित करने के लिए आपका हृदय से आभार प्रकट करता हूँ  
जी आदरणीय आपकी पारखी नजर की जितनी प्रसंशा की जाय कम है आदरणीय आपने बिलकुल सही कहा है पड़े यह शब्द मुझे भी खटक रहा था किन्तु दुविधा में उस ऒर अधिक ध्यान नहीं दिया.  आपके इक इशारे ने मेरी दुविधा का निराकरण कर दिया है. मेरे विचार से दिखे या फिर लगे शब्द यहाँ पर उचित होगा। इस सन्दर्भ में आपके एवं गुणीजनों के राय की प्रतीक्षा रहेगी .सादर धन्यवाद 

Comment by Satyanarayan Singh on April 5, 2018 at 12:55pm

आदरणीय लक्ष्मण धामी जी  प्रस्तुति पर उपस्थित होकर प्रोत्साहित करने के लिए आपका हृदय से आभार प्रकट करता हूँ 

Comment by Satyanarayan Singh on April 5, 2018 at 12:54pm

आदरणीय  विजय निकोरे जी  प्रस्तुति पर उपस्थित होकर प्रोत्साहित करने के लिए आपका हृदय से आभार प्रकट करता हूँ 

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on April 4, 2018 at 5:02pm

अच्छी रचना है आदरणीय..छन्दों की बहुत जानकारी नहीं है..लेकिन ऊपर से दूसरी पंक्ति में खरोचें के साथ पड़े कुछ जम नहीं रहा..सादर

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on April 4, 2018 at 1:03pm

बहुत सुंदर रचना हुई है हार्दिक बधाई ।

Comment by vijay nikore on April 4, 2018 at 9:29am

सुन्दर रचना के लिए बधाई

Comment by Satyanarayan Singh on April 2, 2018 at 11:55pm

आदरणीय समर कबीर जी प्रस्तुति पर उपस्थित होकर प्रोत्साहित करने के लिए हृदय से आपका आभारी हूं आदरणीय

Comment by Samar kabeer on April 2, 2018 at 12:26pm

जनाब सत्यनारायण सिंह जी आदाब,सुंदर प्रस्तुति हेतु बधाई स्वीकार करें ।

Comment by Satyanarayan Singh on March 31, 2018 at 10:15pm

आदरणीय बसंत कुमार जी सादर 

      आपकी उत्साहवर्धक टिप्पणी हेतु आपका हृदय से आभार व्यक्त करता हूँ. 

Comment by Satyanarayan Singh on March 31, 2018 at 10:13pm

आदरणीय मोहम्मद आरिफ जी सादर 

      रचना पर उपस्थित होकर उत्साहवर्धन के लिए आपका हृदय से  आभारी हूँ.  

      आदरणीय   विधाता  छंद में रचना करने का मेरा यह प्रथम प्रयास ही है 

      सादर 

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