For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ख़ामोश रहें तो भी मुश्किल
कुछ बात कहें तो भी मुश्किल..

जो राज़ छुपे हैं सीने में
खुल जाएं तहें, तो भी मुश्किल..

वादा था किया ख़ुश रहने का
आंसूं जो बहें तो भी मुश्किल..

वो दर्द मुसलसल दें चाहे
हम दर्द सहें तो भी मुश्किल ..

विपरीत बहें हम धारों के
जो साथ बहें तो भी मुश्किल ..

- नंद कुमार सनमुखानी

"मौलिक और अप्रकाशित"

Views: 760

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Nand Kumar Sanmukhani on April 29, 2018 at 10:05am

बहुत-बहुत धन्यवाद आ. बृजेश कुमार 'ब्रज' जी.

Comment by Nand Kumar Sanmukhani on April 29, 2018 at 10:02am
बहुत-बहुत शुक्रिया "मुसाफिर" साहब..
Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on April 29, 2018 at 9:37am

बहुत खूब, हार्दिक बधाई ।

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on April 27, 2018 at 4:19pm

वाह आदरणीय बेहतरीन ग़ज़ल हुई..सादर

Comment by Samar kabeer on April 24, 2018 at 2:35pm

जनाब नंद कुमार जी आदाब, अच्छी ग़ज़ल हुई है,मुबारकबाद पेश करता हूँ ।

बराह-ए-करम ग़ज़ल के साथ अरकान लिख दिया करें,ये इस मंच का नियम है,इससे नये सीखने वालों को आसानी होती है,ग़ज़ल आप चाहें जितनी पोस्ट करें,कोई दिक़्क़त नहीं ।

Comment by Nilesh Shevgaonkar on April 23, 2018 at 6:43pm

तंग काफ़िये पर अच्छी ग़ज़ल हुई है 
बधाई 

Comment by Nand Kumar Sanmukhani on April 23, 2018 at 2:05pm
बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय TEJ VEER SINGH जी...
Comment by TEJ VEER SINGH on April 23, 2018 at 1:59pm

हार्दिक बधाई आदरणीय नंद कुमार जी।बेहतरीन गज़ल।

वादा था किया ख़ुश रहने का
आंसूं जो बहें तो भी मुश्किल..

Comment by Nand Kumar Sanmukhani on April 23, 2018 at 1:58pm
जनाब Mohammad Arif साहब, और
माननीय Shyam Narain Verma साहब...
ग़ज़ल को पसंद करके मेरी हौसला अफ़ज़ाई करने लिये आप दोनों महानुभावों का तहेदिल से शुक्रगुज़ार हूं।
जहां तक ग़ज़ल पोस्ट करते समय उसके अरकान लिखने के नियम की बात है, आगे इसका ज़रूर ध्यान रखूंगा।
Comment by Shyam Narain Verma on April 23, 2018 at 12:13pm
अच्छी ग़ज़ल की हार्दिक बधाई ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 186 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का मिसरा आज के दौर के…See More
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"  क्या खोया क्या पाया हमने बीता  वर्ष  सहेजा  हमने ! बस इक चहरा खोया हमने चहरा…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"सप्रेम वंदेमातरम, आदरणीय  !"
Sunday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
Friday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
Friday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Dec 10
anwar suhail updated their profile
Dec 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Dec 5
ajay sharma shared a profile on Facebook
Dec 4
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Dec 1
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service