For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

एकाकीपन

भटकती भीड़ है बाहर

भीतर  पसर  रहा

कपूर-सा उड़ता

आँसू-विहीन

अटूट अकेलापन

सांकल लगे बंद कमरे का

निर्जीव सुन्न एकान्त

निष्फल  प्रणय

चिलचिला रहा अन्तर में

दावाग्निमय   शोर

अंशुमान नहीं

यह है अन्धकारवृत

आग का गोला

बिछोह के अंतरिक्ष से आ रहा

यह अंतरित अकेलापन

यह कैसी अलविदा करी

कैसी थी यह समय की धार

दे दिया क्यूँ मेरी मीठी हँसी को

अतृप्त रिक्त क्षणों का भार

कैसी प्रीत थी यह, कैसा प्यार ?

मेरे प्यार, चले गए हो तुम

दर्द भरे मन को, सच

होता नहीं विश्वास

        ------

-- विजय निकोर

(मौलिक व अप्रकाशित रचना)

( कैसी प्रीत? कैसा प्यार? ... यह शब्द डा० धर्मवीर भारती जी की "आद्यन्त" में हैं))

Views: 776

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by vijay nikore on April 19, 2018 at 3:53pm

सराहना के लिए हृदयतल से आभार, आदरणीया नीलम जी।

Comment by vijay nikore on April 19, 2018 at 3:52pm

सराहना के लिए हृदयतल से आभार, आदरणीय सुशील जी।

Comment by Neelam Upadhyaya on April 19, 2018 at 1:02pm

आदरणीय विजय निकोर जी, बहुत ही भावपूर्ण रचना। प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाई ।

Comment by Sushil Sarna on April 19, 2018 at 12:29pm

भटकती भीड़ है बाहर

भीतर पसर रहा

कपूर-सा उड़ता

आँसू-विहीन

अटूट अकेलापन

अप्रतिम अप्रतिम अप्रतिम सृजन सर .... अंतर्मन के दावानल को आपने बड़ी ही ख़ूबसूरती से शब्दों में उकेरा है। हार्दिक बधाई सर।

Comment by vijay nikore on April 13, 2018 at 6:59am

सराहना के लिए हृदयतल से आभार, आदरणीय भाई समर जी।

Comment by vijay nikore on April 13, 2018 at 6:59am

सराहना के लिए हृदयतल से आभार, आदरणीय श्याम जी

Comment by vijay nikore on April 13, 2018 at 6:52am

सराहना के लिए हृदयतल से आभार, आदरणीय मोहम्मद आरिफ़ जी

Comment by vijay nikore on April 13, 2018 at 6:51am

सराहना के लिए हृदयतल से आभार, आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी।

Comment by Samar kabeer on April 12, 2018 at 6:16pm

जनाब भाई विजय निकोर जी आदाब,बहुत ही उम्दा और प्रभावशाली सृजन, इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।

Comment by Shyam Narain Verma on April 12, 2018 at 10:45am
बहुत सुन्दर ... सादर बधाई स्वीकारें आदरणीय

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

सुरेश कुमार 'कल्याण' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"पुनः आऊंगा माँ  ------------------ चलती रहेंगी साँसें तेरे गीत गुनगुनाऊंगा माँ , बूँद-बूँद…"
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"एक ग़ज़ल २२   २२   २२   २२   २२   …"
5 hours ago
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"स्वागतम"
17 hours ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
17 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विरह शृंगार
"आदरणीय चेतन जी सृजन के भावों को मान और सुझाव देने का दिल से आभार आदरणीय जी"
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विरह शृंगार
"आदरणीय गिरिराज जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा का दिल से आभारी है सर"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। दोहों पर आपकी प्रतिक्रिया से उत्साहवर्धन हुआ। स्नेह के लिए आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और प्रशंसा के लिए आभार।"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आदरनीय लक्ष्मण भाई  , रिश्तों पर सार्थक दोहों की रचना के लिए बधाई "
Thursday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विरह शृंगार
"आ. सुशील  भाई  , विरह पर रचे आपके दोहे अच्छे  लगे ,  रचना  के लिए आपको…"
Thursday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आ. भाई चेतन जी सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति के लिए हार्दिक धन्यवाद।  मतले के उला के बारे में…"
Thursday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति के लिए आभार।"
Thursday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service